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Sunday, August 3, 2025

दूसरी पत्नी पति और ससुराल वालों के खिलाफ क्रूरता की शिकायत नहीं कर सकती

नई दिल्ली/ खुशबू पाण्डेय : कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए (विवाहित महिला के साथ क्रूरता) के तहत 46 वर्षीय व्यक्ति की दोषसिद्धि को रद्द कर दिया क्योंकि शिकायत उसकी ‘दूसरी पत्नी’ ने की थी, जिससे शादी ‘अमान्य और शून्य’ हो जाती है। न्यायमूर्ति एस रचैया की एकल पीठ ने हाल में अपने फैसले में कहा, एक बार जब अभियोजन गवाह नंबर-एक (शिकायतकर्ता महिला) को याचिकाकर्ता की दूसरी पत्नी माना जाता है, तो जाहिर है आईपीसी की धारा 498-ए के तहत अपराध के लिए याचिकाकर्ता के खिलाफ दायर शिकायत पर विचार नहीं किया जाना चाहिए।’ पीठ ने कहा, दूसरे शब्दों में दूसरी पत्नी द्वारा पति और उसके ससुराल वालों के खिलाफ दायर की गई शिकायत सुनवाई योग्य नहीं है। निचली अदालतों ने इस पहलू पर सिद्धांतों और कानून को लागू करने में त्रुटि की है। इसलिए, पुनरीक्षण क्षेत्राधिकार के तहत इस अदालत द्वारा हस्तक्षेप उचित है। अदालत तुमकुरु जिले के विट्टावतनहल्ली निवासी कंथाराजू द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई कर रही थी। शिकायतकर्ता महिला ने दावा किया था कि वह कंथाराजू की दूसरी पत्नी थी और वे पांच साल तक साथ रहे और उनका एक बेटा भी है। महिला ने शिकायत में कहा कि बाद में वह स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों में घिर गई और पक्षाघात से प्रभावित होकर अक्षम हो गई। कंथाराजू ने कथित तौर पर इसके बाद उसे परेशान करना शुरू कर दिया और उसके साथ क्रूरता की तथा मानसिक यातना दी। महिला ने कंथाराजू के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और तुमकुरु में निचली अदालत ने सुनवाई के बाद 18 जनवरी, 2019 को एक फैसले में कंथाराजू को दोषी करार दिया। अक्टूबर 2019 में एक सत्र न्यायालय ने सजा की पुष्टि की। कंथाराजू ने 2019 में पुनरीक्षण याचिका के साथ उच्च न्यायालय का रुख किया। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया क्योंकि उसने पाया कि दूसरी पत्नी धारा 498ए के तहत शिकायत दर्ज कराने की हकदार नहीं है। उच्च न्यायालय ने शीर्ष अदालत के दो फैसलों-शिवचरण लाल वर्मा मामला और पी शिवकुमार मामले का हवाला देते हुए कहा, उच्चतम न्यायालय के इन दो निर्णयों से स्पष्ट है कि यदि पति और पत्नी के बीच विवाह अमान्य और शून्य के रूप में समाप्त हो गया, तो आईपीसी की धारा 498 ए के तहत अपराध बरकरार नहीं रखा जा सकता है। कंथाराजू की दोषसिद्धि को रद्द करते हुए अदालत ने कहा कि गवाही से साबित हुआ कि महिला याचिकाकर्ता की दूसरी पत्नी थी।

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