–जारी होगा यूनिक नंबर, मैनुअल व्यवस्था होगी खत्म
–रेल मंत्रालय में शुरू किया प्रयोग, देशभर में जल्द होगा लागू
–यूनिक नंबर के आधार पर ही होगा यात्रा के लिए टिकट रिर्जवेशन
नई दिल्ली /टीम डिजिटल : भारतीय रेलवे डिजिटलाइजेशन की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। यात्री सुविधाओं, ट्रेनों की आवाजाही को आधुनिक करने के बाद अब अपने कर्मचारियों के सिस्टम को आनॅलाइन करने जा रहा है। इसके तहत अब रेलवे अपने 13 लाख से अधिक कर्मचारियों के ड्यूटी पास और पीटीओ को डिजिटल प्लेटफार्म पर ला रहा है। इसके बाद उनका पूरा सिस्टम आनलॉइन हो जाएगा। इसके लिए रेलवे विशेष यूनिक नंबर जारी करेगा। यूनिक नंबर द्वारा रेलवे कर्मचारी डिजिटल पास पर रिजर्वेशन कर सकेंगे। इसके लिए क्रिस ने पीआरएस पर ऑनलाइन टिकेट की व्यवस्था की है। चार जोनल रेलवे के कमर्शियल डिपार्टमेंट को ई-पास, ई-पीटीओ की बुकिंग की व्यवस्था क्रिस के साथ मिलकर की जाएगी।
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रेल मंत्रालय इसका प्रयोग परीक्षण दक्षिण मध्य रेलवे में कर रहा है। इसके सफल होने पर पूरे देश में लागू हो जाएगी। रेलवे बोर्ड ने पहले चरण में सेंट्रल रेलवे, ईस्टर्न रेलवे, नार्दन रेलवे और दक्षिण रेलवे में चालू करने का निर्णय लिया है। इस आदेश को जल्द ही लागू कर दिया जायेगा। वर्तमान में अलग-अलग ग्रेड के रेल कर्मियों को अलग-अलग संख्या में रेलवे पास और पीटीओ जारी किया जाता है। ग्रेड सी के रेल कर्मियों को साल में तीन सेट पास और चार सेट पीटीओ मिलता है। इस व्यवस्था के तहत सभी रेल कर्मियों का एक- एक यूनिक नंबर होगा।
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इस यूनिक नंबर का डाटा क्रिस के कंप्यूटर में फीड कर दिया जाएगा। जरूरत पडऩे पर जो रेल कर्मी अपना पास या पीटीओ का उपयोग करने के लिए रिजर्वेशन काउंटर पर पहुंचेगे, वे रिजर्वेशन फॉर्म पर अपना यूनिक नंबर अंकित कर देंगे। अभी रिजर्वेशन कराने के लिए रिजर्वेशन फॉर्म पर पास या पीटीओ का नंबर लिखना पड़ता है। परन्तु इस व्यवस्था के तहत केवल यूनिक नंबर लिखना होगा। कंप्यूटर में यूनिक नंबर फीड करते ही उस कर्मचारी का सारा डाटा डिस्प्ले हो जायेगा और तब रिजर्वेशन के प्रक्रिया पूरी की जाएगी। बता दें कि वर्तमान में भारतीय रेलवे में 13 लाख कर्मचारी हैं।
सूत्रों के मुताबिक मैनुअल व्यवस्था में कई गड़बडिय़ां भी होती हैं और पास एवं पीटीओ का गलत इस्तेमाल भी होता है। साथ ही भ्रष्ष्टाचार की गुंजाइश भी बनी रहती है। इसी को देखते हुए पूरी पास एवं पीटीओ व्यवस्था को हाईटेक किया जा रहा है।