12.1 C
New Delhi
Saturday, December 7, 2024

Yuva Kumbh: युवाओं ने जाना वैश्विक एकता में महाकुंभ की संस्कृति का प्रभाव

प्रयागराज/ शरद मिश्रा। लोक संस्कृति विकास संस्थान, प्रयागराज और यूनाइटेड इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (United Institute of Management) नैनी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित युवा कुंभ में वैश्विक एकता में महाकुंभ की संस्कृति का प्रभाव विषयक परिचर्चा में कला – संस्कृति के मर्मज्ञों ने अपने विचार रखे। युवा कुंभ की शुरुआत मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग (Higher Education Service Selection Commission) की अध्यक्ष प्रोफेसर कीर्ति पाण्डेय, आईजी पीएससी पूर्वी जोन डॉ राजीव नारायण मिश्र, सरस्वती पत्रिका के संपादक साहित्यकार रविनंदन सिंह, इलाहाबाद हिंदी विभाग के प्रोफेसर कुमार वीरेंद्र, कोर्स कोऑर्डिनेटर मीडिया स्ट्डीज इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर धनंजय चोपड़ा, अमर उजाला समाचार पत्र के संपादक नवीन सिंह पटेल, वरिष्ठ पत्रकार एवं समीक्षक अनूप ओझा, यूनाइटेड इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (बीबीए-बीसीए) नैनी के प्राचार्य देवेंद्र कुमार तिवारी एवं लोक संस्कृति विकास संस्थान के निदेशक शरद कुमार मिश्र ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर की।

—लोक संस्कृति विकास संस्थान ने आयोजित किया युवा कुंभ
—मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग से जुड़े दो हज़ार से ज्यादा युवाओं ने किया सहभाग*

कार्यक्रम संयोजक शरद कुमार मिश्र ने अपने उद्वोधन में कहा कि इस महाकुंभ में 135 से अधिक देशों के संत,भक्त और पर्यटक कल्पवास और भारतीय सनातन जीवन शैली से परिचित हो सकेंगे ऐसे में प्रयाग वासियों की जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है। यह महाकुंभ संस्कृति और संस्कार का ही नहीं जीवन के असली मूल्य बोध का भी समागम बनेगा। खास तौर से इंजीनियरिंग के छात्रों को महाकुंभ की सांस्कृतिक सामाजिक चेतना की तकनीक तलाशनी होगी और जीवन में विशेष प्रबंध की सीख भी इस महाकुंभ से मिल सकेगी।
प्रोफेसर कुमार वीरेंद्र ने कहा कि सम्राट हर्षवर्धन के काल में संगम पर लगने वाले कुंभ मेला को वैश्विक आधार और सांस्कृतिक लोकप्रियता मिली। दुनिया में फैली इस त्याग संस्कृति का उल्लेख विदेशी इतिहासकारों ने भी करते हुए लिखा कि सम्राट हर्षवर्धन कुंभ में अपने खजाने का सारा धन वितरित कर देते थे। दूसरे हिस्सों में पांडित्य और शास्त्रार्थ की संस्कृति फलती फूलती रही है लेकिन प्रयागराज में ज्ञान और अध्यात्म की संस्कृति रही है। इसी ज्ञान और अध्यात्म की संस्कृति से परिचित होने के लिए पूरा विश्व महाकुंभ में उमड़ पड़ता है। सरस्वती पत्रिका के संपादक रवि नंदन सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि इंजीनियरिंग की भाषा में महाकुंभ भारतीय संस्कृति का सॉफ्टवेयर और और सभ्यता का हार्डवेयर है। भगवती चरण वर्मा और जगदीश गुप्त की कविताओं में भी महाकुंभ की संस्कृति प्रदर्शित हुई है। प्रोफेसर धनंजय चोपड़ा ने कहा कि दुनिया महाकुंभ में जीवन के विविध आयामों से जुड़ने, परिचित होने और सेवा-सत्कार की संस्कृति के अनुसरण के लिए आती है।

कुंभ जीवन की विविधता का अद्भुत गुलदस्ता

कुंभ जीवन की विविधता का अद्भुत गुलदस्ता है। विश्व भर से करोड़ों श्रद्धालु बिना किसी आमंत्रण पत्र के सिर्फ पंचांग देखकर इस मेले में संगम स्नान के लिए खिंचे चले आते हैं। आयोजन के दूसरे सत्र में यूनाइटेड ग्रुप के छात्र छात्राओं सहित उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज और उत्तर प्रदेश जनजाति एवं लोक संस्कृति संस्थान लखनऊ के कलाकारों ने कुंभ पर आधारित नृत्य नाटिका व पारंपरिक लोक नृत्य से सबका मन मोह लिया। मंच का संचालन लोक संस्कृति विकास संस्थान के निदेशक शरद कुमार मिश्र ने किया और धन्यवाद ज्ञापन यूनाइटेड इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (बीबीए-बीसीए) के प्रिंसिपल डॉ देवेंद्र कुमार तिवारी ने किया। इस अवसर पर स्टूडेंट वेलफेयर ऑफिसर नेहा पाण्डेय, संस्कृति एवं कला की अध्यक्ष शिखा मिश्रा, कथक नृत्यांगना हिमानी रावत, कथक नृत्यांगना शिवानी मिश्रा, अमन, आंचल सहित हजारों छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

latest news

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related Articles

epaper

Latest Articles