13.1 C
New Delhi
Sunday, November 16, 2025

Politics में दिलचस्प है चाचा भतीजे की लड़ाई, टूटी हैं राजनीतिक पार्टियां

Join whatsapp channel Join Now
Join Telegram Group Join Now

(बाल मुकुन्द ओझा)

देश के कई रसूखदार राजनीतिक परिवारों में सत्ता संग्राम होते हुए देखा गया है। मगर चाचा भतीजों की लड़ाई बेहद दिलचस्प है। राजनीति के परिवार विशेष के नियंत्रण में चलने वाली पार्टियों में इस तरह की टूट देखने को मिलती ही मिलती हैं। सियासत में चाचा भतीजे की कहानियां भी अजब गजब के रूप में याद की जाती है। अजित पवार और शरद पवार की तरह पार्टी पर कब्जे को लेकर देश में ऐसे कई चाचा-भतीजे के मतभेद सामने आए है। शरद पवार – अजित पवार, चिराग पासवान – पशुपति पारस , राज ठाकरे – बाल ठाकरे, गोपीनाथ मुंडे – धनंजय, प्रकाश सिंह बादल – मनप्रीत बादल, अभय चौटाला – दुष्यंत चौटाला, अखिलेश और शिवपाल की कहानियां लोग चटकारे लेकर सुनते और सुनाते है।
महाराष्ट्र में चाचा शरद पवार और भतीजे अजित पवार के बीच वर्चस्व की लड़ाई लड़ी जा रही है। महाराष्ट्र में ही शिवसेना प्रमुख दिवंगत बाल साहेब ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे ने उनकी पार्टी शिवसेना से बगावत कर दूसरी पार्टी मनसे बना ली। चचेरे भाई उद्धव ठाकरे को ज्यादा तरजीह मिलने लगा तब नवंबर 2005 में राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ने का ऐलान कर दिया। मार्च 2006 में उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया। बड़े ठाकरे ने अपने बेटे उद्धव को सियासत की चाबी सौंप कर भतीजे की बलि ले ली। जैसे शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया को भतीजे के स्थान पर एनसीपी सौंप कर आग में घी डालने का प्रयास किया फलस्वरूप भतीजे ने चाचा की सियासत में आग लगाकर अपना बदला चुका लिया। भाजपा के कद्दावर नेता रहे गोपीनाथ मुंडे के भतीजे धनंजय मुंडे भी चर्चा में हैं। गोपीनाथ के समय में धनंजय अपने चाचा के साथ साये की तरह रहते थे। वह इस वक्त एनसीपी के विधायक हैं और अजित पवार के साथ भाजपा सरकार को समर्थन देने वाले गुट में शामिल हैं। धनंजय ने हाल ही अजित पवार के साथ मंत्री पद की शपथ ली है ,
बिहार में लोकजनशक्ति पार्टी के प्रमुख दिवंगत रामविलास पासवान के बाद चाचा और भतीजे में पार्टी पर कब्जा करने केलिए संघर्ष हुआ। जिसके चलते पासवान की दो खेमों में बंट गई। 2020 के विधानसभा चुनाव में खुद को मोदी का हनुमान बताने वाले चिराग पासवान तो तब बड़ा झटका लगा जब उनके चाचा पशुपति पारस को मोदी सरकार में मंत्री बना दिया गया।यहाँ चाचा पशुपति पार्टी की कमान भतीजे चिराग को सौंपने को तैयार नहीं है। फलस्वरूप चाचा भतीजे का संघर्ष जग जाहिर हो रहा है। उत्तरप्रदेश में चाचा शिवपाल और भतीजे की लड़ाई पिता मुलायम के सामने ही शुरू हो गई थी। राजनीति में चाचा भतीजे की लड़ाई में कुछ दिनों पहले तक शिवपाल यादव और अखिलेश यादव की चर्चा काफी थी। हालांकि अभी दोनों साथ हैं। यहां चाचा पर भतीजा भारी पड़ा और अखिलेश यादव सपा के निर्विवाद नेता के तौर पर और मजबूती से स्थापित हुए।
पंजाब में प्रकाश सिंह बादल और मनप्रीत बादल के रूप में चाचा-भतीजे की जोड़ी कभी बहुत हिट रही थी। मनप्रीत सिंह बादल पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के दिग्गज नेता प्रकाश सिंह बादल के भाई गुरदास सिंह बादल के बेटे हैं। 1995 में मनप्रीत पहली बार विधायक बने। अकाली दल के टिकट पर 2007 तक लगातार 4 बार विधायक चुने गए। 2007 में पंजाब की प्रकाश सिंह बादल सरकार में वित्त मंत्री भी बने लेकिन धीरे-धीरे बादल फैमिली में भी खींचतान शुरू हो गई। पार्टी में प्रकाश सिंह बादल के बेटे सुखबीर सिंह बादल को ज्यादा तवज्जो मिलने से मनप्रीत असहज होते गए और कुछ मुद्दों पर पार्टी के आधिकारिक रुख के खिलाफ खुलकर बोलने भी लगे। अक्टूबर 2010 में उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में अकाली दल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
हरियाणा में भतीजे दुष्यंत चौटाला ने चाचा अभय चौटाला को चित्त कर दिया. 2013 में ओमप्रकाश चौटाला और उनके पुत्र अजय चौटाला 10 साल के लिए जेल चले गए. पार्टी की कमान अभय के हाथ में आ गई. अभय खुद को सीएम पद का दावेदार मानने लगे। लेकिन दिसंबर 2018 में परिवार में कुनबा बिखर गया और भतीजा दुष्यंत अलग जननायक पार्टी बनाकर अब बीजेपी की सरकार में उपमुख्‍यमंत्री है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related Articles

Delhi epaper

Prayagraj epaper

Kurukshetra epaper

Latest Articles