नयी दिल्ली/नेशनल ब्यूरो : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी(DSGMC) के आतंरिक चुनाव में शनिवार को पूरे दिन हंगामा, विरोध, हाथापाई और बहसबाजी जमकर हुई। आखिरकार, आधी रात को भारी पुलिस बल के कडे पहरे के बीच अकाली दल के प्रदेश अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका को अध्यक्ष चुना गया। कालका वर्तमान में गुरुद्वारा कमेटी के महासचिव भी हैं। इसके अलावा हरविंदर सिंह केपी को वरिष्ठ उपाध्यक्ष,आत्मा सिंह लुभाणा को जूनियर वाइस प्रेसीडेंट एवं जगदीप सिंह काहलों को महासचिव चुना गया। नए कार्यकारिणी चुनाव को लेकर कमेटी दफ्तर गुरु गोविंद सिंह भवन में सारा दिन गहमागहमी जारी रही। दिनभर स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। मीटिंग की शुरुआत के बाद जब अस्थायी सभापति के चुनाव का समय आया तो संयुक्त विपक्ष की तरफ से एसजीपीसी के अध्यक्ष एवं शिरोमणि कमेटी के प्रतिनिधि हरजिंदर सिंह धामी का नाम आगे बढाया गया, जिसका अकाली दल बादल के लोगों ने विरोध किया। जवाब में उन्हेंाने गुरुदेव सिंह का नाम आगे बढ़ा दिया। धामी ने अपनी ही पार्टी के लोगों का विरोध सामने देखकर अस्थायी सभापति बनने की अपनी सहमति नहीं दी ।
—हरविंदर सिंह केपी को वरिष्ठ उपाध्यक्ष,जगदीप सिंह काहलों बने महासचिव
—गुरुद्वारा चुनाव को लेकर दिनभर चला हंगामा, विरोध और हाथापाई
-एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी का अकाली दल सदस्यों ने ही किया विरोध
-धामी को अकालियों ने नहीं बनने दिया अस्थायी सभापति
जिस वजह से गुरदेव सिंह अस्थायी सभापति बन गए। सभापति बनते ही गुरदेव सिंह ने ऐलान किया कि अध्यक्ष का चुनाव हाथ खड़े करवा कर होगा। इसका पूर्व कमेटी अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके ने तीखा विरोध किया। साथ ही गुरुद्वारा चुनाव निदेशक नरिंदर सिंह को चुनाव नियम गुरदेव सिंह को पढ़वाने की अपील की। इसके बाद निदेशक ने गुरदेव सिंह को चुनाव कराने की पूरे नियम बताए। साथ ही यह भी बताया कि मतदान की प्रक्रिया गुप्त मतदान के जरिये होती है। इसके बाद गुरदेव सिंह ने अध्यक्ष पद के लिए कमेटी सदस्यों से नाम मांगा। सत्तापक्ष की तरफ से हरमीत सिंह कालका के नाम का प्रस्ताव आया। जबकि संयुक्त विपक्ष की तरफ से परमजीत सिंह सरना का नाम सामने आया। दोनों उम्मीदवारों के चुनाव लडऩे की सहमति देने के बाद मतदान प्रकिया शुरू हुई। लेकिन दूसरा वोट डालने आए कमेटी सदस्य सुखबीर सिंह कालरा ने अपने हाथ में ली हुई पर्ची को साथ के सदस्य को दिखा दिया, वो किसको वोट डालने जा रहे हैं। इसी पर विरोधी सदस्यों ने आपत्ति जताई और आरोप लगाया कि कालरा का वोट अवैध घोषित किया जाए। यहीं से विवाद शुरू हो गया। इसी बहसबाजी के बीच एक और सदस्य ने वोट डाल दिया। 51 में से 3 वोट डलने के बाद चुनाव प्रक्रिया रुक गई। कई घंटे तक चले गतिरोध के बाद भी नतीजा नहीं निकला। विपक्ष की मांग रही कि कालरा का वोट रदद करके मतदान करवाया जाए लेकिन अस्थायी सभापति गुरदेव ङ्क्षसह का कहना है कि वे हाथ खड़े करवाकर ही मतदान करवाएंगे। इसकी वीडियों भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई। इस बीच दो सदस्यों की तबियत भी बिगड़ गई। कुछ देर बात स्थिति सामान्य हुई और फिर तकरार शुरू हो गया।
बता दें कि इस चुनाव में अध्यक्ष सहित पांच पदाधिकारियों एवं 10 कार्यकारिणी सदस्यों का चुनाव किया गया। गुरुद्वारा चुनाव निदेशक नरिंदर सिंह ने श्री गुरुग्रंथ साहिब की हजूरी में सभी सदस्यों को शपथ दिलवाई। उसके बाद अस्थायी सभापति का मनोनयन हुआ।