24.1 C
New Delhi
Sunday, October 19, 2025

PM मोदी ने कहा, भारत 80 फीसदी खिलौना आयात करता है, इसे बदलना होगा

Join whatsapp channel Join Now
Join Telegram Group Join Now

लोकल खिलौनों के लिए वोकल होने की जरूरत : प्रधानमंत्री
-प्रधानमंत्री ने टॉय-केथॉन-2021 के प्रतिभागियों से की बातचीत
-भारत के चिंतन और कल्याण की अवधारणा वाले गेम बनाएं युवा
-भारत के पास डिजिटल गेमिंग के लिए पर्याप्त विषय और क्षमता है : मोदी
-भारत 80 फीसदी खिलौनों आयात करता है, इसे बदलना होगा

नई दिल्ली/ नेशनल ब्यूरो : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यहां कहा कि मौजूदा समय में उपलब्ध ज्यादातर ऑनलाइन या डिजिटल गेम की अवधारणा भारतीय सोच से मेल नहीं खाती, इसलिए ऐसी वैकल्पिक अवधारणा को बढ़ावा देने की जरूरत है, जिसमें भारत का मूल चिंतन हो और यह मानव कल्याण से जुड़ी हो। प्रधानमंत्री मोदी वीरवार को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से टॉय-केथॉन को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर टॉय-केथॉन के प्रतिभागियों से बातचीत की। प्रधानमंत्री ने सस्ते डाटा तथा इंटरनेट की ग्रामीण कनेक्टिविटी की चर्चा की और भारत में वर्चुअल, डिजिटल और ऑनलाइन गेमिंग में संभावनाएं तलाशने का आह्वान किया। साथ ही अफसोस व्यक्त किया कि बाजार में उपलब्ध अधिकांश ऑनलाइन और डिजिटल गेम भारतीय अवधारणाओं पर आधारित नहीं हैं और ऐसे कई गेम हिंसा को बढ़ावा देते हैं और मानसिक तनाव पैदा करते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व भारत की क्षमताओं, कला और संस्कृति तथा समाज के बारे में सीखना चाहता है। खिलौने उसमें बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल गेमिंग के लिए भारत के पास पर्याप्त विषय और सामथ्र्य है। उन्होंने कहा कि हमारा दायित्व है कि ऐसे वैकल्पिक कॉन्सेप्ट डिजायन हों, जिसमें भारत का मूल चिंतन, जो संपूर्ण मानव कल्याण से जुड़ा हुआ हो। वो ही तकनीकि रूप से सुपीरियर हों, फन भी हो, फिटनेस भी हो, दोनों को बढ़ावा मिलता रहे। प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व का खिलौना बाजार लगभग 100 बिलियन डॉलर का है और इस बाजार में भारत की हिस्सेदारी केवल 1.5 प्रतिशत है। भारत 80 प्रतिशत अपने खिलौनों का आयात करता है। इसका अर्थ यह हुआ कि करोड़ों रुपए देश से बाहर बहाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसे बदलना होगा। मोदी ने खिलौना क्षेत्र में संख्या से अधिक समाज के जरूरतमंद वर्गों के लिए प्रगति और विकास लाने की क्षमता है। खिलौना क्षेत्र का अपना लघु उद्योग है। कारीगर गांव, दलित, गरीब और जनजातीय आबादी से आते हैं। प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र में महिलाओं के योगदान को इंगित किया। इन वर्गों तक लाभों को ले जाने के लिए हमें लोकल (स्थानीय) खिलौनों के लिए वोकल होने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने वैश्विक स्तर पर भारतीय खिलौनों को स्पर्धी बनाने के लिए नवाचार और वित्त पोषण के नए मॉडल का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि नए विचार इनक्यूबेट करने, नए स्टार्ट-अप प्रोत्साहित करने, परंपरागत खिलौना बनाने वालों तक नई टेक्नोलॉजी को ले जाने और नई बाजार मांग बनाने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि टॉय-केथॉन जैसे आयोजनों के पीछे यही प्रेरणा है।

 बच्चों का पहला दोस्त खिलौना 

प्रधानमंत्री ने खिलौनों को बच्चों का पहला दोस्त होने के महत्व के अतिरिक्त खिलौना तथा गेमिंग के आर्थिक पहलुओं पर बल दिया और इसे ‘ट्वायकोनॉमी की संज्ञा दी। प्रधानमंत्री मोदी ने युवाअन्वेषकों तथा स्टार्ट-अप का आह्वान करते हुए कहा कि उन्हें भारत की क्षमताओं और विचारों की सही तस्वीर विश्व के सामने प्रस्तुत करने में अपने दायित्वों को ध्यान में रखना होगा। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और संजय धोत्रे भी उपस्थित थे।

रुचिकर और इंटरऐक्टिव गेम बनाने की आवश्यकता

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ अन्वेषकों और खिलौना उद्योग बनाने वालों के लिए विशाल अवसर है। उन्होंने कहा कि अनेक घटनाएं, स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों की कहानियों तथा उनके शौर्य और नेतृत्व को गेमिंग अवधारणाओं के रूप में तैयार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि फोक विद फ्यूचर के साथ जोडऩे में इन अन्वेषकों की बड़ी भूमिका हो सकती है। रुचिकर और इंटरऐक्टिव गेम बनाने की आवश्यकता है जो इंगेज, इंटरटेन और एजुकेट कर सकें।

Related Articles

Delhi epaper

Prayagraj epaper

Kurukshetra epaper

Latest Articles