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Tuesday, October 14, 2025

महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता नहीं, नारी स्वयं समर्थ

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नई दिल्ली/ खुशबू पाण्डेय। योगऋषि स्वामी रामदेव (Swami Ramdev) के नेतृत्व तथा पतंजलि विश्वविद्यालय (Patanjali University), भारत स्वाभिमान (महिला विंग) और जी-20 के सहयोगी संगठन डब्ल्यू-20 के संयुक्त तत्वाधान में महिला सम्मेलन इंदिरा गांधी स्टेडियम, नई दिल्ली में आयोजित किया गया। इस मौके पर देश भर की 5500 महिलाओं ने भाग किया। योगऋषि स्वामी रामदेव महाराज ने महिलाओं के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए योग का प्रशिक्षण दिया। साथ ही कहा कि 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग (international yoga) वैश्विक स्तर पर मनाया जाएगा। इससे पूर्व योग का आगाज हम दिल्ली से करना चाहते हैं। यह संदेश देना चाहते हैं कि योग केवल राष्ट्र ही नहीं विश्वव्यापी होगा और योगधर्म के साथ पूरे विश्व में सनातन धर्म की प्रतिष्ठा बढ़ेगी।

-महिला सम्मेलन से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का शंखनाद
– स्वामी रामदेव ने किया आहृवान, महिलाएँ ही राष्ट्र में परिवर्तन लाएँगी
-एनसीआर में जल्द बनेगा 10 हजार बच्चों के लिए ग्लोबल गुरुकुल
-1 लाख विद्यार्थियों के लिए ग्लोबल यूनिवर्सिटी, 25 हजार बच्चों के लिए डे-बोर्डिंग स्कूल

स्वामी ने कहा कि माताएँ ही हमें संस्कार देने वाली, सबके जीवन में दैवीय सम्पद का आधान करने वाली तथा अपने घर-परिवार में मंगल व सौभाग्य देने वाली हैं। उन्होंने माताओं बहनों का आह्वान करते हुए कहा कि विपरीत परिस्थितियों में, विपत्ति या विकट संकट में, बड़ी चुनौतियों में स्वधर्म को नहीं डिगाना, अपना धैर्य बनाकर रखना, योग को आत्मसात करना, सब बाधाएँ समाप्त हो जाएँगी। उन्होंने कहा कि देश की 60 करोड़ तथा पूरे विश्व की लगभग 400 करोड़ माताओं-बहनों का आशीर्वाद मेरे साथ है।
स्वामी ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि जल्द ही एनसीआर क्षेत्र में पतंजलि बड़ी सेवा योजना लेकर आ रहा है। उन्होंने बताया कि एनसीआर में 10 हजार बच्चों के लिए रेजिडेंशियल ग्लोबल गुरुकुल, एक लाख विद्यार्थियों के लिए ग्लोबल यूनिवर्सिटी तथा 20 से 25 हजार बच्चों के लिए डे-बोर्डिंग स्कूल की भावी योजना है। इनमें 200 से ज्यादा देशों के बच्चे पढ़कर अपने देश जाएँगे तो वहाँ भारत, ऋषिधर्म, वेदधर्म व सनातन धर्म के अम्बेस्डर बनकर योग, अध्यात्म तथा सनातन का झण्डा गाड़ेंगे। इस कार्य में भी निःस्वार्थ सेवाभावी माताओं-बहनों की सेवा की आवश्कता रहेगी।

महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता नहीं, नारी स्वयं समर्थ
कार्यक्रम में पतंजलि योग समिति की मुख्य महिला केन्द्रीय प्रभारी साध्वी आचार्या देवप्रिया ने कहा कि महिलाएँ ही योग के माध्यम से समाज व राष्ट्र में परिवर्तन लाएँगी। उन्होंने कहा कि परिवर्तन के लिए हमें योग को आत्मसात करना होगा। सरफेस वाली बनावट या सरफेस वाला योग हमारा कल्याण नहीं कर सकता, इसके लिए हमें योग की गहराई में जाना होगा। उन्होंने कहा कि योग, आयुर्वेद, स्वदेशी, भारतीय संस्कृति, राष्ट्रवाद के क्षेत्र में जो नेतृत्व आज परम पूज्य स्वामी जी महाराज तथा श्रद्धेय आचार्य जी कर रहे हैं, उस नेतृत्व की क्षमता को हमें प्राप्त करना होगा।
उन्होंने कहा कि महर्षि पतंजलि योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः के माध्यम से कहते हैं कि योग से हमें अपने मन के विकारों को दूर करना है। योग मन को तब तक स्थिर करना है जब तक कि यह पूर्ण शांति की स्थिति में न आ जाए, और जब मन शांत होगा तो व्यक्ति जीवन को यथार्थ रूप में अनुभव करेगा।
सम्मेलन में भारतीय शिक्षा बोर्ड (Indian education board) के कार्यकारी अध्यक्ष एन.पी. सिंह ने कहा कि आज समाज में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता नहीं है क्योंकि जो माँ अपने गर्भ में नौ महीने बच्चे को रखकर, असहनीय पीड़ा सहकर जीवन को उत्पन्न कर सकती है उसे सशक्तिकरण की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि जीवन निर्माण, चरित्र निर्माण, व्यक्ति निर्माण से लेकर राष्ट्र निर्माण और युग निर्माण का सबसे बड़ा कार्य यदि कोई करता है तो वह हमारी मातृशक्ति है। उन्होंने कहा कि आज यहाँ 5-6 हजार की संख्या में माताओं-बहनों की उपस्थिति पतंजलि योग तीर्थ के प्रति उनकी आस्था, विश्वास व समर्पण का प्रमाण है। कार्यक्रम में डब्ल्यू-20 की अध्यक्षा डॉ. संध्या पुरेचा ने कहा कि नारी विश्व निर्मात्री है, विश्व की रक्षा करने वाली है तथा नारी ही सबका मूल है। वह पूर्ण है तथा पूर्ण को जन्म देकर भी पूर्ण ही रहती है। इस अवसर पर पूज्य स्वामी जी महाराज ने उपस्थित मातृशक्ति व जनसमूह को भ्रामरी, उद्गीथ, ताड़ासन तथा वृक्षासन आदि का अभ्यास कराया।

 

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