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Tuesday, February 11, 2025

Maha Kumbh : मकर संक्रांति पर 3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में लगाई डुबकी

प्रयागराज /सुनील पाण्डेय : विश्व के सबसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन महाकुम्भ 2025 में मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर आज अविरल और निर्मल त्रिवेणी संगम में शाम 05.30 बजे तक कुल 3.50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पहला अमृत स्नान किया। यह जानकारी उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने अपने एक्स पोस्ट के माध्यम से दी। यह आयोजन न केवल आस्था, विश्वास और श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि एकता, समता और सांस्कृतिक विविधता के अद्भुत उदाहरण के रूप में भी है।
संगम के तट पर श्रद्धालु जो मकर संक्रांति के दिन गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र जल में डुबकी लगाने के लिए पहुंचे । इस अवसर पर भारतीयों के साथ-साथ विदेशों से भी श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आए । अमेरिका, फ्रांस, इज़राइल, ईरान, पुर्तगाल समेत कई अन्य देशों के नागरिक भारतीय संस्कृति और आस्था से अभिभूत होकर अपने परिवारों के साथ संगम में स्नान करने पहुंचे।

—मेला क्षेत्र में 50,000 से अधिक सुरक्षा कर्मी तैनात
—घाटों पर तैनात रहे गंगा सेवा दूत
—महाकुम्भ 2025 में पहली बार मनाया गया भोगाली बिहू पर्व
—असमिया संस्कृति का अद्वितीय आयोजन
—महाकुम्भ मेला में भारत की सांस्कृतिक धरोहर की दिख रही है अदभुत झलक
— विदेशी श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर अनुभव किया भारतीय आस्था का अद्भुत संगम

महाकुम्भ के इस ऐतिहासिक अवसर पर सुरक्षा व्यवस्था, स्वच्छता और व्यवस्थापन पर विशेष ध्यान दिया गया है। पूरे मेला क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर अभूतपूर्व इंतजाम किए गए है। मेला क्षेत्र में 50,000 से अधिक सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की गई है, जिनमें पुलिस, पैरा मिलिट्री फोर्स, और स्थानीय सुरक्षा कर्मी शामिल हैं।

Maha Kumbh : मकर संक्रांति पर 3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में लगाई डुबकी

महाकुम्भ मेला प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी उपाय किए हैं। इसके अलावा, घाटों पर गंगा सेवा दूतों की तैनाती की गई हैं, जो नदी की स्वच्छता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इन गंगा सेवा दूतों ने श्रद्धालुओं द्वारा अर्पित फूलों और अन्य सामग्रियों को तुरंत नदी से बाहर निकालकर गंगा और यमुना की स्वच्छता बनाए रखी।
महाकुम्भ मेला प्रशासन और स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ पुलिस प्रशासन, स्वच्छताकर्मियों, स्वयंसेवी संगठनों, नाविकों और केंद्र व प्रदेश सरकार के सभी विभागों का योगदान रहा, जो इस ऐतिहासिक आयोजन को सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने में लगे हुये हैं।
महाकुम्भ 2025 में इस बार एक नई परंपरा भी देखने को मिली। मकर संक्रांति के अवसर पर महाकुम्भ मेला परिसर में पहली बार पूर्वोत्तर भारतीय संस्कृति का एक अभूतपूर्व रूप देखने को मिला। असम के प्रसिद्ध पर्व भोगाली बिहू का आयोजन महाकुम्भ मेला परिसर में किया गया।

महिला श्रद्धालुओं ने असमिया संस्कृति का अद्भुत रंग महाकुम्भ

Maha Kumbh : मकर संक्रांति पर 3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में लगाई डुबकी

असम के संतों और श्रद्धालुओं ने इस पर्व को परंपरागत तरीके से मनाया, जिसमें बिहू नृत्य, नाम कीर्तन और चावल से बने व्यंजन वितरित किए गए। यह पर्व पूर्वोत्तर संस्कृति का प्रतीक है और महाकुम्भ में इसकी उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी खास बना दिया। बिहू नृत्य के दौरान महिला श्रद्धालुओं ने असमिया संस्कृति का अद्भुत रंग महाकुम्भ मेला परिसर में बिखेर दिया।
भोगाली बिहू के अलावा महाकुम्भ मेला क्षेत्र में कई और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया। विभिन्न राज्यों के श्रद्धालुओं और कलाकारों ने अपने पारंपरिक नृत्य और संगीत प्रस्तुत किए, जिससे महाकुम्भ के दौरान भारत की सांस्कृतिक विविधता की झलक मिली। साथ ही, महाकुम्भ मेला प्रशासन ने इस अवसर पर विभिन्न सेवाओं का भी आयोजन किया, जैसे कि मुफ्त चिकित्सा सुविधा, फ्री पानी की व्यवस्था, और यातायात की सुविधाएं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।

सांस्कृतिक धरोहर को दुनिया भर में पहचान मिली

महाकुम्भ 2025 का आयोजन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देने में सफल रहा है। महाकुम्भ मेला प्रशासन ने इस आयोजन को दिव्य और भव्य रूप में प्रस्तुत किया है। महाकुम्भ की लोकप्रियता और सांस्कृतिक धरोहर को दुनिया भर में पहचान मिली है। महाकुम्भ में आने वाले विदेशी श्रद्धालु भारतीय संस्कृति से प्रभावित हुए और गंगा स्नान के साथ-साथ भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का अनुभव लिया। महाकुम्भ ने भारत की ब्रांडिंग को भी वैश्विक स्तर पर मजबूत किया है। महाकुम्भ 2025 का यह आयोजन आस्था, एकता और विविधता का प्रतीक है। यह आयोजन केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को भारतीय संस्कृति की महानता का एहसास करा रहा है। महाकुम्भ मेला न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है।

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