–कृषि क्षेत्र के तीन बिलों के विरोध में छोड़ा मोदी मंत्रिमंडल
–अकाली दल ने व्हिप जारी कर बिलों का विरोध जताने का किया है ऐलान
–एनडीए में अकाली दल रहेगा या नहीं स्थिति स्पष्ष्ट नहीं
–हरसिमरत कौर ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर जताया था विरोध
–सुखबीर बादल ने संसद में इस्तीफा करने का दे दिया था संकेत
–अकाली दल ने व्हिप जारी कर सांसदों को विरोध करने की दी है हिदायत
(नीता बुधौलिया)
नई दिल्ली/ टीम डिजिटल : केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मोदी सरकार के तीन प्रमुख कृषि अध्यादेशों के विरोध में वीरवार देर शाम केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। हरसिमरत कौर बादल ने अपने इस्तीफे की घोषणा देर शाम टवीट करके दी है। साथ ही कहा है कि उन्हें गर्व है कि वह किसानों की बेटी और बहन बनकर किसानों के साथ खड़े होने का फैसला लिया है। और यह इस्तीफा केंद्रीय कैबिनेट के फैसले से विरोध जताने के लिए दिया है। हरसिमरत कौर बादल पंजाब के बठिंडा से सांसद हैं। हालांकि बादल दंपति की ओर से इस बार का खुलासा नहीं किया गया है कि वह एनडीए के साथ हैं या एनडीए को भी छोड़ दिया है।
कृषि संबंधित तीन अध्यादेशों का लगातार समर्थन करते आ रहे अकाली दल ने एकाएक तीन दिन पहले संसद में पेश बिलों का विरोध करने का फैसला लिया था। साथ ही अपने सांसदों को दोनों सदनों में पार्टी व्हीप जारी करके बिलों का विरोध करने की हिदायत जारी की थी। आज लोकसभा में अकाली दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं फिरोजपुर के सांसद सुखबीर सिंह बादल ने साफ कहा कि हम किसानों के साथ खड़े हैं और केंद्रीय मंत्रिमंडल से हमारी सदस्य हरसिमरत कौर बादल इस्तीफा दे रही हैं।
I have resigned from Union Cabinet in protest against anti-farmer ordinances and legislation. Proud to stand with farmers as their daughter & sister.
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) September 17, 2020
राज्यसभा में भी बिलों का विरोध करने का फैसला अकाली दल ने लिया हुआ है। जिस वजह से पार्टी के तीनों सांसद नरेश गुजराल, बलविंदर सिंह भूदड़ एवं सुखदेव सिंह ढींढसा भी विरोध में वोट करेंगे। हालांकि, ढींढसा इससे पहले ही इन बिलों का विरोध कर चुके हैं। साथ ही पार्टी व्हिप के कारण उन्हें विरोध में ही वोट करना पड़ेगा। ढींढसा को बीजेपी का समर्थक बताया जा रहा था और माना जा रहा था कि ढींढसा बिल का समर्थन करेंगे लेकिन अपनी नई बनी पार्टी शिरेामणि अकाली दल डेमोकेटिक से किसानों को नाराज ना करने के लिए ढींढसा ने बिलों का संसद में विरोध करने का फैसला लिया था।
नाखून से मांस अलग होता है या नहीं
बता दें कि शिरोमणि अकाली दल के सरपरस्त प्रकाश सिंह बादल बार-बार यह दावा करते रहे हैं कि भाजपा और अकाली दल का रिश्ता नखून और मांस का है, जो जुदा नहीं हो सकता है। अब देखना होगा कि नाखून से मांस अलग होता है या नहीं। यदि भाजपा और अकाली दल का गठबंधन टूटता है तो कहीं न कहीं पंजाब में भाजपा के लिए ढंीढसा के साथ जाने का विकल्प खुल सकता है, क्योंकि 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव दोनों पार्टियों के लिए अहम है। इसलिए कृषि बिलों को लेकर अकाली दल को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
हरसिमरत कौर ने प्रधानमंत्री को लिखी थी चिटठी, जताया था विरोध
सूत्रों की माने तो हरसिमरत कौर बादल ने इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर बिलों का विरोध जताया और इसे रेाकने की गुहार लगाई थी। इसके अलावा पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने सोमवार को अपने सभी सांसदों एवं पार्टी नेताओं को साथ लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नडडा के साथ मुलाकात की थी और पंजाब में हो रहे भारी विरोध की बावत बिलों को कुछ दिनों के लिए रोकने की गुहार लगाई थी। लेकिन भाजपा नहीं रुकी और मंगलवार को एक बिल लोकसभा में पास करवा दिया।
ये हैं तीन बिल, जिसका हो रहा है विरोध
केंद्र सरकार संसद के मौजूदा मानसून सत्र में किसानों से संबंधित कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा प्रदान करना) विधेयक, 2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 लेकर आई है। आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक मंगलवार को लोकसभा से पारित हो गया।