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Monday, October 7, 2024

देश में बसाए जाएंगे 12 नए औद्योगिक शहर, केंद्र ने दी मंजूरी, मिलेंगे 30 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार

नयी दिल्ली/अदिति सिंह : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए बुधवार को 28,602 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश से 10 राज्यों में 12 नए औद्योगिक शहरों की स्थापना को मंजूरी दी। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnav) ने आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs) की बैठक में लिए गए इस अहम फैसले की जानकारी दी। इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने की। वैष्णव ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (एनआईसीडीपी) के तहत 28,602 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश से 12 नए परियोजना प्रस्तावों को मंजूरी दी है। ये औद्योगिक शहर उत्तराखंड के खुरपिया, पंजाब के राजपुरा-पटियाला, महाराष्ट्र के दिघी, केरल के पलक्कड़, उत्तर प्रदेश के आगरा एवं प्रयागराज, बिहार के गया, तेलंगाना के जहीराबाद, आंध्र प्रदेश के ओर्वकल एवं कोपर्थी, राजस्थान के जोधपुर-पाली और हरियाणा में स्थित होंगे। इन औद्योगिक शहरों की परिकल्पना छह प्रमुख गलियारों के करीब रणनीतिक रूप से की गई है।

—केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में फैसला, 28,602 करोड़ रुपये का निवेश होगा
—यूपी के आगरा एवं प्रयागराज, हरियाणा एवं पंजाब के राजपुरा-पटियाला का चयन
—औद्योगिक शहरों की परिकल्पना छह प्रमुख गलियारों के करीब रणनीतिक रूप से की
—इन शहरों को वैश्विक मानकों के नए स्मार्ट शहरों के रूप में विकसित किया जाएगा
—10 लाख प्रत्यक्ष एवं 30 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होने का अनुमान

ये परियोजनाएं भारत की विनिर्माण क्षमताओं और आर्थिक वृद्धि को रफ्तार देने में एक महत्वपूर्ण पहल को दर्शाती हैं। यह कदम देश के औद्योगिक परिदृश्य को बदल देगा। इससे औद्योगिक क्षेत्र एवं शहरों का एक मजबूत नेटवर्क तैयार होगा जो आर्थिक वृद्धि और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा देगा। इन शहरों को वैश्विक मानकों के नए स्मार्ट शहरों के रूप में विकसित किया जाएगा। ये शहर उन्नत बुनियादी ढांचे से लैस होंगे जो टिकाऊ और कुशल औद्योगिक संचालन का समर्थन करते हैं। एनआईसीडीपी से रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर पैदा होने की उम्मीद है। इन शहरों के गठन से करीब 10 लाख प्रत्यक्ष रोजगार और नियोजित औद्योगिकीकरण के माध्यम से 30 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होने का अनुमान है। इन परियोजनाओं से लगभग 1.52 लाख करोड़ रुपये की निवेश क्षमता भी पैदा होगी। इन औद्योगिक शहरों की स्थापना की परिकल्पना वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में पेश की गई थी। बजट में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए राज्यों और निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में देश के 100 शहरों में या उसके आसपास ‘प्लग एंड प्ले’ औद्योगिक पार्क विकसित करने की घोषणा की गई थी। इस तरह के आठ औद्योगिक शहर पहले से ही कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। चार शहरों- धोलेरा (गुजरात), ऑरिक (महाराष्ट्र), विक्रम उद्योगपुरी (मध्य प्रदेश) और कृष्णपट्टनम (आंध्र प्रदेश) में उद्योगों के लिए भूमि आवंटन का काम चल रहा है। इनके अलावा कर्नाटक के तुमकुरु, आंध्र प्रदेश के कृष्णपट्टनम, हरियाणा के नांगल चौधरी और उत्तर प्रदेश के दादरी (ग्रेटर नोएडा) में सरकार की विशेष इकाई (एसपीवी) सड़क संपर्क, पानी और बिजली आपूर्ति जैसे बुनियादी ढांचे के निर्माण की प्रक्रिया में है। देश में 12 नए औद्योगिक शहरों की स्थापना की घोषणा के साथ इस तरह के शहरों की कुल संख्या 20 हो जाएगी। इस कदम से देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाने और रोजगार सृजन में मदद मिलने का अनुमान है।

परियोजनाओं के अगले तीन वर्षों में पूरा हो जाने की उम्मीद

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने संवाददाताओं से कहा कि इन परियोजनाओं के अगले तीन वर्षों में पूरा हो जाने की उम्मीद है। गोयल ने कहा, इन क्षेत्रों के लिए विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा बनाने के लिए जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है। इन्हें वैश्विक मानकों के नए स्मार्ट शहरों के रूप में विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन औद्योगिक शहरों में बहुस्तरीय संपर्क अवसंरचना विकसित की जाएगी ताकि लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित हो सके। भारत को वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में मजबूत स्थिति में लाकर एनआईसीडीपी तत्काल आवंटन के लिए तैयार विकसित भूमि के टुकड़े मुहैया कराएगा। इससे घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए भारत में विनिर्माण इकाइयां स्थापित करना आसान हो जाएगा। गोयल ने कहा, निवेशकों को इन क्षेत्रों में आसानी से जमीन मिल सकेगी। हमने पहले ही बुनियादी पर्यावरणीय मंजूरी ले ली है। प्रमुख (एंकर) निवेशकों को छूट भी मिलेगी।

मुख्य विशेषताएं:

रणनीतिक निवेश: एनआईसीडीपी को बड़े एंकर उद्योगों और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) दोनों से निवेश की सुविधा प्रदान करके एक जीवंत औद्योगिक इकोसिस्‍टम को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया है। ये औद्योगिक नोड 2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर निर्यात प्राप्त करने के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेंगे, जो सरकार के आत्मनिर्भर और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी भारत के विजन को दर्शाता है।

स्मार्ट शहर और आधुनिक बुनियादी ढांचा:

नए औद्योगिक शहरों को वैश्विक मानकों के ग्रीनफील्ड स्मार्ट शहरों के रूप में विकसित किया जाएगा, जिन्हें ‘प्लग-एन-प्ले’ और ‘वॉक-टू-वर्क’ अवधारणाओं पर “मांग से पहले” बनाया जाएगा। यह दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि शहर उन्नत बुनियादी ढांचे से लैस हों जो टिकाऊ और कुशल औद्योगिक कार्यों का समर्थन करते हैं। पीएम गतिशक्ति पर क्षेत्रीय दृष्टिकोण: पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अनुरूप परियोजनाओं में मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी बुनियादी ढांचा होगा, जो लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करेगा। औद्योगिक शहरों को पूरे क्षेत्र के परिवर्तन के लिए विकास केन्‍द्र बनाने की परिकल्पना की गई है।

एक ‘विकसित भारत’ का विजन:

इन परियोजनाओं की मंजूरी ‘विकसित भारत’ – एक विकसित भारत के विजन को साकार करने की दिशा में एक कदम है। वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (जीवीसी) में भारत को एक मजबूत प्रतिस्‍पर्धी के रूप में स्थापित करके, एनआईसीडीपी आवंटन के लिए तत्काल उपलब्‍ध उन्‍नत विकसित भूमि प्रदान करेगा, जिससे घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों के लिए भारत में विनिर्माण इकाइयां स्थापित करना आसान हो जाएगा। यह एक ‘आत्मनिर्भर भारत’ या स्‍वालंबी भारत बनाने के व्यापक उद्देश्य के अनुरूप है, जो बढ़े हुए औद्योगिक उत्पादन और रोजगार के माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।

आर्थिक प्रभाव और रोजगार सृजन:

एनआईसीडीपी से महत्वपूर्ण रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है, जिसमें अनुमानित 1 मिलियन प्रत्यक्ष नौकरियां और नियोजित औद्योगीकरण के माध्यम से 3 मिलियन तक अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा होंगी। इससे न केवल आजीविका के अवसर उपलब्ध होंगे, बल्कि उन क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान में भी योगदान मिलेगा जहां ये परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं।

 

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