–मध्य प्रदेश के CM शिवराज सिंह ने पंजाब के CM अमरिंदर की निंदा की
–अमरिंदर द्वारा प्रधानमंत्री को पत्र लिखने से खफा हैं शिवराज
–पंजाब सरकार के कदम को बताया राजनीति से प्रेरित
-शिवराज ने कैप्टन से पूछा, मध्यप्रदेश के किसानों से क्या दुश्मनी है?
–शिवराज सिंह ने भी प्रधानमंत्री मोदी को लिखा पत्र
–बासमती चावल की जीआई टैगिंग का मामला तूल पकड़ा
(खुशबू पाण्डेय)
नई दिल्ली/ टीम डिजिटल : प्रसिद्ध बासमती चावल को भौगोलिक संकेत टैग (जीआई टैगिंग) दिलाने के प्रयासों को लेकर दो राज्यों के मुख्यमंत्री आपस में भिड़ गए हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने की निंदा की है। साथ ही कहा कि उनका यह कदम राजनीति से प्रेरित है। बता दें कि मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है और पंजाब में कांग्रेस पार्टी की। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री चौहान ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से पूछा कि आखिर उनकी मध्यप्रदेश के किसान बन्धुओं से क्या दुश्मनी है? यह मध्यप्रदेश या पंजाब का मामला नहीं, पूरे देश के किसान और उनकी आजीविका का विषय है।
मध्यप्रदेश के निर्यात होने वाले प्रसिद्ध बासमती चावल को जीआई टैग दिलाने के राज्य के प्रयासों के बीच पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर ने कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे इस संबंध में हस्तक्षेप की मांग की है। पत्र में दावा किया गया है कि ऐसा हो जाने पर पंजाब और अन्य राज्यों के हित प्रभावित होंगे, जिनके बासमती चावल को पहले से ही जीआई टैग हासिल है।
मैं मध्यप्रदेश के अपने बासमती उत्पादन करने वाले किसानों की लड़ाई लड़ रहा हूं। उनके पसीने की पूरी कीमत उन्हें दिलाकर ही चैन की सांस लूंगा। GI टैगिंग के संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर अवगत करा दिया है। मुझे विश्वास है कि प्रदेश के किसानों को न्याय अवश्य मिलेगा।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) August 6, 2020
पत्र में यह भी कहा गया है कि ऐसा होने पर पाकिस्तान को भी लाभ मिल सकता है। शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा है कि पाकिस्तान के साथ कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपेडा) के मामले का मध्यप्रदेश के दावों से कोई संबंध नहीं है। क्योंकि यह भारत के जीआई एक्ट के तहत आता है और इसका बासमती चावल के अंतर्देशीय दावों से कोई जुड़ाव नहीं है। पंजाब और हरियाणा के बासमती निर्यातक मध्यप्रदेश से बासमती चावल खरीद रहे हैं। केंद्र सरकार के निर्यात के आकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं। केंद्र सरकार वर्ष 1999 से मध्यप्रदेश को बासमती चावल के ब्रीडर बीज की आपूर्ति कर रही है।
इस बीच शिवराज सिंह ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस संदर्भ में पत्र लिखा है। उन्होंने मध्यप्रदेश के बासमती चावल के एतिहासिक संदर्भ का उल्लेख करते हुए प्रदेश के किसानों एवं बासमती चावल आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिये प्रदेश के बासमती चावल को जी.आई. दर्जा प्रदान करने का अनुरोध किया है।
तत्कालीन सिंधिया स्टेट के रिकॉर्ड में अंकित है : चौहान
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि तत्कालीन सिंधिया स्टेट के रिकॉर्ड में अंकित है कि वर्ष 1944 में प्रदेश के किसानों को बीज की आपूर्ति की गई थी। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ राइस रिसर्च, हैदराबाद ने अपनी उत्पादन उन्मुख सर्वेक्षण रिपोर्ट में दर्ज किया है कि मध्यप्रदेश में पिछले 25 वर्ष से बासमती चावल का उत्पादन किया जा रहा है। मध्यप्रदेश को मिलने वाले जीआई टैगिंग से अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारत के बासमती चावल की कीमतों को स्थिरता मिलेगी और देश के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। मुख्यमंत्री चौहान ने बताया है कि मध्यप्रदेश के 13 जिलों में वर्ष 1908 से बासमती चावल का उत्पादन हो रहा है और इसका लिखित इतिहास भी है। मध्यप्रदेश का बासमती चावल अत्यंत स्वादिष्ट माना जाता है और अपने जायके और खुशबू के लिए यह देश विदेश में प्रसिद्ध है।
परम्परागत रूप से मध्यप्रदेश में है बासमती की खेती
मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि मध्यप्रदेश में बासमती की खेती परम्परागत रूप से होने के संबंध में आईआईआरआर हैदराबाद एवं अन्य विशेषज्ञ संस्थानों द्वारा प्रतिवेदित किया गया है। इस प्रतिवेदन की प्रति केन्द्रीय कृषि मंत्री को इस संदर्भ में पृथक से भेजी गयी है। प्रदेश में उत्पादित बासमती चावल को जीआई सुविधा देने के लिये दिये गये अभ्यावेदन के परीक्षण के लिये उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है और प्रकरण अभी समिति के समक्ष निराकरण हेतु लंबित है।