नई दिल्ली, 3 सितंबर (WomenExpress) – करदाताओं को राहत देने और आम लोगों की जेब पर कम बोझ डालने के मकसद से, 56वीं जीएसटी परिषद की दो दिनों की बैठक बुधवार से नई दिल्ली में शुरू हो रही है। इस बैठक में कई जरूरी बदलावों पर चर्चा होगी, जो देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद करेगी।
जीएसटी के ढांचे में होगा बड़ा बदलाव
इस बैठक में फैसला लिया जाएगा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का ढांचा दो टैक्स स्लैब में बदल दिया जाए। इस फैसले से करीब 150 से अधिक प्रोडक्ट्स पर जीएसटी की दरें घट सकती हैं। इससे मंहगी चीजें और सेवाएं सस्ती हो जाएंगी, जिससे आम लोगों को फायदा मिलेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का उद्देश्य है कि नए जीएसटी सुधारों से अर्थव्यवस्था और ज्यादा पारदर्शी बने और छोटे व्यवसायों का कर का बोझ कम हो। बैठक में ऐसी चर्चा भी होगी कि मौजूदा 12% और 28% की दरों को हटाकर 5% और 18% जैसी कम दरों वाली श्रेणियों में लाया जाए।
बैठक में कुछ चुनिंदा वस्तुओं पर 40% की विशेष कर दर लगाने का प्रस्ताव भी आ सकता है, ताकि सरकार की आय में बढ़ोतरी हो सके।
खर्च कम करने के लिए वस्तुओं की जीएसटी दरें घटाई जाएंगी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई रोजमर्रा की जरूरी वस्तुओं को जीएसटी की शून्य या कम दरें देने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें शामिल हो सकते हैं:
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खुला पनीर, खाखरा, पिज्जा ब्रेड, चपाती और रोटी जैसी खाने की वस्तुएं, जिन पर अभी 5% से 18% तक जीएसटी लगता है।
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पराठा जैसी रेडीमेड फूड पर भी कर की दरें घटाई जा सकती हैं।
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मक्खन, गाढ़ा दूध, जैम, मेवे, नमकीन, मशरूम और खजूर जैसे वस्तुओं पर 12% से घटाकर 5% तक कर हो सकता है।
साथ ही, मिठाइयों, पैकेज्ड स्नैक्स, नाश्ता और मिठाइयों पर भी जीएसटी की दर को 18% से घटाकर 5% करने का प्रस्ताव है। इसमें कोको चॉकलेट, पेस्ट्री, आइसक्रीम और अनाज के फ्लेक्स जैसे आइटम भी शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल खासकर युवाओं और शहरी लोगों द्वारा किया जाता है।
दोपहिया वाहनों और शिक्षा क्षेत्र में भी बदलाव की संभावना
यह भी ज्ञात हुआ है कि छोटी-छोटी कारें और दोपहिया वाहनों पर जीएसटी की दर को 28% से घटाकर 18% किया जा सकता है। इससे ये वाहन और सस्ते हो जाएंगे, खासतौर पर दिवाली से पहले।
शिक्षा क्षेत्र में भी बदलाव होने की उम्मीद है। मानचित्र, ग्लोब, पेंसिल शार्पनर, अभ्यास पुस्तिकाएं, लैब नोटबुक जैसी वस्तुओं पर जीएसटी की दर को 12% से शून्य किया जा सकता है। इससे छात्रों और उनके अभिभावकों को आर्थिक लाभ मिलेगा, खासतौर पर नए शैक्षणिक वर्ष से पहले।
अंत में, जीएसटी संशोधन की मंजूरी के बाद इन बदलावों को 22 सितंबर तक लागू किया जा सकता है। इस बैठक में केंद्र और राज्यों के प्रतिनिधि मिलकर नए प्रस्तावों पर सहमति बनाएंगे, ताकि आम जनता और व्यवसाय दोनों को फायदा हो सके।
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