–सरकार जल्द लागू करने जा रही है देश में नया मोटर वाहन कानून
–20 साल से चल रही आटो रिकॉल पर जागी सरकार, शुरु की पहल
–परिवहन मंत्रालय ने जारी की नोटिफिकेशन, मांगे सुझाव
-5 फीसदी गाडिय़ों में खराबी हुई तो सभी गाडिय़ां सड़कों से हटेंगी
(खुशबू पाण्डेय)
नई दिल्ली / टीम डिजिटल : केंद्रीय परिवहन मंत्रालय नए वाहनों के पंजीकरण, ड्राइविंग लाइसेंस और पुराने वाहनों को वापस लिए जाने के संबंध में मोटर वाहन नियमों में संशोधन करने जा रहा है। इसके तहत किसी भी कंपनी के वाहन में अगर 5 फीसदी एवं उससे अधिक तकनीकी खराबी आती है तो उस लॉट की सभी गाडियां मैन्युफैक्चर्स को वापस लेना होगा। यानि 5 फीसदी खराबी आने पर पूरा 100 प्रतिशत गाडिय़ों को सड़कों से हटाना अनिवार्य होगा। साथ ही अगर उक्त गाड़ी से किसी का एक्सीडेंट होता है और किसी को चोट लगती है तो वाहन निर्माता कंपनी को मुआवजा भी देना पड़ेगा। इस व्यवस्था को आटो रिकॉल कहते हैं। इस कानून की डिमांड 1999 से चल रही है। अब जाकर सरकार ने सुध ली है।
इस बावत परिवहन मंत्रालय ने इस क्षेत्र से जुड़े सभी हितधारकों और आम जनता से सुझाव मांगे हैं। सबकुछ ठीक रहा तो इस वर्ष के आखिर तक या अगले साल के शुरुआत में यह कानून देश में लागू हो जाएगा।
इस बावत 18 मार्च को परिवहन मंत्रालय ने दो नोटिफिकेशन भी जारी किए गए हैं, जिन्हें सरकार के अधिकृत वेबसाइट पर देखा जा सकता है। जानकारी के मुताबिक ड्राफ्ट अधिसूचना में एमवीएए की धारा 4-28 भी शामिल है। इसमें कई पहलू भी शामिल हैं।
मसलन, इलेक्ट्रॉनिक प्रपत्रों और दस्तावेजों का उपयोग (मेडिकल सर्टिफिकेट, लर्नर लाइसेंस, डीएल का परित्याग, डीएल का नवीनीकरण), ऑनलाइन लर्निंग लाइसेंस, नेशनल रजिस्टर, डीलर प्वाइंट पंजीकरण, 60 दिन पहले पंजीकरण का नवीनीकरण, व्यापार प्रमाणपत्र – इलेक्ट्रॉनिक पहलू शामिल है। इसके अलावा 06 महीने के लिए अस्थायी पंजीकरण, 30 दिनों के एक्सटेंशन (बॉडी बिल्डिंग इत्यादि) के साथ। वाहनों और अनुकूलित वाहनों के लिए ऑल्टरेशन, रेट्रो फिटमेंट, ऑल्टर्ड वाहनों के लिए बीमा को भी शमिल किया गया है।
इसके अलावा एक अन्य ड्राफ्ट अधिसूचना में एमवीएए की धारा 39-40 भी शामिल है।
इसमें दोषपूर्ण वाहनों को वापस लिए जाने की नीति, वापस लिए जाने के लिए प्रक्रिया, जांच अधिकारी की विस्तृत प्रक्रिया, समयबद्ध तरीके से जांच प्रक्रिया (06 महीने) एवं परीक्षण एजेंसियों की भूमिका पर विशेष फोकस किया गया है। इसके अलावा निर्माताओं, आयातकों और रेट्रोफिटर्स के दायित्व एवं परीक्षण एजेंसियों की आधिकारिक मान्यता को भी ध्यान में रखा गया है।
सूत्रों के मुताबिक परिवहन मंत्रालय ने लोगों के सुझावों एवं टिप्पणियों को 17 अप्रैल तक मांगा है। इसके बाद मोटर वाहन नियमों में संशोधन की प्रक्रिया शुरू होगी।
टेस्टिंग एजेंसी की होगी बड़ी जिम्मेदारी
परिवहन विशेषज्ञों की माने तो इस अधिनियम के लागू होने के बाद सबसे बड़ी जिम्मेदारी गाडिय़ों की टेस्टिंग करने वाली कंपनियों की होगी। नई गाड़ी जो भी बन कर आती है उसकी टेस्टिंग रजिस्टर्ड एजेंसी के जरिये होती है। उन एजेंसियों की जिम्मेदारियां भी इस कानून के आने के बाद सुनिश्चित की जा सकेगी। साथ ही अगर कोई खराब गाड़ी या मॉडल को अगर पास कर देते हैं, और सड़क पर गाड़ी में खामियां आ जाती है तो टेस्टिंग एजेंसी सीधे जिम्मेदार होगी। इसके अलावा जो भी गाड़ी खराब होगी उसकी जांच 6 महीने में पूरा करना होगा।
रोड सेफ्टी के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों का होना बहुत जरूरी : एसपी सिंह
परिवहन विशेषज्ञ एवं आईएफटीआरटी के कोआर्डिनेटर एसपी सिंह की माने तो रोड सेफ्टी के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों का होना बहुत जरूरी है, जो अब तक नहीं था। एक तरफ हमारे वाहन निर्माता कंपनियां कहती हैं हमारी गाडिय़ां वल्र्ड क्लास की हैं, तो फिर उसपर जिम्मेदारी भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होनी चाहिए। वैसे भी इस अधिनियम की लंबी लड़ाई चल रही थी अब जाकर सरकार नियम ओर कानून बनाने की शुरुआत की है। सबकुछ ठीक रहा तो इस वर्ष के आखिर या अगले साल के शुरू में नया कानून देश में लागू हो जाएगा।