–कमेटी के उपाध्यक्ष कुलवंत बाठ ने लिखा श्री अकाल तख्त साहिब को पत्र
–सिख इतिहास की सही जानकारी के लिए बनाई जाए राष्ट्रीय कमेटी
–राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को भी भेजा पत्र ;सुधार जरूरी
–दिल्ली के निजी स्कूल ने गुरु गोविंद सिंह को परीक्षा में लिख दिया आतंकवादी
नई दिल्ली/ टीम डिजिटल : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (DSGMC) के उपाध्यक्ष कुलवंत सिंह बाठ ने श्री अकाल तख्त साहिब को पत्र लिखकर एक बड़ी पहल की है। पत्र के मुताबिक सिख इतिहास एवं गुरुओं के बारे में सोशल मीडिया सहित सर्च इंजन गूगल (Google) के प्लेटफार्म पर गलत जानकारियां मौजूद हैं। उन्हें तत्काल सुधारने की जरूरत है, अन्यथा देश और दुनिया में नई पीढ़ी को गलत जानकारी ही उपलब्ध होती रहेगी। कुलवंत सिंह ने तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी हरप्रीत सिंह को पत्र के जरिये आग्रह किया कि वह इस संबंधी देशभर के सिक्ख इतिहासकारों, प्रोफैसरों, अध्यापकों और विशेषज्ञों की एक राष्ट्रीय कमेटी बनाने के लिए पहलकदमी करें।
कुलवंत सिंह बाठ का कहना है कि दिल्ली सहित देश-विदेश के स्कूलों में सिक्ख इतिहास और गुरू साहिबान के जीवन संबंधी लगातार गलत जानकारियाँ दी जा रही हैं।
इससे सिक्ख समुदाय के लोगों में भारी रोष देखने को मिल रहा है। बाठ ने इस बात की उदाहरण देते हुए कहा कि दिल्ली के एक निजी स्कूल में तीन दिन पहले ही कक्षा सात की परीक्षा में गुरू गोबिंद सिंह को आतंकवादी कहा गया। इसके साथ ही गूगल पर श्री गुरू अर्जुन देव जी की शहादत पर लगाई जाने वाली छबील तथा गुरू तेग बहादुर साहिब जी व गुरू गोबिंद सिंह जी के जीवन संबंधी भी गलत तथ्य दिये गये हैं।
बाठ ने श्री अकाल तख्त साहिब को अपील करते हुए कहा कि इस संबंधी जल्दी से जल्दी कमेटी बनाने का प्रयास करें, जिससे सोशल मीडिया सहित गूगल पर गलत सिक्ख इतिहास को ठीक किया जाये व आने वाली पीढ़ी को अपने संस्कारों, सभ्यता और गुरू साहिबान की वीरता के बारे में सही जानकारी दी जा सके।
दिल्ली कमेटी के उपाध्यक्ष कुलवंत सिंह बाठ ने यह भी कहा कि इस तरह से दूसरे धर्मों के लोगों को भी सिक्ख इतिहास व सिक्ख धर्म से संबंधित सही जानकारी मिल सकेगी। उन्होंने इस मामले में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को भी चि_ी लिखी है। बाठ के मुताबिक सिख गुरुओं का इतिहास वीरता से भरा रहा है, लेकिन इतिहास में गलत तथ्य पेश किया जा रहा है। इस काम को हमें पहले ही कर लेना चाहिए, लेकिन अब तक कमेटियों एवं सिख संगठनों ने इस बारे में सोचा भी नहीं।