—सोशल मीडिया मचा रही सारे जग में ख़ूब धमाल
—यौन उत्पीडन बढ़े जा रहा अश्लील वेबसीरीज का है ये कमाल
(पिंकी सिंघल)
यूं तो मनोरंजन करने के हम सभी के पास अनेकों ऑप्शन उपलब्ध होते हैं,परंतु मनोरंजन करने का प्रत्येक व्यक्ति का अपना अलग तरीका होता है ।कहने का मतलब यह है कि जिस भी साधन से व्यक्ति को संतुष्टि मिलती है वह उसी की तरफ आकर्षित होता है और वही मनोरंजन का साधन उसके लिए उसका फेवरेट साधन बन जाता है ।जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आजकल भारतीय संस्कृति पर पाश्चात्य संस्कृति का काफी अधिक प्रभाव देखने को मिलता है तो जाहिर सी बात है कि मनोरंजन के क्षेत्र में भी हम सभी पाश्चात्य साधनों में अपनी संतुष्टि ढूंढने का प्रयास करते हैं ।
जी हां ,आज हम बात कर रहे हैं मनोरंजन के अति नवीन साधन वेब सीरीज की ।दोस्तों ,वेब सीरीज नेक्स्ट लेवल का कंटेंट होता है जिसमें वह सभी चीजें खूब धड़ल्ले से दिखाई जाती हैं जो हम एक नॉर्मल मूवी में अक्सर नहीं देख पाते हैं। कहने का मतलब यह है कि वेब सीरीज थिएटर का नया विकल्प है ।गौरतलब है कि वेब सीरीज पर किसी भी प्रकार का कोई भी नियंत्रण किसी भी बोर्ड का नहीं होता है ।अर्थात फिल्म अथॉरिटी अथवा सेंसर बोर्ड का इस प्रकार की वेबसिरीज से कोई विशेष लेना देना नहीं होता ।वेब सीरीज निर्माता मनचाहा निर्मित कर सकते हैं और बेधड़क मार्केट में लॉन्च कर सकते हैं। वे जो चाहें अपलोड कर अधिक से अधिक दर्शकों तक पहुंचा सकते हैं और यदि उनकी वेब सीरीज दर्शकों को पसंद आती है तो वे बड़ा मुनाफा भी कमा सकते हैं ।वैसे ये अक्सर सामान्य फिल्मों से बड़ी होती है क्योंकि वेब सीरीज में विभिन्न एपिसोड के माध्यम से कहानी को अंजाम दिया जाता है। सीरिज की कोई लिमिट नहीं होती जितनी भी लंबी चल सकती है ।थिएटर पर दिखाई जाने वाली फिल्में 2 से 3 घंटे के बीच की होती हैं।परंतु वेब सीरीज की कोई इस प्रकार की लिमिट नहीं होती।
पिछले 2 सालों में कोरोना महामारी के चलते जबकि सभी लोग घरों में रहकर ही अधिकतर समय व्यतीत कर रहे हैं, वेब सीरीज का ट्रेंड काफी तेजी से बढ़ा है और ओटीटी प्लेटफार्म पिछले 2 वर्षों में जिस गति से बड़ा है उतना शायद पिछले कई सालों से नहीं बढ़ा था ।वैसे तो वेब सीरीज द्वारा हम अपने मनपसंद अभिनेताओं और अभिनेत्रियों के अच्छे प्रदर्शन को सीरीज के माध्यम से अपनी सहूलियत के हिसाब से देख सकते हैं और इन्हीं के माध्यम से हमें अंतरराष्ट्रीय फिल्में भी देखने को मिल जाती हैं।
अश्लील वेबसाइट देखने से यौन उत्पीड़न के मामलों में वृद्धि
आज मेरे इस लेख का मुख्य मुद्दा यह है कि अश्लील वेब सीरीज यौन उत्पीड़न को किस हद तक बढ़ावा देती हैं, क्या अश्लील वेब सीरीज देखने से समाज में यौन उत्पीड़न के ज्यादा केस देखने को मिलते हैं?जी हां, यह निर्विवाद रूप से सत्य है कि अश्लील वेबसाइट देखने से यौन उत्पीड़न के मामलों में उत्तरोत्तर वृद्धि होती है। इसके पीछे छिपे कारण को जानना यहां अति आवश्यक हो जाता है। सबसे प्रमुख कारण यह है कि अश्लील वेब सीरीज पर कोई लगाम या नियंत्रण नहीं लगाया जा सकता अर्थात इन वेब सीरीज तक दर्शकों की पहुंच बहुत आसान है ,फिर चाहे वह दर्शक किसी भी आयु वर्ग के क्यों ना हों।
बच्चों की पहुंच वेब सीरीज तक आसान हो गई
छोटे से छोटे बच्चे भी आज की तिथि में इस तरह की वेब सीरीज देखने के लिए पूर्णतया स्वतंत्र होते हैं। ऑनलाइन क्लासेस की वजह से पेरेंट्स और अभिभावक बच्चों के हाथ में मोबाइल फोन देने के लिए मजबूर हैं जिसके चलते बच्चों की पहुंच वेब सीरीज तक आसान हो गई है ।वेब सीरीज में क्योंकि किसी प्रकार की कोई रोक-टोक नहीं होती तो बच्चे अपनी मनमर्जी से जो चाहे वहां देख सकते हैं। अभिभावक या पैरंट्स दिन के 24 घंटे बच्चे के साथ बंधकर नहीं रह पाते ऐसे में बच्चों के लिए स्वतंत्र वातावरण होता है कि वह वेब सीरीज बिना किसी भय के देखें। यदि भय भरे वातावरण में भी देखा जाए तो भी बाल दर्शकों के मन पर इन अश्लील वेब सीरीज की ऐसी छाप छूट जाती है जिसको वे तमाम उम्र भुला नहीं पाते हैं ।कच्ची उम्र में जिन चीजों पर देखने के लिए बैन होना चाहिए जब उसी सामग्री को कच्ची उम्र के बच्चे धड़ल्ले से देखते हैं तो उनमें यौन के प्रति आकर्षण पैदा होता है।
अश्लील वेब सिरीज देखने से हूबहू करने के प्रयास करते हैं दर्शक
अश्लील वेब सिरीज देखने से दर्शक हूबहू वैसा ही करने के प्रयास करते हैं और जब अपने प्रयासों में उन्हें सफलता हासिल नहीं होती तो वे हिंसक प्रवृत्ति के शिकार हो जाते हैं।तब वे किसी भी कीमत पर वह सब कुछ पा लेना चाहते हैं जो वह इन वेब सीरीज में देखते हैं ।परंतु फिल्मों में और हकीकत में बहुत फर्क होता है यह फर्क उस अवस्था में उन्हें समझ नहीं आता जिसका खामियाजा उन्हें ताउम्र भुगतना पड़ता है।होता यह है कि अपनी इच्छाओं को शांत करने के लिए वे किसी भी हद तक गिर जाते हैं और भूल जाते हैं कि चरित्र का हमारे जीवन में क्या महत्व होता है ।चरित्र की महत्ता को दरकिनार कर वे गंदी आदतों का शिकार होते हैं और समाज द्वारा स्थापित प्रतिमानों से कोई सरोकार नहीं रखते, अपितु नैतिक मूल्यों को भूल स्वयं को आधुनिक बनाने की होड़ में कुछ भी कर गुजरते हैं।
सरकार को वेबसिरिज पर शिकंजा कसने की जरूरत
यहां मेरे कहने का यह आश्य बिल्कुल नहीं है कि केवल वेब सीरीज या अश्लील वेब सीरीज देखने से ही समाज में यह सब अनहोनी हो रही हैं। इस प्रकार की गंदी हरकतों और कुकृत्यों के पीछे अनेक और भी कारण होते हैं। परंतु वेब सीरीज यौन उत्पीड़न को बढ़ावा देता है इस बात से भी तो इंकार नहीं किया जा सकता ।सरकार को इस प्रकार की वेबसिरिज पर शिकंजा कसने की जरूरत है और अगर सरकार ऐसा करने में असफल रहती है तो वह दिन दूर नहीं जब भारतीय संस्कृति और सभ्यता अपना मौलिक स्वरूप खो देगी और शनै: शनै: धूमिल होकर विलुप्त होने के कगार तक पहुंच जाएगी।