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Wednesday, April 30, 2025

गुरुद्वारा कमेटी में हुए खूनी संघर्ष में 8 साल बाद आया फैसला, मंजीत GK, सिरसा हुए बरी

-दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सुनाया फैसला, 6 लोग निर्दोष बरी
-नवम्बर 2012 में कमेटी मुख्यालय में चली थी तलवारें, बहा था खून
-गुरमीत शंटी के बुलावे में पहुंचे थे जीके, टास्क फोर्स से हुई थी भिड़त

नई दिल्ली /अदिति सिंह : गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब में नवम्बर 2012 में हुए हिंसक टकराव के मामले में आज दिल्ली की एक अदालत ने कमेटी सदस्य मंजीत सिंह जीके, मनजिंदर सिंह सिरसा, कुलदीप सिंह भोगल, परमजीत सिंह राणा एवं चमन सिंह को बरी कर दिया। साढ़े 8 साल तक चले मुकदमें में सरकारी पक्ष आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित करने में नाकाम रहा है। हालांकि, शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना के खिलाफ मंजीत सिंह जीके के द्वारा दी गई शिकायत पर अभी मुकदमा जारी रहेगा।
बता दें कि बाला साहिब अस्पताल के विवाद को लेकर कमेटी के पूर्व महासचिव गुरमीत सिंह शंटी ने कमेटी सदस्य मंजीत सिंह जीके को नवम्बर 2012 में कार्यकारिणी की बैठक में विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर बुलाया था। इस मीटिंग में भाग लेने के लिए मंजीत सिंह जीके जब गुरु गोविंद सिंह भवन स्थित कमेटी दफतर पहुंचे, तो तत्कालीन कमेटी की टास्क फोर्स ने उन्हें रोका और विवाद बढ़ गया। विवाद इतना बढ़ गया कि तलवारें खिंच गई और किरपाणे चली, नतीजन, कईयों को चोटें भी आई और खून भी बहा। इसमें मंजीत ङ्क्षसह जीके को गंभीर चोटे आईं और उनकी पगड़ी नीचे गिर गई। बाद में उन्हें राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। हालांकि मंजीत सिंह जीके पर हुए इसी हमले का फायदा शिरोमणि अकाली दल (बादल) को 2013 के दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी चुनाव में सहानभूति वोटों के तौर पर अकाली दल को हुआ था। तब दोनों पक्षों की ओर से एक दूसरे के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमें दर्ज करवाए गए थे। इसमें सबसे बड़ा आरोप हत्या का प्रयास धारा 307 थी। उस समय तत्कालीन अध्यक्ष परमजीत ङ्क्षसह सरना के आदेश पर महाप्रबंधक राम सिंह ने जीके तथा अन्यों के खिलाफ 15 नवंबर 2012 को मुकदमा दर्ज कराया था। इसपर आज एडिशनल चीफ मैट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट, राउज एवेन्यू सचिन गुप्ता ने मंजीत जीके सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया। 31 पेज के अपने आदेश में कोर्ट ने माना है कि सरकारी पक्ष आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित करने में नाकाम रहा है। हालांकि धारा 307 से पहले ही आरोपियों को मुक्त कर दिया गया था। लेकिन, आज धारा 147, 148, 149, 323, 325, और 427 से भी बरी कर दिया। आरोपियों की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता लख्मी चंद के मुताबिक परमजीत सिंह सरना के खिलाफ मंजीत सिंह जीके के द्वारा दी गई शिकायत पर अभी मुकदमा जारी रहेगा।
बता दें कि उस वक्त मंजीत सिंह जीके दिल्ली कमेटी के सदस्य के अलावा शिरोमणि अकाली दल के प्रदेश अध्यक्ष थे, जबकि मनजिंदर सिरसा यूथ अकाली दल के अध्यक्ष एवं नगर निगम के पार्षद थे।

सरना बंधुओं को शर्म आनी चाहिए : सिरसा

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने अदालत के फैसले पर खुशी जताई है। साथ ही कहा कि अदालत ने कहा है कि यह केस केवल सुनी सुनाई बातों के आधार पर दर्ज करवाया गया। घटना के होने की कहानी सेवादारों द्वारा बताये जाने की बात तो कही गई पर सेवादारों के नाम नहीं बताये गये। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही अफसोस की बात है कि इतनी वृद्धावस्था में भी परमजीत सिंह सरना व हरविंदर सिंह सरना झूठ बोलने से बाज नहीं आ रहे। अब उनके खिलाफ दाढ़ी काटने का केस डाल रहे हैं जो बहुत ही शर्मनाक बात है। सरना बंधुओं को शर्म करनी चाहिए कि वह गुरु के सिख के खिलाफ किस प्रकार घटिया दुष्प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अक्सर उनके खिलाफ प्रेस कान्फ्रेंस करने वाले सरना बंधु आज केस रद्द होने के बारे में चुप्पी साधे बैठे हैं।

मुझे खत्म करने के लिए झूठे सियासी एवं शारीरिक हमले हुए : मंजीत सिंह

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके ने अदालत का फैसला आने के बाद खुशी व्यक्त की। साथ ही कहा कि मेरे जीवन में झूठे सियासी एवं शारीरिक हमले किए गए। झूठे राजनीतिक एवं क्रिमिनल केसों से मुझे डराने, हराने एवं मैदान छोड़ कर भगाने की कोशिश की गई। लेकिन, मेरा गुरूने कभी मनोबल गिरने नहीं दिया। मुझे, शक्ति दी कि इनका मुकाबला कर सकूं। मेरे पर किया गया हर एक झूठा वार एक-एक करके औंधे मुंह गिरा।

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