–दिल्ली गुरुद्वारा चुनाव से ऐन पहले सरना पार्टी को बड़ी राहत
– बाला साहिब अस्पताल के मुद्दे पर मिली क्लिीन चिट, किया दावा
-चुनाव लडऩे के लिए धार्मिक पार्टी के तौर पर मान्यता बहाल
–सरना का दावा, अकालियों ने उनके खिलाफ झूठा प्रचार किया
नई दिल्ली/ अदिति सिंह : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के आम चुनावों के ऐन पहले शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) को बड़ी राहत मिली है। परमजीत सिंह सरना की अगुवाई वाली पार्टी को धार्मिक पार्टी के रूप में मान्यता मिल गई है, लिहाजा अब वह बिना किसी दांव-पेंच के अपने चुनाव चिन्ह कार पर सवार होकर चुनाव फतह करने को रफ्तार भर सकेंगे। इसके अलावा जिस बाला साहिब अस्पताल को बेचने के कथित आरोप में वर्ष 2013 में उनकी सत्ता गई थी, उस मामले में उन्हें जीत हासिल हुई है। दिल्ली की एक अदालत ने सरना बंधुओ के खिलाफ दायर बाला साहिब अस्पताल से जुड़े केसों को रद्द करने के आदेश दिए हैं। यह केस शिरोमणि अकाली दल (बादल) की ओर से 10 साल पहले दर्ज कराया गया था। इसी को मुद्दा बनाकर पिछले दो चुनावों की दिशा और दशा तय की गयी थी। अकाली दल ने सरना बंधुओ पर बाला साहिब अस्पताल को बेचने का आरोप लगाया गया था, जिसको कोर्ट ने निराधार बताते हुए निरस्त कर दिया है।
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यह दावा पार्टी के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने आज यहां पत्रकारों के समक्ष किया। साथ ही कहा कि दिल्ली गुरुद्वारा प्रबधंन कमेटी में जो लोग पन्थक लोगों के भागीदारी में अड़चनें लगा रहे थे,उनको अकालपुरख ने सच का आईना दिखा दिया। श्री नानक देव व श्री राम, के शब्दों को दोहराते हुए सरना ने कहा कि झूठ के सौदागर हमेशा हारते हैं और सच्चाई की हमेशा जीत होती है। सरना ने कहा कि पिछले 10 वर्षों से, बादल पार्टी के द्वारा दुष्प्रचार और निहित स्वार्थों का इस्तेमाल करते हुए शिअदद को झूठे आरोपों के लिए उकसाया और संगत को गुमराह किया।
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उनपर आरोप लगाया गया कि बाला साहिब अस्पताल परियोजना को निजी लोगों को बेच दिया था। सरदार सरना ने कहा, उनकी ओर से कुछ निहित स्वार्थों के साथ, बादल पार्टी ने डीएसजीएमसी आम चुनावों से पहले झूठ को खूब फैलाया। सरना ने कहा कि बादल दल के गंदे झूठ और दोहरे चरित्र का पर्दाफाश हो गया है। वह 10 साल तक झूठ बोले उसके लिए माफी मांगे। इस मौके पर पार्टी महासचिव हरविंदर सिंह सरना, गुरमीत सिंह शंटी सहित सभी पदाधिकारी मौजूद रहे।