नई दिल्ली/ खुशबू पाण्डेय : भारतीय जनता पार्टी ने अपनी सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई संसदीय बोर्ड में बड़ा फेरबदल किया है। इसमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी तथा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान को हटा दिया। नवगठित संसदीय बोर्ड में कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा और पंजाब के सिख नेता इकबाल सिंह लालपुरा सहित छह नए चेहरों को शामिल किया गया है। नवगठित संसदीय बोर्ड में अब कोई मुख्यमंत्री नहीं है। इसके साथ ही केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) का भी पुनर्गठन किया गया, जिसमें केंद्रीय मंत्री जुएल ओरांव और पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन की छुट्टी कर दी गई है। सीईसी में नए चेहरों के रूप में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और पूर्व राष्ट्रीय महासचिव ओम माथुर को जगह दी गई है। सीईसी में संसदीय बोर्ड के सभी सदस्यों के अलावा आठ अन्य सदस्य होते हैं। चूंकि गडकरी (65) और चौहान (63) संसदीय बोर्ड का सदस्य होने के नाते सीईसी के सदस्य थे, इसलिए पार्टी की इस महत्वपूर्ण इकाई से भी उनकी छुट्टी हो गई है। अगस्त 2014 के बाद पहली बार इनमें बदलाव किया गया है। लंबे समय से इसकी चर्चा थी। दरअसल, दोनों संगठनों में कई सदस्यों की जगह खाली पड़ी थी।
-भाजपा में चुनाव से पहले बड़ा फेरबदल, दिग्गजों को किया बाहर
-येदियुरप्पा, सोनोवाल, लक्ष्मण, सुधा यादव, जटिया की हुई एंट्री
-पंजाब के सिख नेता इकबाल सिंह लालपुरा का कद बढ़ा, दोनों कमेटियों में जगह
– अगस्त 2014 के बाद पहली बार कमेटियों में बदलाव किया गया
-सीईसी से जुएल ओरांव और शाहनवाज हुसैन की छुट्टी
-केंद्रीय संसदीय बोर्ड एवं केंद्रीय चुनाव समिति की पूरी टीम तैयार
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरूण सिंह के मुताबिक राज्यसभा सदस्य व पार्टी के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लक्ष्मण, अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल ङ्क्षसह लालपुरा, पूर्व सांसद सुधा यादव और वरिष्ठ दलित नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया को संसदीय बोर्ड का सदस्य बनाया गया है। पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ ङ्क्षसह और संगठन महासचिव बीएल संतोष पहले से ही संसदीय बोर्ड के सदस्य हैं। बीएल संतोष संसदीय बोर्ड के सचिव हैं। भाजपा संविधान के मुताबिक पार्टी अध्यक्ष के अलावा 10 अन्य संसदीय बोर्ड के सदस्य हो सकते हैं। पार्टी का अध्यक्ष संसदीय बोर्ड का भी अध्यक्ष होता है। अन्य 10 सदस्यों में संसद में पार्टी के नेता को शामिल किया जाना जरूरी है। पार्टी के महासचिवों में से एक को बोर्ड का सचिव मनोनीत किया जाता है। बता दें कि शिवराज सिंह चौहान एकमात्र मुख्यमंत्री हैं जो लंबे समय से संसदीय बोर्ड के सदस्य थे। अमित शाह जब 2014 में भाजपा के अध्यक्ष बने थे तब उन्होंने चौहान को संसदीय बोर्ड में जगह दी थी। अमित शाह ने उस वक्त वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को संसदीय बोर्ड से हटाकर मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया था। नवगठित संसदीय बोर्ड में अब कोई मुख्यमंत्री नहीं है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पार्टी की इस शीर्ष इकाई में शामिल किए जाने की लंबे समय से अटकलें थी। बता दें कि संसदीय बोर्ड और सीईसी में अब कोई भी पद खाली नहीं है। वर्ष 2020 में भाजपा का अध्यक्ष बनने के बाद जेपी नड्डा ने पहली बार इनमें परिवर्तन किया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली और सुषमा स्वराज के निधन तथा एम वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति और थावरचंद गहलोत के राज्यपाल बन जाने के बाद से संसदीय बोर्ड में कई रिक्तियां थीं।
बोर्ड में सामाजिक और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व की झलक
संसदीय बोर्ड के पुनर्गठन में भारतीय जनता पार्टी ने सामाजिक और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व का भी खासा खयाल रखा है। भाजपा संसदीय बोर्ड में जगह बनाने वाले अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल ङ्क्षसह लालपुरा पहले सिख नेता हैं। वह इसमें अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधित्व करेंगे। सोनोवाल पूर्वोत्तर भारत से ताल्लुक रखने वाले पहले आदिवासी नेता हैं, जिन्हें भाजपा संसदीय बोर्ड में जगह दी गई है। महिलाओं के प्रतिनिधि के तौर पर सुधा यादव को इसमें शामिल किया गया है जबकि के लक्ष्मण ओबीसी समुदाय से आते हैं और वह तेलंगाना से ताल्लुक रखते हैं। येदियुरप्पा कर्नाटक से हैं और वह वहां के प्रभावी ङ्क्षलगायत समुदाय से आते हैं। इस प्रकार से संसदीय बोर्ड में दक्षिण से दो नेताओं को जगह दी गई है। कर्नाटक और तेलंगाना में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। येदियुरप्पा और जटिया 75 वर्ष से अधिक उम्र के हैं। ज्ञात हो कि पार्टी ने नेताओं को पार्टी संगठन व सरकारों में शामिल नहीं करने की अनौपचारिक उम्र सीमा 75 वर्ष तय की है। इसी के तहत येदियुरप्पा की जगह पार्टी ने कर्नाटक में बसवराज बोम्मई को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाया था।
महाराष्ट्र की राजनीति में उलटफेर का फडणवीस को इनाम
नई सीईसी में संसदीय बोर्ड के सभी सदस्यों के अलावा भूपेंद्र यादव, फडणवीस और ओम माथुर को जगह दी गई है। महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले दिनों हुए उलटफेर के इनाम के तौर पर फडणवीस को सीईसी में जगह दी गई है। शिवसेना के बागी नेताओं के साथ मिलकर उन्होंने महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाआघाड़ी की सरकार को हटाने में प्रमुख भूमिका निभाई थी। मुख्यमंत्री एकनाथ ङ्क्षशदे के नेतृत्व वाली सरकार में उन्होंने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के कहने के बाद उपमुख्यमंत्री पद स्वीकार किया था जबकि वह पूर्व में राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
वनथी श्रीनिवासन सीईसी की पदेन सदस्य
पार्टी की महिला मोर्चा की अध्यक्ष होने के नाते वनथी श्रीनिवासन केंद्रीय चुनाव समिति की पदेन सदस्य होंगी। उनसे पहले विजया रहाटकर महिला मोर्चा की अध्यक्ष होने की वजह से सीईसी की पदेन सदस्य थीं। रहाटकर की जगह श्रीनिवासन को 2022 में महिला मोर्चा के अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।