–गुरुद्वारा बंगला साहिब में समर्थकों एवं विरोधियों में हुई तकरार
–गुरुद्वारा बंगला साहिब बना वैचारिक युद्व का केंद्र
–अंदर कथा चलती रही, बाहर विरोध होता रहा
–विरोध करने में महिलाएं भी शामिल, जमकर हुई नारेबाजी
नई दिल्ली /टीम डिजिटल : दशम ग्रंथ में बचित्र नॉटक की कथा गुरुद्वारा बंगला साहिब से करवाने को लेकर विवाद पैदा हो गया है। इसको लेकर आज शुक्रवार को गुरुद्वारा परिसर में जमकर विवाद और दो धड़ों में तकरार हुआ। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से एक सितम्बर से बचित्र नाटक की कथा बाबा बंता सिंह से करवानी शुरु की थी। लेकिन चार दिनों के दौरान ही गुरुद्वारा बंगला साहिब के सामने दो बार विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं। पहला प्रदर्शन एक सितम्बर को और दूसरा आज हुआ है। प्रदर्शन कर रहे सिखों का मानना है कि बचित्र नॉटक की कथा गुरुद्वारा साहिब में नहीं होनी चाहिए। गुरुद्वारा में सिर्फ श्री गुरुग्रंथ साहिब की वाणी का ही प्रचार होना चाहिए। दरअसल, दशम ग्रंथ को गुरु गोविंद सिंह की साहित्यिक रचना माना जाता है, और उसके कुछ हिस्से को अश्लील बताकर कुछ जागरुक सिख उसका विरोध करते हैं।
आज सुबह गुरुद्वारा बंगला साहिब में दशम ग्रंथ के समर्थक व विरोधी आपस में आमने-सामने हो गए। जिस वजह से जमकर हुल्लड़बाजी हुई। दोनों गुटों में आपस में काफी टकरार भी हुई। दरअसल, अध्योध्या में श्री राम जन्म मंदिर के लिए भूमि पूजन के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोविन्द रामायण का अपने भाषण में हवाला दिया था। दशम ग्रंथ में रामावतार के नाम से एक अलग अध्याय है। वहीं मौजूद तख्त श्री पटना साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह ने सिख गुरुओं केा लव कुश का वंश बता दिया था। जिसका हवाला भी बचित्र नाटक में मिलता है। उसी दिन से सिखों ने सोशल मीडिया पर दशम ग्रंथ की मुखालफल करनी शुरू कर दी थी। लेकिन इस बीच दिल्ली कमेटी ने दशम ग्रंथ की कथा शुरू करवाकर अपने सिर मुसीबत ले ली है। अब तकरार के बीच सियासत भी तेज हो गई है।
जागो पार्टी के अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके ने आज संगतों में हुई तकरार के लिए कमेटी को जिम्मेदार बताया है, और कहा है कि विरोध करने वालों को बिठाकर समझाने की जिम्मेदारी कमेटी की थी। लेकिन कमेटी अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रही है। मंजीत सिंह जीके ने कहा कि उनके कार्यकाल में भी दशम ग्रंथ की कथा हुई है, लेकिन कभी ऐसे विरोध एवं विवाद नहीं हुआ था।
विरोध के बावजूद जारी है दशम ग्रंथ की कथा
2013 कमेटी चुनाव से पहले परमजीत सिंह सरना के अध्यक्ष रहते हुए दशम गं्रथ की वाणी का कीर्तन और कथा दिल्ली में बंद थी। जिसे तब अकाली दल ने मुद्दा बनाया था और यह अकाली दल की जीत का बड़ा कारण था। 2017 के चुनाव में भी अकाली दल ने संगत को यह भय दिखाया था कि अगर हम हट गए तो दिल्ली में दशम ग्रंथ का प्रचार फिर सं बंद हो जाएगा, उस वक्त भी इसका फायदा अकाली दल को मिला था। लगता है कि 2021 के आगामी चुनाव में भी अकाली दल दशम ग्रंथ को चुनावी मुददा बनाने की फिराक में है, जिस वजह भी विवाद ओर विरोध के वावजूद कथा बंद नहीं की गई है।
कुछ भूले हुए लोगों कथा का विरोध किया, गुरुघर का निरादर हुआ : कमेटी
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के धर्म प्रचार कमेटी के चेयरमैन जतिंद्रपाल सिंह चेयरमैन ने कहा कि कमेटी की धर्म प्रचार कमेटी द्वारा पिछले काफी समय से गुरु ग्रंथ साहिब और दशम ग्रंथ में से बाणी की विचार गुरुद्वारा बंगला साहिब से सुबह के समय करवाई जाती है। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए 1 सितंबर से 8 सितंबर तक गुरुद्वारा बंगला साहिब में गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा अकाल पुरख की अस्तुति में उचारण किए गये कुछ तुकों की अर्थ सहित व्याख्या करवाई जा रही है। इस संबंध में आज सुबह गुरुद्वारा बंगला साहिब में कुछ भूले हुए भाई-बहनों ने कथा का विरोध किया जिससे गुरुद्वारा साहिब में विघ्न पड़ा और गुरुघर का निरादर हुआ। सबसे बड़ी हैरानी उस समय हुई जब जागो पार्टी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जी.के ने अपनी प्रैस कान्फ्रेंस में विरोध करने वालों का साथ दिया, इससे मनजीत सिंह का दोगला चेहरा सामने आया और यह भी साबित हुए कि सुबह के समय गुरुद्वारा बंगला साहिब में विरोध करने वाली टीम भी जी.के ने ही भेजी थी। उन्होंने कहा कि दिल्ली के सिखों को सचेत होने की जरूरत है जो सेवा की बातें कर वोट मांगा करता था वह गुरूद्वारा बंगला साहिब और गुरूद्वारा सीस गंज साहिब से गुरु साहिब का नाम मिटाना चाहता है।