नई दिल्ली /खुशबू पाण्डेय : भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) ने दिल्ली की उत्तर पश्चिमी लोकसभा सीट से सांसद एवं सूफी सिंगर हंसराज हंस का टिकट काट दिया। हंसराज हंस की सीट पर पहले से ही प्रत्याशी बदलने की चर्चा थी। भाजपा की बुधवार शाम जारी हुई लोकसभा की दूसरी लिस्ट में उनकों टिकट नहीं दिया गया। उनकी जगह पार्टी ने योगेंद्र चंदौलिया को उतारा है। योगेंद्र दिल्ली के पूर्व मेयर भी रह चुके हैं। दिल्ली की उत्तर पश्चिमी लोकसभा सीट सुरक्षित सीट घोषित है। हंसराज हंस को पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में पंजाब से लाकर दिल्ली में चुनाव लड़ाया गया था। इस चुनाव में मोदी लहर के चलते हंसराज ने 5,53,897 वोटों से अपने प्रतिद्वंदी और आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के उम्मीदवार को गुग्गन सिंह को हराया था। अब दिल्ली की सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारे जा चुके हैं। दिल्ली में लोकसभा की कुल 7 सीटें हैं। भाजपा के आज के इस फैसले से ऐसा कहा जा सकता है कि सांसद हंसराज हंस की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सियासती पारी खत्म हो गई।
-सांसद से स्थानीय कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी भी थे नाराज
-दिल्ली की सुरक्षित सीट उत्तर पश्चिमी से वर्तमान सांसद हैं हंस
-अकाली दल से शुरू की थी सियासी पारी, सभी दलों की नांव पर रहे सवार
-अपने लोकसभा क्षेत्र में रेगुलर समय भी नहीं दे पाते थे हंस
-हंस का टिकट काट दिल्ली के पूर्व मेयर योगेंद्र चंदोलिया को उतारा
—पंजाब केसरी ने पहले ही टिकट कटने की जताई थी संभावना
—भाजपा में शामिल होने के बाद हंस ने मोदी को कहा था बब्बर शेर
बता दें कि पंजाब केसरी ग्रुप ने पहले ही संभावना जताई थी कि सांसद हंसराज हंस का टिकट कटना तय है। आज आई लिस्ट में संभावना सच में बदल गई। सूत्रों के मुताबिक हंसराज हंस अपने लोकसभा क्षेत्र में रेगुलर समय भी नहीं दे पाते थे। यही कारण है कि पार्टी के कार्यकर्ता और पदाधिकारी नाराज चल रहे थे। हंसराज स्थानीय लोगों के बीच भी पूरे कार्यकाल के दौरान नहीं पहुंच पाए। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की इस सुरक्षित सीट पर सभी की नजरें होती हैं। बावजूद इसके सांसद अपने काम में गंभीर नहीं रहे। यही कारण है कि पार्टी ने उनसे किनारा कर लिया। हालांकि पार्टी का एक धड़ा यह भी हवा उड़ा रहा है कि हंसराज हंस को पंजाब की किसी लोकसभा सीट से उतारा जा सकता है। लेकिन, पार्टी के वरिष्ठ ने इस खबर को खारिज करते हैं। सूफी गायक हंसराज हंस ने सियासी पारी शिरोमणि अकाली दल से शुरू की थी। इसके बाद अकाली दल छोड़कर कांग्रेस पार्टी का हाथ थाम लिया। हंसराज हंस ने अकाली दल की टिकट पर 2009 का लोकसभा चुनाव लड़ा था मगर वह कांग्रेस के मोहिंदर सिंह केपी से हार गए थे। पिछले चुनाव में पार्टी ने उनकी बजाय पवन टीनू को उम्मीदवार बनाया था जिसके बाद उनके पार्टी नेतृत्व के साथ रिश्तों में खटास आ गई थी। कांग्रेस में शामिल होने के बाद भी उन्हें राज्यसभा सदस्य बनवाने में कैप्टन अमरिंदर सिंह नाकाम रहे थे, क्योंकि तब प्रताप सिंह बाजवा और अन्य नेताओं के दबाव में पूर्व प्रदेश प्रधान व पूर्व सांसद शमशेर सिंह दूलों को राज्यसभा भेज दिया गया था। इसके बाद हंस को विधानसभा चुनाव लड़ाने का भी कांग्रेस में अंदरखाते विरोध होता रहा है। यही वजह रही कि उन्होंने भाजपा में शामिल होने का फैसला लिया। इसके बाद वह दिल्ली में भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हुए। पंजाब विधानसभा चुनाव से ऐन वक्त पहले भाजपा में शामिल हुए हंस दोआबा क्षेत्र में अच्छा प्रभाव रखते हैं। भाजपा में शामिल होने के बाद हंस ने कहा था कि मेरी इमेज के हिसाब से पार्टी जहां भी मेरी ड्यूटी लगाएगी उसे वह स्वीकार करेंगे। उन्होंने कहा, जहां मोदी हैं वहां कमजोरी नहीं हो सकती। मोदी बब्बर शेर हैं। बीजेपी ने उत्तर पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट से पंजाबी सिंगर हंसराज हंस को अपना उम्मीदवार बनाया था। इस सुरक्षित सीट से उन्हें मौजूदा सांसद उदितराज की जगह पर पार्टी का टिकट दिया था।
उत्तर पश्चिमी दिल्ली : हर चुनाव में नया चेहरा संसद पहुंचा
राजधानी दिल्ली के उत्तर पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट का पिछला इतिहास देखें तो हर चुनाव में नया चेहरा संसद पहुंचा है। यह सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी। साल 2009 में यहां पहली बार चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस की कृष्णा तीरथ को जीत मिली। इसके बाद 2014 में बीजेपी के टिकट पर उदित राज जीतकर संसद पहुंचे। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने हंसराज हंस को उतारा और भारी जीत दर्ज की। अब 2024 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने अपना प्रत्याशी बदल दिया। यानि अगर भाजपा की जीत होती है तो फिर नया चेहरा होगा।