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Monday, June 16, 2025

PM मोदी ने लांच किया पारदर्शी कराधान-ईमानदार का सम्मान प्लेटफार्म

सुगम, सरल और फेसलेस होगी नई कर प्रणाली
-राष्ट्रनिर्माण में ईमानदार कर दाताओं की बढ़ी भूमिका
-देश में डेढ़ करोड़ लोग देते हैं टैक्स, बढ़ाना जरूरी, की अपील
-25 सितंबर से पूरे देश में फेसलेस आवेदन की सुविधा उपलब्ध होगी
-आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए टैक्स चुकाने के लिए आगे आएं
-ईमानदार को सम्मान देने पर सरकार पूरा ध्यान देगी : प्रधानमंत्री

(खुशबू पाण्डेय)
नई दिल्ली / टीम डिजिटल : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज यहां ईमानदार टैक्सपेयर्स को प्रोत्साहन और कर प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए एक नए खास प्लेटफॉर्म की शुरुआत की। ये प्लेटफॉर्म 21वीं सदी के टैक्स सिस्टम की शुरुआत है, जिसमें फेसलेस असेसमेंट-अपील और टैक्सपेयर्स चार्टर जैसे बड़े रिफॉर्म हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि फेसलेस असेसमेंट और करदाता चार्टर आज से लागू हो गया है, जबकि दीन दयाल उपाध्याय की जयंती पर 25 सितंबर से देश भर के नागरिकों के लिए फेसलेस अपील की सुविधा भी उपलब्ध हो जाएगी। नये प्लेटफार्म का उद्देश्य इसे फेसलेस बनाने के अलावा करदाताओं का विश्वास बढ़ाना और उन्हें निडर बनाना भी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले छह वर्षों में सरकार का ध्यान बैंकिंग द अनबैंक्ड, सिक्योरिंग द अनसिक्योर्ड एंड फंडिंग द अनफंडेड पर रहा है। ऑनरिंग द ऑनेस्ट का प्लेटफार्म भी इसी दिशा में एक कदम है। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि एक करोड़ 30 लाख की आबादी वाले देश के केवल डेढ़ करोड़ लोग ही आयकर देते हैं जो कि बहुत कम है। उन्होंने लोगों से आत्मावलोकन कर आयकर दाखिल करने के लिए आगे आने और राष्ट्रनिर्माण में योगदान करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में मदद करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र ने राष्ट्र निर्माण में ईमानदार करदाताओं की भूमिका की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे करदाताओं का जीवन आसान बनाना सरकार की जिम्मेदारी है। जब देश के एक ईमानदार करदाता का जीवन आसान हो जाता है, वह आगे बढ़ता है और प्रगति करता है, उसकी प्रगति से देश का भी विकास होता है और वह भी आगे बढ़ता है। मोदी ने कहा कि आज शुरू की गई नई सुविधाएं ‘न्यूनतम सरकार अधिकतम शासन प्रदान करने के सरकार के संकल्प का ही एक हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि हर नियम, हर कानून और हर नीति सत्ता केन्द्रित होने की बजाए लोक केन्द्रित बनाई गई है। नए शासन के मॉडल के अच्छे परिणाम दिख रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ऐसा वातावरण बनाया जा रहा है जहां सभी कार्यों के निष्पादन में कर्तव्य को प्रधानता दी जा रही है। यह सजा के डर के कारण नहीं बल्कि समग्र दृष्टिकोण की समझ के कारण है जिसे अपनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा शुरू किए जा रहे सुधार टुकड़े-टुकड़े में नहीं हैं, बल्कि वे समग्र दृष्टिकोण के साथ परिणाम देने के उद्देश्य से हैं। मोदी ने कहा कि देश की कर संरचना में मूलभूत सुधारों की आवश्यकता थी क्योंकि पूर्व में बनाई गई कर संरचना पहले से विकसित थी। स्वतंत्रता के बाद के समय में हुए कई बदलावों से भी उसके मौलिक रूप में कोई बदलाव नहीं आया। उन्होंने कहा कि पहले की कर प्रणाली की जटिलताओं ने इसे नया रूप देना मुश्किल बना दिया था। सरल कानून और प्रक्रियाओं का अनुपालन आसान होता है। ऐसा ही एक उदाहरण जीएसटी है, उन्होंने कहा, जिसने दर्जनों करों का स्थान लिया।

नये कानूनों ने कर प्रणाली में कानूनी बोझ कम किया

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नवीनतम कानूनों ने कर प्रणाली में कानूनी बोझ को कम कर दिया है। अब उच्च न्यायालय में कराधान से जुड़े मामलों को दायर करने की सीमा 1 करोड़ रुपये और उच्चतम न्यायालय में दाखिल करने के लिए 2 करोड़ रुपये तक निर्धारित की गई है। विवाह से विश्वास योजना जैसी पहल ने अधिकांश मामलों को अदालत से बाहर निपटाने का मार्ग प्रशस्त किया। पीएम मोदी ने कहा कि कर स्लैब को भी मौजूदा सुधारों के एक हिस्से के रूप में युक्तिसंगत बनाया गया है। जहां 5 लाख रुपये तक की आय पर शून्य कर देय है, जबकि शेष स्लैब में भी कर की दर कम हो गई है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के सबसे कम कॉर्पोरेट टैक्स वाले देशों में से एक है।

कर व्यवस्था को फेसलेस बनाना है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मौजूदा कर सुधारों का लक्ष्य कर व्यवस्था को निर्बाध, बिना रुकावट, वाला और फेसलेस बनाना है। आसान कर प्रणाली करदाता की समस्याओं को उलझाने के बजाय उसे सुलझाने का काम करती है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी से लेकर नियमों तक सब कुछ सरल और आसान होना चाहिए। उन्होंने फेसलेस प्रणाली का उल्लेख करते हुए कहा कि छानबीन, नोटिस, सर्वेक्षण या मूल्यांकन के सभी मामलों में करदाता और आयकर अधिकारी के बीच सीधे संपर्क की आवश्यकता नहीं है। करदाता चार्टर का उल्लेख करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण कदम है जहां करदाता को अब उचित, विनम्र और तर्कसंगत व्यवहार का आश्वासन दिया गया है। उन्होंने कहा कि चार्टर करदाता की गरिमा और संवेदनशीलता को बनाए रखने का भी ध्यान रखता है और यह इस भरोसे पर आधारित है कि बिना आधार के करदाता पर संदेह नहीं किया जा सकता है।

6-7 वर्षों में रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में वृद्धि

प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2012-13 में 0.94 प्रतिशत से 2018-19 में 0.26 प्रतिशत तक पिछले 6 वर्षों में स्क्रूटनी (जांच) मामलों में आई चार गुना कमी का उल्लेख करते हुए कहा कि यह स्वयं सरकार के भरोसे का प्रतिबिंब है। उन्होंने कहा कि पिछले 6 वर्षों में, भारत ने कर प्रशासन में शासन का एक नया मॉडल विकसित किया है। इन सभी प्रयासों के बीच, उन्होंने कहा कि पिछले 6-7 वर्षों में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में लगभग 2.5 करोड़ की वृद्धि हुई है।

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