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Saturday, September 13, 2025

अफगानिस्तान में भीषण भूकंप: 622 लोगों की मौत, एस. जयशंकर ने हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया

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अफगानिस्तान का कुनार प्रांत इस समय प्राकृतिक आपदा की सबसे बड़ी मार झेल रहा है। यहां आए विनाशकारी भूकंप ने हाहाकार मचा दिया है। इस भूकंप ने न सिर्फ भारी तबाही मचाई, बल्कि कई परिवार उजड़ गए हैं। सरकार, स्थानीय प्रशासन और राहत एजेंसियां मिलकर घायलों को मदद पहुंचाने में लगे हुए हैं।

अफगानिस्तान में भूकंप का कहर

31 अगस्त की रात को अफगानिस्तान के पूर्वी हिस्से में एक शक्तिशाली भूकंप आया। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार, इसकी तीव्रता 6.0 रेक्टर स्केल पर मापी गई। भूकंप का केंद्र करीब 27 किलोमीटर दूर था और इसकी गहराई लगभग 8 किलोमीटर थी। इसका प्रभाव इतनी तेज था कि आसपास के इलाकों में ध्वस्त मकान और फसलों का नुकसान हो गया।

अफगानिस्तान में भूकंप की तीव्रता इतनी जबरदस्त थी कि इसके कारण 622 लोगों ने अपनी जान गवां दी। हजारों लोग घायल हो गए हैं, जिनमें से कई की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। राहत कार्य जारी है और बचाव दल संकट में फंसे लोगों को निकालने का काम कर रहे हैं। साथ ही, प्रशासन ने खासतौर पर दूर-दराज के इलाकों में जाकर नुकसान का आंकलन किया है और मदद पहुंचाई जा रही है।

मौसम और भूकंप के कारण ज्यादा खतरनाक स्थिति बनी

अफगानिस्तान भूकंप के प्रति बहुत ही संवेदनशील क्षेत्र है। यहाँ कई फॉल्ट लाइनों के ऊपर स्थित है, जहाँ अक्सर भूकंप का खतरा रहता है। भारत, यूरेशियन प्लेट और यहाँ मौजूद कई पहाड़ी इलाके भी भूकंप और भूस्खलनों को बढ़ावा देते हैं। खासतौर पर पूर्वी अफगानिस्तान में भूस्खलन का जोखिम ज्यादा रहता है, जिससे राहत कार्य भी जटिल हो जाता है।

इतिहास में देखा जाए तो अफगानिस्तान में पिछले कई वर्षों में भारी भूकंप आ चुके हैं। उदाहरण के तौर पर, 7 अक्टूबर 2023 को यहाँ 6.3 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें अनुमानित तौर पर 4000 से अधिक लोग मारे गए थे। इस स्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि अफगानिस्तान भूकंप के लिए बहुत ही अधिक संवेदनशील है।

पहले भी आए हैं बड़े भूकंप, हज़ारों जानें गईं

अफगानिस्तान में प्राकृतिक आपदाओं का इतिहास बहुत पुराना है। मई 1998 में उत्तरी राज्यों, खासतौर पर तखर और बदख्शां में जब भारी भूकंप आया था, तो उस वक्त लगभग 4000 लोगों की जान चली गई थी। उस समय के भूकंप ने करीब 100 गांवों और १६,000 घरों को पूरी तरह से तबाह कर दिया था। उस वक्त 45,000 से ज्यादा लोग बेघर हो गए थे।

यह दिखाता है कि अफगानिस्तान में भूकंप जैसे प्रাকृतिक भीषण संकट को झेलने की क्षमता कम है। सरकार और आम जनता दोनों ही इन आपदाओं से निपटने के लिए तैयार नहीं होते, जिसके कारण जान-माल का नुकसान बहुत अधिक होता है।

यूएन रिपोर्ट और वर्तमान स्थिति

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दस वर्षों में अफगानिस्तान में करीब 7000 से अधिक लोग भूकंप में मारे गए हैं। यहाँ हर साल औसतन 560 लोगों की मौत हो जाती है। ऐसे में यह खतरा लगातार बना रहता है।

इससे पहले, साल 2022 में भी वहाँ कई भूकंप आए थे जो बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचाने वाले थे। इन प्राकृतिक प्रकोपों को देखते हुए, अंतरराष्ट्रीय विशेष ध्यान और सहायता की जरूरत भी महसूस की जा रही है।

भारत का समर्थन और मदद का भरोसा

भारत ने अफगानिस्तान की इस दुखद घड़ी में अपनी चिंता व्यक्त की है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट डालकर कहा कि भारत इस कठिन समय में अफगानिस्तान को हरसंभव मदद देगा। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि हम अपने भाईयों और बहनों के साथ हैं।

उन्होंने अफगानिस्तान के पीड़ितों के प्रति संवेदना भी जताई और घायलों की जल्द ठीक होने की कामना की। भारत सरकार ने यह भी भरोसा दिलाया कि जरूरत पड़ने पर चिकित्सा, भोजन और उनकी बुनियादी आवश्यकताओं में सहायता दी जाएगी।

राहत कार्य अभी भी जारी है। अधिकारियों ने बताया कि राहत दल और बचाव कार्य में लगे हैं, और जितनी जल्दी संभव हो सके, घायल और बेघर लोगों तक मदद पहुंचाई जाएगी। साथ ही, सरकार और राहत एजेंसियों की साझेदारी में किसी भी प्रकार की स्थिति के लिए तैयारियां की जा रही हैं।

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