-8 प्रत्याशियों को मिले शून्य वोट, 12 प्रत्याशियों को सिर्फ 1-1 वोट
– 20 प्रत्याशियों को 2-2 वोट पर संतोष करना पड़ा है
-108 से अधिक निर्दलीय प्रत्याशियों को 1 से 10 वोट मिले
-46 सीटों पर हुए चुनाव में कुल 312 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे
नई दिल्ली /अदिति सिंह : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (DSGMC )के चुनाव में सत्ताधारी दल शिरोमणि अकाली दल ने तीसरी बार अपनी वापसी कर दी है, लेकिन इसी चुनाव में किस्मत आजमा रहे 200 से अधिक प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा सके। सभी की जमानत जब्त हो गई। इसमें ज्यादातर आजाद उम्मीदवार या फिर डमी कैंडीडेट के रूप में चुनाव लड़ रहे थे। 46 सीटों पर हुए चुनाव में कुल 312 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे। इसमें से 182 प्रत्याशी 6 धार्मिक दलों ने उतारे थे, जबकि 130 प्रत्याशी निर्दलीय आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े थे। मजेदार बात यह है कि इस चुनाव में करीब 8 प्रत्याशियों को शून्य वोट मिला है। इन प्रत्याशियों ने अपना खुद का वोट अपने की बजाय दूसरों को डाल दिया। इसके अलावा एक दर्जन से अधिक प्रत्याशियों को महज 1-1 वोट मिले हंै। 20 प्रत्याशियों को 2-2 वोट पर संतोष करना पड़ा है। इसी प्रकार 108 से अधिक निर्दलीय प्रत्याशियों को 1 से 10 वोट मिले हैं।
दिल्ली गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय के मुताबिक 27 सीट पर विजय पाने वाले अकाली दल बादल को 40.27 प्रतिशत, शिरोमणि अकाली दल (सरना) को 14 सीटों के साथ 27.79 प्रतिशत वोट, पहली बार चुनाव लड़ रही जागो पार्टी को तीन सीटों के साथ 15.27 प्रतिशत एवं 1 सीट हासिल करने वाले पंथक अकाली दल को 2.3 प्रतिशत वोट मिले हैं।
गुरुद्वारा कमेटी के इस आम चुनाव में सबसे खराब मतदान हुआ है। मतदान के दिन रक्षाबंधन का त्योहार होने के चलते 46 वार्डो पर हुए मतदान में इस बार वोटिंग प्रतिशत बहुत कम रहा। मतदाता घरों से निकले ही नहीं। नतीजन 1,27,472 कुल वोट ही पड़े। मतदान 37.27 प्रतिशत रहा। इसमें से लगभग 7000 वोट रिजेक्ट कर दिए गए। हालांकि पिछले 2017 के आम चुनाव से इस बार करीब 8 फीसदी से कम मतदान हुआ। पिछली बार 45.61 फीसदी वोटिंग हुई थी। इस बार कुल 3,42, 065 वोट बने थे, जिसमें से 1,27, 472 वोट पड़े हैं। इसमें से 68,194 पुरूष मतादाता एवं 59,278 महिला मतदाताओं ने वोट है। चुनाव में दो महिलाएं भी जीतने में सफल रही हैं।
प्रत्याशियों को मिले वोट से ज्यादा मत हुए रिजेक्ट
गुरुद्वारा कमेटी के इस चुनाव में कई सीटों पर प्रत्याशियों को मिलने वाले वोट से ज्यादा मत रिजेक्ट हो गए हैं। कई सीटों पर जीत-हार का अंतर भी बहुत कम रहा। रिजेक्ट होने वाले वोटों ने कई प्रत्याशियों की किस्मत बदल दी। जबकि कईयों को निराशा हाथ लगी और उन्हें 4 साल तक के लिए इंतजार करने पर छोड़ दिया। दक्षिणी दिल्ली के सरिता विहार (वार्ड नंबर 34) में कुल 2346 वोट पड़े हैं। इसमें से 952 वोट रिजेक्ट हो गए। इस सीट पर शिरोमणि अकाली दल दिल्ली और पंथक सेवा दल के प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई है। उन्हें क्रमश : 19 एवं 18 वोट मिले हैं। यहां जीतने वाले प्रत्याशी को 767 वोट मिले हैं। इसी प्रकार रोहिणी वार्ड में कुल 3206 वोट पड़े हैं, जिसमें से 524 वोट को रिजेक्ट कर दिया गया है। इसी प्रकार वार्ड नंबर 27 तिलक विहार में कुल 2164 वोट पड़े थे। इसमें से 488 वोट रिजेक्ट हो गए। 597 वोट पाने वाले की जीत हो गई। सबसे मजेदार मुकाबला वार्ड नंबर 46 के प्रीत विहार में रहा, जहां अकाली दल प्रत्याशी भूपिंदर सिंह भुल्लर की महज 6 वोटों से जीत हासिल हो गई। इसी सीट पर कुल 2905 वोट पड़े थे। इसमें से 131 वोट रिजेक्ट हो गए। विरोधी प्रत्याशी को 917 वोट मिले हैं।
6 फीसदी से कम वोट मिलने वाले की खत्म होगी मान्यता
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव में 6 फीसदी से कम वोट पाने वाले राजनीतिक एवं धार्मिक दल की मान्यता रद्द हो सकती है। इसके अलावा 20 प्रतिशत से कम वोट पाने वाले कंडीडेट की जमानत राशि (5000 रुपये) जब्त हो जाएगी।
कई बार के विजेता सदस्य भी नहीं बचा पाए अपनी सीट
गुरुद्वारा कमेटी में इस बार 13 कमेटी सदस्यों सहित कई दिग्गज चुनाव हार गए। खुद कमेटी अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा 469 वोटों से हार का सामना करना पड़ा, जिसके नेतृत्व में अकाली दल बादल ने पूरा चुनाव लड़ा था। इसके अलावा कमेटी के पूर्व महासचिव गुरमीत सिंह शंटी, कमेटी के उपाध्यक्ष कुलवंत सिंह बाठ, मलकिंदर सिंह, हरिंदर पाल सिंह, मंजीत सिंह औलख, हरजीत सिंह जीके (मंजीत सिंह जीके के भाई), जागो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चमन सिंह, हरजिंदर सिंह, स्वर्ण सिंह बराड़, कुलदीप सिंह साहनी, ओंकार सिंह राजा शामिल हैं। इसमें कई एक्जक्यूटिव मेंबर भी थे।