– कहा-कांग्रेस के हंगामे के कारण जनता का पैसा हो रहा है बर्बाद
-कांग्रेस पार्टी लोकतंत्र को बाधित करना, देश के विकास को अवरुद्ध करना बंद करे
-संसदीय लोकाचार का सम्मान कांग्रेस संस्कृति में नहीं है : रविशंकर प्रसाद
नई दिल्ली /टीम डिजिटल : भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने संसद की कार्यवाही न चलने देने के लिए कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों पर जमकर हमला बोला है। साथ ही कहा कि ऐसा अनुमान है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष की मनमानी और लोकतंत्र का अपमान किये जाने के कारण मानसून सत्र के दौरान लगातार व्यवधानों से सरकारी खजाने को 130 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता रवि शंकर प्रसाद ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के सात वर्ष पूरे हो चुके हैं, लेकिन अहंकार और प्रपंच के घातक कॉकटेल ने भारत की ग्रैंड ओल्ड पार्टी कांग्रेस को अब तक नहीं छोड़ा है। 1947 के बाद से सबसे लंबे समय तक देश पर शासन करने के बावजूद यह विडंबना ही है कि कांग्रेस के आचरण में संसदीय लोकाचार और कार्यवाही के लिए सम्मान बिलकुल भी नहीं है। इसका कारण यह है कि कांग्रेस एक राजनीतिक दल की तुलना में एक निजी फर्म की तरह अधिक कार्य कर रही है, जिसका एकमात्र उद्देश्य एक वंश के हितों की रक्षा करना है।
आज हम संसद में चर्चा के लिए तैयार हैं।
लेकिन कांग्रेस की संसद के प्रति कोई गंभीरता नहीं है।
पेगासस पर मंत्री जी का वक्तव्य हुआ तो इन लोगों ने उसे उनके सामने फाड़ दिया।
एक सवाल बहुत गंभीर है कि क्या कांग्रेस पार्टी या विपक्ष ईमानदारी से संसद में चर्चा चाहते हैं?: श्री @rsprasad pic.twitter.com/PmOtC75SoW
— BJP (@BJP4India) August 5, 2021
उनहोंने कहा कि वर्तमान स्थिति पर चर्चा करने से पहले हमें एक बार अतीत में अवश्य झाँक लेना चाहिए। कांग्रेस द्वारा संसदीय प्रणाली व्यवस्था का दमन कोई नई बात नहीं है। कांग्रेस द्वारा संसदीय व्यवस्था और संसद के सम्मान पर कुठाराघात 1975 में तब चरम पर पहुंच गया था जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की कुर्सी अदालत के निर्णय से खतरे में थी लेकिन तमाम लोकतांत्रिक मूल्यों को ध्वस्त करते हुए और अदालत के आदेश को धता बताते हुए श्रीमती गाँधी ने देश में आपातकाल लागू कर दिया था। 2008 का विश्वास मत भी हमारे संसदीय इतिहास के सबसे काले क्षणों में से एक है।
बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह एक निर्विवाद सत्य है कि मोदी सरकार के दोनों कार्यकालों में संसदीय उत्पादकता लगातार उ’च रही है। इसमें राज्यसभा भी शामिल है, जहां सरकार के पास अपने कार्यकाल के शुरुआती दिनों में संख्याबल का अभाव था। फिर भी, सरकार ने फ्लोर लीडर्स के साथ मिलकर काम किया और सुचारू सत्र सुनिश्चित किया।
कांग्रेस के माफी मांगने वालों ने सदन में व्यवधान को सुनवाई के साधन के रूप में उचित ठहराने वाले भाजपा नेताओं के पिछले बयानों का हवाला देते हुए आधा-अधूरा तर्क दिया है। ऐसी समानता तथ्यों पर आधारित नहीं है। उन्होंने कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान, कांग्रेस-नीत यूपीए ने संसद की कार्यवाही को बाधित करने के लिए संख्याबल के नाम पर रचनात्मक रूप से विनाशकारी तरीके अपनाए थे। कांग्रेस-प्रभुत्व वाली लोकसभा में कांग्रेस सांसद द्वारा काली मिर्च के छिड़काव को कौन भूल सकता है। यूपीए-2 के दौरान अंतिम कुछ सत्रों को हमेशा यूपीए सदस्यों द्वारा उत्पन्न व्यवधानों के लिए याद किया जाएगा। कई बार मैत्रीपूर्ण पार्टियों का इस्तेमाल अराजकता फैलाने के लिए किया गया। लोकपाल डिबेट के दौरान भी ऐसा देखने को मिला था।
‘राष्ट्रीय और ‘हित ये दो शब्द हमारे कांग्रेस नेताओं के दिमाग में नहीं
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस नेताओं के मन में संसद के प्रति सम्मान, सत्र के दौरान उनके आचरण में देखा जा सकता है। गम्भीर चर्चाओं के बजाय वे आंख मारने और जबरदस्ती गले पडऩे जैसी हरकतों में लिप्त हो जाते हैं। संसद सत्र के बीच से ही गायब हो जाने के साथ-साथ सदन में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं का उपस्थिति रिकॉर्ड भी काफी निराशाजनक है। आज देश की नजर हमारे सांसदों पर है। कड़ी मेहनत से कमाए गए करदाताओं के पैसे उन पर कानून बनाने, बहस करने और राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों को उठाने के लिए खर्च किये जाते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से, ‘राष्ट्रीय और ‘हित ये दो शब्द हमारे कांग्रेस नेताओं के दिमाग में नहीं हैं। अभी भी समय है- उनके पास देश को यह दिखाने के लिए कि वे चर्चा और मर्यादा में रुचि रखते हैं। उनके पास कई मुद्दों को उठाने का अवसर है, उसी तरह सरकार को भी विपक्ष के असत्य को उजागर करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। यही बात संसदीय लोकतंत्र को जीवंत बनाती है। उम्मीद है कि कांग्रेस को नियंत्रित करने वाले सुन रहे होंगे।