कृषि से जुड़े विधेयकों पर घिरी सरकार को बचाने मैदान में उतरी भाजपा
–तीनों विधेयक किसानों की तस्वीर और तकदीर बदल देंगे
–किसानों को बरगलाती है कांग्रेस, बोल रही है झूठ, कर रही है देश को गुमराह
–कांग्रेस घोषणापत्र में की कृषि सुधारों की बात, लेकिन संसद में किया विरोध
(नीता बुधौलिया)
नई दिल्ली/ टीम डिजिटल : कृषि और किसानी को लेकर केंद्र सरकार द्वारा संसद में लाए जा रहे तीन विधेयकों के खिलाफ देशभर में हो रहे विरोध के बीच अब संसद के बाहर सत्ताधारी दल भाजपा सरकार और बिल के बचाव में उतर गई है। भाजपा के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने खुद कमान संभालते हुए कांग्रेस पार्टी पर सीधे हमला बोला है। साथ ही कहा कि कांग्रेस एक ओर तो कृषि सुधारों को अपने चुनावी घोषणापत्र में रखती है, वहीं दूसरी ओर संसद में उन्हीं सुधारों का विरोध करती है, किसानों को बरगलाती है, झूठ बोलती है और देश को गुमराह करती है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आज भाजपा मुख्यालय में वरिष्ठ महासचिवों के साथ मीडिया के समक्ष तीनों विधेयकों पर पक्ष रखा। साथ ही कहा कि एमेंडमेंट ऑफ़ एसेंशियल कोमोडिटीज, द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स, द फार्मर्स (एम्पावर एंड प्रोटेक्शन) अग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस, ये तीनों विधेयक किसानों के लिए समर्पित हैं। ये विधेयक किसानों की तस्वीर और तकदीर बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने सभी कार्यक्रमों की रचना सदैव किसानों, गरीबों, मजदूरों, दलितों, पीडि़तों, शोषितों और वंचितों के उत्थान को ध्यान में रख कर ही की है। प्रधानमंत्री का एकमात्र उद्देश्य है इन सबको समाज की मुख्यधारा में लाना और उनकी सेवा करते हुए उनका सशक्तिकरण करना।
किसानों को दृष्टि में रखते हुए पार्लियामेंट में तीन बिल आए हैं। ये तीनों बिल बहुत दूर दृष्टि रखते हैं।
किसानों के उत्पाद का दाम बहुत तीव्र गति से आगे बढ़ाने तथा कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ाने में ये तीनों बिल बहुत महत्वपूर्ण और लाभकारी हैं। pic.twitter.com/cplu4nYFFd
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) September 16, 2020
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि यदि आप केंद्र सरकार के 20 लाख करोड़ रुपये के ‘आत्मनिर्भर भारतÓ पैकेज को भी देखेंगे तो पता चलेगा कि यह हर वर्ग को एड्रेस करता है। इसमें भी किसान के उत्पादों को बढ़ाना, उसका वैल्यू एडिशन करना, बाजार का सरलीकरण करते हुए किसानों को सही दाम मिल सके, इसकी व्यवस्था करना और इस सेक्टर में निवेश के लिए प्राइवेट सेक्टर को भी प्रोत्साहित करना जैसी व्यवस्थाएं किये जाने का प्रावधान है। इसके लिए कृषिगत सुधार और इन्फ्रा पर एक लाख करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान किया गया है।
नड्डा ने कहा कि ये तीनों विधेयक काफी दूरदृष्टि वाले विधेयक हैं। ये किसानों के उत्पाद के दाम को तेजी से बढ़ाने में भी सहायक होंगे। द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स, द फार्मर्स (एम्पावर एंड प्रोटेक्शन) अग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस विधेयक किसानों की भलाई के लिए हैं लेकिन कांग्रेस सदन में इसका विरोध कर रही है, यह कांग्रेस के दोहरे चरित्र को दर्शाता है। हर चीज में राजनीति करना कांग्रेस की आदत बन चुकी है।
मिनिमम सपोर्ट प्राइस हमेशा बना रहेगा
नड्डा ने कहा कि एमएसपी था, है और रहेगा। मिनिमम सपोर्ट प्राइस हमेशा बना रहेगा। ये तीनों विधेयक किसानों के उत्पाद के दाम को तेजी से बढ़ाने में सहायक होंगे।
भाजपा चीफ ने कहा कि यह वही कांग्रेस है जिसने अपनी यूपीए सरकार के दौरान 2013-14 में अपनी राज्य सरकारों कर्नाटक, असम, मेघालय, हिमाचल और हरियाणा में फ्रूट और वेजिटेबल्स को एपीएमसी से डिनोटिफाई कराया था। उन्होंने कहा कि ‘द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स विधेयक किसानों को सुविधा देने का प्रयास है ताकि किसान आसानी से अपना उत्पाद बेच सके। अब किसान अपने उत्पादों को कहीं भी बेच सकते हैं और अपने हिसाब से अपने उत्पादों का दाम भी रख सकते हैं।
जमीन की मिल्कियत किसान की ही होगी
‘द फार्मर्स (एम्पावर एंड प्रोटेक्शन) अग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस विधेयक कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की सभी बाधाओं को दूर करते हुए एक मॉडल एग्रीमेंट का फ्रेमवर्क डेवलप करेगा। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में हमेशा एक ख़तरा होता था कि जो किसान की जमीन पर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए आया है, वही जमीन का कहीं मालिक न बन जाय। इस विधेयक के अनुसार किसान की जमीन पर कोई भी इन्वेस्ट करता है तो उस जमीन की मिल्कियत किसान की ही होगी। जेपी नडडा ने कहा कि इस नए विधेयक के अनुसार इसमें किसान और कॉन्ट्रैक्ट फार्मर के बीच एक लिखित और मॉडल अग्रीमेंट बनेगा जो उत्पाद पर आधारित होगा, जमीन पर नहीं। इसके साथ ही, एश्योर्ड प्राइस, बोनस और वेरिएबल्स भी इस एग्रीमेंट के हिस्से होंगे।
‘एसेंशियल कोमोडिटीज एक्ट 1955 में आया था
भाजपा अध्यक्ष जेपी नडडा ने कहा कि ‘एसेंशियल कोमोडिटीजÓ एक्ट 1955 में आया था और चूंकि उस वक्त फूड ग्रेन्स की शॉर्टेज रहा करती थी, इसलिए इस को ध्यान में रखते हुए यह एक्ट लाया गया था। अब चाहे गेहूं हो, धान हो या दाल हो, इन सबके उत्पादन में कई गुना वृद्धि हुई है और अब खाद्यानों की शॉर्टेज नहीं है, इसलिए इसे डीरेगुलेट करते हुए इसमें एमेंडमेंट कर ‘एमेंडमेंट ऑफ़ एसेंशियल कोमोडिटीजÓ लाया गया है ताकि अकाल, युद्ध, आपदा और बाढ़ जैसी स्थिति में इसका बेहतर इस्तेमाल हो सके। इसे कल संसद में पारित भी कर दिया गया है।
कांग्रेस की आदत बन चुकी हर चीज में राजनीति करना : भाजपा
हर चीज में राजनीति करना कांग्रेस की आदत बन चुकी है, उसे सिवाय राजनीति के कुछ आता ही नहीं। यह वही कांग्रेस है जिसने अपनी यूपीए सरकार के दौरान 2013-14 में अपनी राज्य सरकारों कर्नाटक, असम, मेघालय, हिमाचल और हरियाणा में फ्रूट और वेजिटेबल्स को एपीएमसी से डिनोटिफाई कराया था। सरकार ने किसानों के लिए जरूरी हर मुद्दे का समाधान करते हुए पूरा का पूरा इम्प्लीमेंट किया है। कांग्रेस एक ओर तो कृषि सुधारों के बिंदुओं को अपने चुनावी घोषणापत्र में रखती है, वहीं दूसरी ओर संसद में उसी सुधारों का विरोध करती है, किसानों को बरगलाती है, झूठ बोलती है और देश को गुमराह करती है।