—उपराष्ट्रपति ने चिकित्सा समुदाय से किया आग्रह, टीकाकरण पर लोगों को करे शिक्षित
—टीकाकरण अभियान में ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने का आह्वान किया
—टीकाकरण हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी होनी चाहियेः उपराष्ट्रपति
नई दिल्ली/नेशनल ब्यूरो : उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आज इस जरूरत पर जोर दिया कि लोगों को कोविड-19 टीकाकरण की अहमियत के बारे में बताया जाये। उन्होंने सभी हितधारकों से आग्रह किया के वे मिल-जुलकर इस वर्ष के अंत तक सबको टीके लगाने का लक्ष्य पूरा करें। उपराष्ट्रपति ने आज चिकित्सक दिवस के अवसर पर यह बात कही। इस दौरान प्रसिद्ध गुर्दा-रोग विशेषज्ञ डॉ. ज्यॉर्जी एब्राहम ने चेन्नै में उन्हें अपनी पुस्तक भी भेंट की। इस पुस्तक का शीर्षक ‘माय पेशेंट्स माय गॉड – जर्नी ऑफ अ किडनी डॉक्टर’ (मेरा मरीज मेरा भगवान – गुर्दा चिकित्सक की यात्रा) है, जिसमेंडॉक्टर, शिक्षाशास्त्री और शोधकर्ता के रूप में डॉ. एब्राहम की पिछले चार दशक की यात्रा का वर्णन किया गया है। इस अवसर पर नायडू ने कहा कि आबादी के कुछ वर्गों, खासतौर से ग्रामीण इलाके की आबादी में टीके के प्रति हिचक को दूर करने की बेहद जरूरत है। उन्होंने कहा कि कुछ वर्गों में व्याप्त टीके के प्रति भय को भी दूर करना होगा तथा टीकाकरण अभियान को सच्चे अखिल भारतीय‘जन-आंदोलन’ में बदल देना चाहिये। उन्होंने चिकित्सा समुदाय से आग्रह किया कि वह लोगों को शिक्षित करे और उनमें जागरूकता पैदा करे, ताकि वे टीका लगवाने की अहमियत को समझ सकें। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ हमारी जंग में सामुदायिक समर्थन बहुत महत्त्व रखता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि जिन लोगों को टीका लगाने में हिचक महसूस होती है, उन्हें इस हकीकत से वाकिफ कराना होगा कि टीका न लगवाकर वे अपनी और अपने परिवार के लोगों की जान को खतरे में डाल रहे हैं, जबकि इस जोखिम को टाला जा सकता है। केंद्र और राज्य से‘टीम इंडिया’ के तौर पर साथ काम करने का आग्रह करते हुये उपराष्ट्रपति ने कहा कि टीकाकरण अभियान में तेजी लाई जाये। उन्होंने सिविल सोसायटी के सदस्यों और फिल्मी दुनिया के लोगों, खिलाड़ियों और जनप्रतिनिधियों सहित विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गजों का आह्वान किया कि वे सब आगे बढ़कर लोगों को टीकाकरण के लिये प्रोत्साहित करें। उन्होंने कहा कि हमें यह समझना होगा कि टीकाकरण हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।
महामारी को पराजित करने में तेज टीकाकरण ही सफलता की कुंजी
कोविड-19 महामारी को पराजित करने में तेज टीकाकरण ही सफलता की कुंजी है; इसका हवाला देते हुये उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत 32 करोड़ से अधिक खुराकें लगा चुका है और इस तरह उसने टीके लगाने की संख्या में अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है। कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों की कुर्बानियों के बारे में उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे सब जानलेवा वायरस से संक्रमित लोगों की जान बचाने के लिये खुद को खतरे में डाल रहे हैं। भारतीय चिकित्सा संघ के आंकड़ों का उल्लेख करते हुये उन्होंने कहा कि चिकित्सा समुदाय के लगभग 1500 सदस्य कोविड-19 का शिकार हुये हैं। नायडू ने कहा कि इससे पता चलता है कि अपने प्रोफेशन और कटिबद्धता तथा अपनीहिप्पोक्रेटिक शपथ के प्रति उनका समर्पण बेमिसाल है। मानवता के प्रति निःस्वार्थ सेवा के लिये उन्होंने स्वास्थ्य कर्मियों को धन्यवाद दिया।
डॉक्टरों के कल्याण और उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने की जरूरत
इस वर्ष चिकित्सक दिवस की विषयवस्तु –‘सेव दी सेवियर’ (रक्षकों की रक्षा) का उल्लेख करते हुये उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि हमारे डॉक्टरों के कल्याण और उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने की बहुत जरूरत है, जो कोविड-19 द्वारा पैदा की हुई अभूतपूर्व स्वास्थ्य आपदा के दौरान इस विपत्ति से हमें बचा रहे हैं। ‘वैद्यो नारायणो हरिः’ का उल्लेख करते हुये उन्होंने कहा कि भारतीय समाज में डॉक्टरों को बहुत सम्मान और आदर से देखा जाता है। उन्होंने डॉक्टरों से आग्रह किया कि वे मरीजों का उपचार करते हुयेउनके प्रति लगाव से काम लें। नायडू ने देश की ज्ञान की आंतरिक शक्ति और प्रशिक्षित श्रमशक्ति के सिलसिले में वैज्ञानिकों, अनुसंधानकर्ताओं और डॉक्टरों की सराहना की, जिन्होंने वक्त से टक्कर लेते हुये सुरक्षित और कारगर वैक्सीनें विकसित कीं और पीपीई किट, टेस्टिंग किट और वेंटीलेटर्स जैसे जरूरी साजो-सामान तैयार किये। उन्होंने प्रसिद्ध डॉक्टर, शिक्षाशास्त्री और स्वंत्रता सेनानी डॉ. बिधान चंद्र रॉय को श्रद्धांजलि भी दी, जिनकी जयंती चिकित्सा दिवस के रूप में मनाई जाती है।