23.1 C
New Delhi
Friday, September 13, 2024

संसद के अंदर चल रहा था मानसून सत्र, सड़क पर चली किसान संसद

—संसद के निकट लगी किसानों की संसद, भरी हुंकार, लंबी लड़ाई के लिए तैयार
—पहले दिन दो सत्र में चली किसान संसद, महिलाओं एवं बुजुर्गों का भी मुद्दा उठा
—संसद में तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की सरकार से की मांग
—13 अगस्त तक रोजाना 200 किसान जंतर मंतर पर करेंगे आंदोलन

नयी दिल्ली/ नेशनल ब्यूरो : तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग को लेकर आठ महीनों से भीषण सर्दी-गर्मी और बरसात झेल रहे प्रदर्शनकारी किसान वीरवार को भारतीय संसद के करीब पहुंच गए। किसान ऐतिहासिक जंतर मंतर पर पहुंच गए जहां से कुछ दूरी पर स्थित संसद में मानसून सत्र चल रहा है। किसानों ने यहां तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की। भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के हरपाल सिंह ने अपना भगवा साफा बांधते हुए कहा, हम कई अपनों को खोने के बाद यहां तक पहुंचे हैं। हम लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं। हम तैयारी से आये हैं।पुलिस की सुरक्षा के साथ 200 किसानों का एक समूह चार बसों से सिंघू बॉर्डर से जंतर-मंतर पहुंचा। किसान यहां अपनी पहचान उजागर करने वाले बैज पहनने के साथ-साथ हाथ में अपनी यूनियनों के झंडे लिए हुए नजर आए। प्रदर्शन पूर्वाह्न 11 बजे शुरू होना था, लेकिन किसान यहां 12 बजकर 25 मिनट पर पहुंचे। किसान नेता शिव कुमार कक्का ने बताया कि रास्ते में पुलिस ने उन्हें तीन जगह रोका और उनके आधार कार्ड देखे। हरपाल सिंह ने कहा, पाकिस्तान से आने वाली बस को भी ऐसी कड़ी तलाशी से नहीं गुजरना पड़ता है। सरकार किसानों को परेशान करना चाहती है।उन्होंने कहा, हमारी दो बसें रास्ते में ही खराब हो गयीं और तब पुलिस डीटीसी बसों में लेकर आयी। जंतर-मंतर पर पहुंचने पर किसानों ने हवा में मुक्के लहराते हुए नारेबाजी की और सरकार से तीनों कानून रद्द करने की मांग की। हालांकि प्रदर्शनकारी किसानों को जंतर-मंतर के एक छोटे से हिस्से में सीमित कर दिया गया और पुलिस ने दोनों ओर अवरोधक लगा रखे हैं। ओडि़शा, केरल, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, गुजरात, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के किसान जंतर मंतर पर प्रदर्शन में शामिल हुए।
पहले दिन उन्होंने किसान संसद का आयोजन भी किया जिनमें दो सत्रों में एपीएमसी अधिनियम में बदलावों पर चर्चा हुई। बीच में भोजनावकाश के दौरान लंगर की भी व्यवस्था थी। बहस में महिलाओं एवं बुजुर्गों का भी मुद्दा उठा। तीनों कानूनों का विरोध कर रहे किसानों संगठनों के संयुक्त मंच संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बताया कि केरल के 20 सांसद किसान संसद में पहुंचे और उन्होंने उनके प्रति एकजुटता प्रर्दिशत की। उसने कहा कि किसी भी नेता को मंच साझा नहीं करने दिया गया, इसलिए ये सांसद दर्शक के रूप में शामिल हुए। किसान नेताओं ने कहा कि 13 अगस्त तक रोजाना 200 किसान तीनों कानूनों पर हर उपबंध पर चर्चा करने के लिए प्रदर्शन स्थल पर आयेंगे।

पुलिस ने मध्य दिल्ली के चारों ओर सुरक्षा बढ़ा दी

पुलिस ने मध्य दिल्ली के चारों ओर सुरक्षा बढ़ा दी है और वाहनों की आवजाही पर कड़ी नजर रखी जा रही है। दिल्ली पुलिस के कई दल धरना स्थल की ओर जाने वाली सड़कों पर तैनात हैं, जबकि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की विशेष इकाई के त्वरित कार्य बल के जवान ढाल और डंडों के साथ घटनास्थल पर मौजूद है। पानी की बौछारें करने के वाले टैंक वहां मौजूद हैं और मेटल डिटेक्टर गेट की व्यवस्था भी की गई है। पेयजल के दो टैंकर भी मौके पर मौजूद हैं। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति ने किसानों एवं मीडियार्किमयों के लिए लंगर आयोजित किया। एक एंबुलेंस तैयार रखी गई है।

कोविड-19 के सभी नियमों का पालन किया जाएगा

एसकेएम को एक शपथपत्र देने के लिए कहा गया है कि कोविड-19 के सभी नियमों का पालन किया जाएगा लेकिन बमुश्किल ही किसी को मास्क में देखा गया और उनके बीच दूरी भी नजर नहीं आ रही थी। दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने अधिकतम 200 किसानों को नौ अगस्त तक जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने की अनुमति दे दी है। संसद भवन इससे कुछ ही मीटर की दूरी पर है। इस साल 26 जनवरी को एक ट्रैक्टर परेड के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा के बाद यह पहली बार है, जब अधिकारियों ने विरोध प्रदर्शन करने वाले किसानों को शहर में प्रवेश की अनुमति दी है। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आदेशानुसार कोविड-19 महामारी के मद्देनजर शहर में प्रदर्शन के लिए एकत्र होने की अनुमति नहीं है। गौरतलब है कि दिल्ली से लगे टिकरी बॉर्डर, सिंघू बॉर्डर तथा गाजीपुर बॉर्डर पर किसान पिछले साल नवम्बर से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दी जाए। हालांकि सरकार का कहना है कि ये कानून किसान हितैषी हैं। सरकार और प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही है।

latest news

Related Articles

epaper

Latest Articles