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Thursday, August 28, 2025

UP News: अखिलेश के आरोप पर जिलाधिकारियों का जवाब, वोटर डेटा शेयर किया

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Up News: उत्तर प्रदेश में अब नेताओं और मतदाताओं के बीच की बातें चर्चा में आ गई हैं। खासतौर पर समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा भेजे गए एक शपथपत्र को लेकर प्रदेश के कई जिलों के जिलाधिकारी (डीएम) ने अपने-अपने जिले का डाटा साझा किया है। इस खबर से पता चलता है कि मतदाता सूचियों में किस प्रकार से मामूली गलतियों को लेकर जाँच की जा रही है, और कहीं-कहीं पर ऐसी गलतियों को लेकर भी सफाई दी गई है।

कासगंज जिले में मतदाता सूची में नाम काटने और जोड़ने की जाँच (Up News)

सबसे पहले बात करते हैं कासगंज जिले की। यहाँ के डीएम ने एक्‍स पर पोस्ट करते हुए बताया कि उन्हें एक शिकायत मिली थी कि विधानसभा क्षेत्र 101, अमांपुर के मतदाता नामों में गड़बड़ी हुई है। शिकायत यह थी कि आठ मतदाताओं के नाम गलत तरीके से काट दिए गए हैं। इस बात की जाँच में पता चला कि उन आठ में से सात का नाम मतदाता सूची में दो बार दर्ज था। नियम के मुताबिक, अगर किसी आदमी का नाम दो बार है, तो एक नाम को हटा दिया जाता है। इसलिए यहाँ सात मतदाताओं के नाम को हटा दिया गया था।

लेकिन यहाँ की खास बात यह है कि, अभी भी उन सात मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में मौजूद हैं। यानी कि पूरी तरह से ठीक-ठीक उनका नाम नहीं हटा गया है। दूसरी ओर, एक मतदाता की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी ने फार्म-7 भरवाया था, जिसके आधार पर मृतक का नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है। यह भी साफ हो गया कि यहां कोई भी गड़बड़ी नहीं हुई है।

इस तरह, कासगंज जिले की जाँच में बहुत ही सावधानीपूर्वक बताया गया कि मतदाता सूची में गलतिया हुई तो सही, पर पूरी पारदर्शिता से समस्या का हल निकाला गया है। साथ ही, यह भी साबित हुआ कि ज्यादा गड़बड़ी नहीं है, बल्कि मामूली गलती को सही तरीके से सुधारा जा रहा है।

बाराबंकी जिले में मतदाताओं के नाम गलत तरीके से काटने का मामला (Up News)

बाराबंकी के डीएम ने भी अपने जिले का डाटा साझा किया है। उन्होंने बताया कि यहाँ के 266-कुर्सी विधानसभा क्षेत्र के दो मतदाताओं के शपथ पत्र के आधार पर उनके नाम मतदाता सूची से गलत ढंग से काट दिए गए थे। लेकिन जब जाँच की गई, तो पता चला कि वे दोनों मतदाता अभी भी मतदाता सूची में मौजूद हैं। यानी, यहाँ भी कोई बड़ी गड़बड़ी नहीं हुई है।

इस तरह, बाराबंकी जिले में भी मतदाताओं के नाम सही पाए गए हैं, और किसी भी तरह का कोई बड़ा विवाद नहीं है। अधिकारियों ने साफ तौर पर कहा कि यदि किसी भी अपेक्षित मतदाता का नाम गलत तरीके से सही हो तो तुरंत जाँच कर सही-गलत का पता किया जाएगा।

जौनपुर जिले में भी मतदाता सूची में त्रुटि का दावा खारिज

जौनपुर जिले के डीएम ने भी इस तरह की शिकायत का जवाब दिया है। उन्होंने बताया कि यहाँ के 366-जौनपुर विधानसभा क्षेत्र में पांच मतदाताओं के नाम गलत ढंग से मतदाता सूची से काट दिए गए थे। लेकिन जाँच में यह पता चला कि ये पांचों मतदाता पहले ही साल 2022 से पहले ही मृतक हो चुके हैं।

उन मृतकों के परिजन, स्थानीय लोग और सभासद सब मिलकर इसकी पुष्टि कर चुके हैं। इसके साथ ही, इन मृतक मतदाताओं के नाम नियम के अनुसार मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं। अतः इस तरह की शिकायत पूरी तरह निराधार और भ्रामक है।

यह साफ है कि चुनाव आयोग द्वारा गलत रिपोर्टिंग या शपथपत्र में कोई गलत जानकारी नहीं दी गई है। अधिकारी का कहना है कि इन सभी मामलों में जो भी मतदाता सूची से नाम हटाए गए हैं, वे पूरी तरह सही और कानून के मुताबिक है।

अखिलेश यादव का बयान और चुनाव आयोग पर सवाल

वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने ट्विटर या एक्स पर एक पोस्ट लिखी है। इसमें उन्होंने कहा है कि चुनाव आयोग जो कह रहा है कि उन्हें सपा की तरफ से दिए गए शपथपत्र नहीं मिले हैं, वह गलत है। उन्होंने कहा कि हम अपने ऑफिस की पावती को दिखाते हैं, जिसमें उनके शपथपत्र की प्राप्ति का प्रमाण है।

अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि इस बार हम मांग करते हैं कि चुनाव आयोग हमें सही और आधिकारिक डिजिटल रसीद दें, जो हमें शपथपत्र प्राप्त हुआ है। यदि कोर्ट या चुनाव आयोग इस रसीद को सही नहीं मानता, तो फिर यह डिजिटल इंडिया की सुरक्षा पर ही सवाल खड़ा हो जाएगा।

उनका यह भी कहना है कि बिना सही प्रमाण के चुनाव प्रक्रिया पर शक करना गलत है, और जिन मुद्दों को लेकर शिकायत की जा रही है, वे सही नहीं हैं। इस तरह से, अखिलेश यादव ने अपने वकील और समर्थकों को समर्थन देते हुए चुनाव प्रक्रिया की ईमानदारी पर सवाल खड़ा करने की कोशिश की है।

क्या है इस पूरे मामले का मकसद?

यह मामला अब राजनीतिक संदर्भ में काफी चर्चा का विषय बन चुका है। विपक्ष का आरोप है कि चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी फैलाने या फिर सत्ता में रहते हुए अपने वोटरों को बेवजह परेशान करने की कोशिश की जा रही है। वहीं, सरकार और निर्वाचन आयोग का कहना है कि वे पूरी पारदर्शिता के साथ काम कर रहे हैं और हर शिकायत की जांच की जा रही है।

आखिरकार, यह मामला साफ कर देना जरूरी है कि किसी मतदाता का नाम गलती से हटा भी है तो भी उसकी जांच हुई है और जरूरत पड़ने पर सही किया गया है। सरकार और निर्वाचन आयोग का उद्देश्य है साफ-सुथरे और निष्पक्ष चुनाव कराना, ताकि लोकतंत्र मजबूत बने।

प्रशासनिक स्तर पर इन उपायों से यह भी पता चलता है कि चुनावी प्रक्रिया को लेकर किसी तरह का कोई भी बड़ा फर्जीवाड़ा नहीं है। हर छोटी-बड़ी गलतियों की जाँच की जा रही है, और इसे पारदर्शिता से प्रबंधित किया जा रहा है। इससे जनता का भरोसा लोकतंत्र पर बना रहेगा।

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