——हजूर साहिब कमेटी की कार्यकारणी का चुनाव,पंथक भावनाओं का निरादर: साधु
——अकाली दल खामोश, अपनी जिम्मेदारी निभाए
(पीपी सिंह)
नई दिल्ली । तख्त श्री हजूर साहिब के एक्ट में महाराष्ट्र सरकार द्वारा किया गया संशोधन सीधे तौर पर सिखों के धार्मिक मामलों में दखलअंदाजी तथा सिखों के गुरुद्वारों को सरकारी नियंत्रण में लेने की कोशिश हैं। लेकिन अंग्रेजों की इसी मानसिकता के विरोध के कारण अस्तित्व में आया शिरोमणी अकाली दल आज कथित तौर पर चुप ही नहीं बल्कि दल पर तख्त साहिब के सरकारी कब्जे को मान्यता देने के आरोप भी लग रहें है। यह गंभीर आरोप तख्त श्री पटना साहिब कमेटी की धर्मप्रचार कमेटी के पूर्व चेयरमैन भाई भूपिंदर सिंह साधु ने मीडिया से बातचीत के दौरान अकाली दल व शिरोमणी कमेटी के नेताओं पर लगाए।
साधु ने बताया कि 22 जनवरी 2019 को केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस को टवीट टैग करके तख्त साहिब के 1956 के एक्ट अनुसार कमेटी के 17 सदस्यों को नया अध्यक्ष चुनने की आजादी देने की अपील की थी। साथ ही कमेटी के कामकाज में सरकारी दखलअंदाजी न करने की भी ताकिद की थी। जिसके जवाब में मुख्यमंत्री ने अफवाहों पर ध्यान न देने की केंद्रीय मंत्री को अपील करते हुए सरकार द्वारा इस संबंधी एक्ट में संशोधन न करने का भरोसा दिया था। साथ ही दिल्ली कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी गुरदवारों के प्रबंध में सरकारी दखल का विरोध करते हुए मामला हल न होने पर भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने की भी धमकी दी थी।

साधु ने बताया कि अकाली नेताओं की चेतावनी के बावजूद महाराष्ट्र सरकार ने भूपिंदर सिंह मिन्हास को 8 मार्च को न केवल कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया बल्कि 17 सदस्यों के सदन में केवल 9 सदस्यों की नियुक्ति की अधिसूचना के सहारे सदन की पहली बैठक 12 जून को करके गुरिन्दर सिंह बावा को उपाध्यक्ष व रविंदर सिंह को सचिव तथा 3 सदस्यों को कार्यकारणी सदस्य भी नियुक्त कर दिया। नए सदन की इस पहली बैठक में शिरोमणी कमेटी के अध्यक्ष गोबिन्द सिंह लोंगोवाल सहित 4 शिरोमणी कमेटी प्रतिनिधियों ने भी बतौर सदस्य हिस्सा लिया था। साधु ने कहा कि जिस कमेटी की नींव सिखों की कुर्बानीयों के कारण पड़ी हों,उस कमेटी के सदस्य ही कौम के गुरुधामों को सरकारी झोली में डालते हुए सरकारी दखल को मान्यता दें,इससे बड़ी शर्म की बात ओर क्या होंगी?
संगत की भावनाओं की तर्जमानी कर रहा है अकाली दल
साधु ने कहा कि अकाली दल पर इस बार संगत की भावनाओं की तर्जमानी करने की जगह नजरअंदाज करने के आरोप लग रहें हैं। जिस दल ने अंग्रेजो व महंतों से कौम के गुरुद्वारे आजाद करवाए थे,मोर्चे लगाए थे, आज वो अपनी गठबंधन सहयोगी के आगे नतमस्तक या असहाय नजर आ रहा हैं। यह कौम के लिए नमोशी भरी स्थिति हैं। जिसके परिणाम स्वरूप अकाली नेताओं को हजूरी संगत का विरोध भी झेलना पड़ा था।
ये सच है कि धार्मिक स्थलों पर भी सरकार विभिन्न तरीके से घुसपैठ करने की कोशिश करने में लगी है(