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Monday, December 9, 2024

दो ट्रेनों के बीच अब नहीं होगी आमने-सामने से टक्कर… जाने कैसे

हैदराबाद/ खुशबू पाण्डेय : देशभर में लाखों रेल यात्रियों की सुरक्षा को यकीनी बनाने के लिए भारतीय रेलवे ने बड़ा कदम उठाया है। रेलवे ने सुरक्षा की दृष्टि से एक ऐसा तकनीक विकसित किया है, जिसके जरिये ट्रेनों का एक्सीडेंट रुक जाएगा। इस तकनीक का नाम है कवच, जो स्वदेशी रेल सिंगनल के रूप में इजाद किया गया है। इसके स्थापित हो जाने के बाद गलती से आमने-सामने हो जाने पर ट्रेनों के बीच भिड़त नहीं हो पाएगी। साथ ही कोहरा के समय में एक दूसरे के पीछे चलने वाली ट्रेनों के बीच भी आपस में टक्कर नहीं होगी। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को यहां लाइव प्रदर्शन किया। हैदराबाद से मुंबई मार्ग पर सिकंदराबाद से करीब 60 किलोमीटर दूर गल्लागुड़ा और चिट्टीगुड़ा के बीच दो ट्रेनों के आमने-सामने से टक्कर का ऐसा हैरतअंगेज प्रदर्शन किया गया। इसमें एक ट्रेन के इंजन में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और दूसरी ओर के इंजन में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वी के त्रिपाठी सवार थे। विपरीत दिशाओं से 100 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से आ रही दोनों ट्रेनें करीब 300 मीटर की दूरी पर स्वचालित ब्रेक लगने से थम गईं। इस प्रयोग से रेलमंत्री गदगद हैं। उत्साहित रेलमंत्री ने कहा कि इस तकनीक का 160 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से परिचालन के लिए परीक्षण सफलतापूर्वक किया जा चुका है और अब 200 किलोमीटर प्रति घंटा की गति पर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस बजट में देश में 2000 किलोमीटर रेल मार्ग को कवच तकनीक से लैस किया जाएगा तथा आगे चार से पांच हजार किलोमीटर सालाना कवच का क्रियान्वयन किया जाएगा।

– लाखों रेल यात्रियों की अब सुरक्षा करेगा भारतीय कवच
-उत्तर भारत में होने वाले कोहरे के चलते ट्रेनों को मिलेगी रफ्तार, नहीं होगी दुर्घटना
-रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने किया कवच का लाइव प्रदर्शन, सफलता से हुए गदगद
– एक ही रूट पर विपरीत दिशाओं से 100 किमी प्रति घंटा की गति से चलीं दों ट्रेनें
-आमने-सामने पहुंची दो ट्रेनें 300 मीटर की दूरी पर स्वचालित ब्रेक लगने से थम गईं
-2000 किलोमीटर इस वर्ष लगाया जाएगा आधुनिक तकनीक कवच

वैष्णव ने कहा कि रेलवे के आरडीएसओ द्वारा विकसित इस कवच की लागत 40 से 50 लाख रुपये प्रति किलोमीटर है जबकि विदेशी तकनीक डेढ़ से दो करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर तक महंगी है। इस तकनीक के क्रियान्वयन से लोको पायलट अधिक आत्मविश्वास से गाड़ी चला सकेंगे। रेल मंत्री ने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजऩ और अपने इंजीनियरों की काबिलियत पर पूरा भरोसा है।

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उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भारतीय रेलवे इस तकनीक का निर्यात दुनिया के तमाम देशों को निर्यात करेगी। वैष्णव ने दावा किया कि कवच तकनीक से लैस पटरियों पर आने वाले समय में 400 से अधिक वंदे भारत ट्रेनें, भारत में रेल यात्रा के अनुभव को पूरी तरह से बदल देंगी। उन्होंने कहा कि उत्तर भारत में खासकर यूपी में ठंड के दिनों में होने वाले धुंध-कोहरे के दौरान भी इस कवच से बड़ा लाभ मिलेगा और एक के पीछे एक चलने वाली रेलगाडिय़ों में दुर्घटना से बचाया भी जा सकेगा। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि राष्ट्रीय संरक्षा दिवस के मौके पर भारतीय रेलवे ने देश को कवच के रूप में एक बड़ा तोहफा दिया है।

दिल्ली-हावड़ा, दिल्ली-मुबंई रेल मार्ग पर पहले लगेगा कवच

रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव के मुताबिक आटो मैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम कवच को इस वित्तीय वर्ष के दौरान 2000 किलोमीटर स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पहले चरण में दो प्रमुख रेल मार्ग नई दिल्ली-हावड़ा एवं नई दिल्ली-मुबंई को चिन्हित किया गया है, जहां कवच स्थापित किया जाएगा। इसके बाद आने वाले समय में इसका टारगेट 4 से पांच हजार किलोमीटर प्रतिवर्ष किया जाएगा। रेलमंत्री ने कहा कि इसे पूरे रेलवे नेटवर्क में स्थापित किया जाना है, इसी हिसाब से तैयारी चल रही है।

क्या है कवच…कैसे करेगा काम

कवच अनुसंधान अभिकल्प और मानक संगठन (आरडीएसओ) द्वारा भारतीय उद्योग के सहयोग और दक्षिण मध्य रेलवे द्वारा परीक्षण करने के बाद स्वदेशी रूप से विकसित एटीपी प्रणाली है जो भारतीय रेल पर गाड़ी परिचालन संबंधी संरक्षा के कॉर्पोरेट उद्देश्य को सुनिश्चित करने की सुविधा प्रदान करती है। यह संरक्षा विश्वसनीयता स्तर – 4 मानकों से युक्त अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है। कवच गाडिय़ों को खतरे सिगनल (लाल) को पार करने और गाड़ी को टकराने से बचने के लिए संरक्षा प्रदान करता है। यदि ड्राइवर गति प्रतिबंधों के अनुसार गाड़ी को नियंत्रित करने में विफल रहता है तो यह कवच प्रणाली गाड़ी की ब्रेक प्रणाली को स्वत: सक्रिय कर देती है। इसके अतिरिक्त यह कवच प्रणाली से युक्त दो लोकोमोटिव के बीच टक्कर होने से बचाती है।

कवच संरचना और कार्य प्रणाली

स्टेशनरी कवच उपस्कर इकाइयां, यूएचएफ आधारित संचार टावर, रेडियो, ऑनबोर्ड कवच इकाई तथा ब्रेकिंग इंटरफेस और ट्रैकसाइड आरएफआईडी टैग इस प्रणाली के मूल निर्माण खंड हैं। सभी ट्रैकसाइड सिगनल को समाविष्ट करने के लिए स्टेशनों, मध्यवर्ती ब्लॉक सिगनल (आईबीएस) स्थलऔर मिड-सेक्शन अंतर्पाशन समपार फाटकों (जहां कहीं निकटवर्ती स्टेशनों का रेडियो कवरेज उपलब्ध नहीं है) पर संचार टावर, जीपीएस, रेडियो इंटरफेस आदि के साथ स्टेशनरी कवच यूनिट लगाई जाती है. इसे वास्तविक समय आधारित डेटा जैसे कि सिगनल आस्पेक्ट स्थिति, बर्थिंग ट्रैक ऑक्यूपेशन आस्पेक्ट स्थिति, पाइंट स्थिति आदि प्राप्त करने के लिए सिगनल अंतर्पाशन प्रणाली के साथ इंटरफेस किया जाता है।

यह सिगनल इनपुट और लोको इनपुट एकत्रित करके लोको कवच यूनिट को सिगनल इनपुट भेजता है। रिमोट इंटरफेस यूनिट रिमोट सिगनल फंक्शन प्राप्त करने के लिए समीप के अंतर्पाशन समपार फाटक / स्वचालित सिगनल सेक्शन / आखिरी केबिनों में लगाए जाते हैं और ऑप्टिक फाइबर केबल के माध्यम से पास के स्टेशनरी कवच से जोड़ दिए जाते हैं। स्टेशन मास्टर ऑपरेशन पैनल सह इंडिकेशन पैनल का उपयोग आपातकालीन स्थितियों में एसओएस संदेश उत्पन्न करने के लिए किया जाता है. इन (संदेश) संदेशों की प्राप्ति के बाद लोको कवच आपातकालीन ब्रेक लगाता है।

96 प्रतिशत उच्च घनत्व नेटवर्क पर होता है रेल यातायात संचालन

भारतीय रेलवे पर 96 प्रतिशत रेल यातायात संचालन उच्च घनत्व नेटवर्क और अत्यधिक प्रयुक्त नेटवर्क मार्गों पर होता है। इस यातायात के सुरक्षित संचलन के लिए, रेलवे बोर्ड द्वारा निर्धारित प्राथमिकताओं के अनुसार कवच प्रणाली संबंधित कार्यों को चरणबद्ध तरीके से आरंभ किया जा रहा है। इसके क्रियान्वयन में पहली प्राथमिकता, उच्च घनत्व वाले मार्ग तथा स्वचालित ब्लॉक सिगनल व्यवस्था और केंद्रीकृत यातायात नियंत्रण के साथ 160 किलोमीटर प्रति घंटा की गति वाले नयी दिल्ली-मुंबई और नयी दिल्ली – हावड़ा सेक्शन पर है। इस तरह के सेक्शनों में ड्राइवरों की ओर से मानवीय त्रुटियों की संभावना अधिक होती है और परिणामत: दुर्घटनाएं हो सकती हैं क्योंकि यहां पर गाडियां एक दूसरे के काफी निकट चलती हैं। इसी प्रकार से दूसरी प्राथमिकता स्वचालित ब्लाक सिगनल व्यवस्था और केंद्रीकृत यातायात नियंत्रण के साथ सघन अत्यधिक प्रयुक्त नेटवर्क पर तथा तीसरी प्राथमिकता स्वचालित ब्लाक सिगनल व्यवस्था के साथ अन्य यात्री उच्च घनत्व वाले मार्गों पर कवच लगाने की है।

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