— बाल यौन शोषण और बाल तस्करी की रोकथाम पर एक अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार
— तस्करी की रोकथाम में मिसाल पेश करें प्राधिकरण : न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी
नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। बाल यौन शोषण और बाल तस्करी की रोकथाम पर एक अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन भागीदारी जन सहयोग समिति की अगुवाई में आयोजित किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी ने बाल-दुर्व्यवहार के पीड़ितों और उनके अभिभावकों के कड़वे एवं मार्मिक अनुभवों की चर्चा को साझा किया। साथ ही बताया कि दुर्व्यवहार से उनके ह्रदय पटल पर इसका कितना अधिक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि देश के राज्यों क़ी विधिक सेवा प्राधिकरण बाल यौन शोषण और बाल तस्करी की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका क़ी मिसाल प्रस्तुत करे।
कार्यक्रम में दिल्ली , हरियाणा , अरुणाचल प्रदेश एवं पंजाब की राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण की प्रमुख भागीदारी रही तथा ओपू आमा सोसाइटी एवं अरुणाचल यूनिवर्सिटी ऑफ़ स्टडीज एवं पंजाब राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण का सहयोग भी सम्मिलित रहा।
हरियाणा राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण की कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति दया चौधरी न्यायाधीश पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा उठाए गए विभिन्न कानूनी गतिविधियों पर बात की। उन्होंने बच्चों को अच्छे और बुरे स्पर्श को सिखाने के साथ-साथ बाल शोषण और मानव तस्करी रोकथाम के लिए सामाजिक संस्थाओं एवं शिक्षा संस्थानों से आग्रह किया कि वे बच्चों जागरूक करे न्यायमूर्ति चौधरी के कहा कि बाल यौन शोषण के मामले रजिस्टर किये गए मामलो से कम है क्योकि जागरूकता के आभाव में पर्याप्त संख्या में दर्ज नहीं होते।
हरियाणा सरकार के पूर्व पूर्व प्रधान सचिव शिव रमन गौड़ ने शहरी, साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के पक्ष में भी योजना बनाने और कदम उठाने के लिए बच्चों, माता-पिता और अन्य सामाजिक संगठनों को सतर्क और प्रशिक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
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तकनिकी सत्र की मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्य मंत्री महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार देबाश्री चौधरी ने कहा कि सरकार ने चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर सेवाएं एवं पोक्सो अधिनियम जैसे कड़े कानून बनाकर देश में यौन शोषण और बाल तस्करी को रोकने के लिए कई उपाय किए हैं।
इसी सत्र में ढाका विश्वविद्यालय बांग्लादेश में लॉ – विभाग की प्रोफेसर शहनाज हुडा ने बांग्लादेश में बाल यौन शोषण और बाल तस्करी के मामलों का एक सांख्यिकीय डेटा प्रस्तुत करते हुए इससे सम्बंधित अपने देश के कानूनी प्रावधानों पर प्रकाश डाला। तथा बाल यौन शोषण के खिलाफ विश्व्यापी अभियान में सभी देशो की सक्रिय भागीदारी पर जोर दिया। बाल अधिकारों के संरक्षण के प्रति आयोग के कटिबद्धता दोहराते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य प्रज्ञा परांडे ने अन्य विभागों की मदद से भारत में बच्चों के यौन शोषण और तस्करी की समस्या से निपटने के लिए आयोग द्वारा उठाए गए उपायों पर बात की।
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अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश कँवल जीत अरोरा सदस्य सचिव दिल्ली राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण ने प्राधिकरण कानूनी प्रावधानों पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए बताया कि प्राधिकरण द्वारा स्कूल में बच्चों एवं अध्यापकों को ही नहीं अपितु अभिभावकों को भी बाल यौन – शोषण रोकथाम , कानूनी प्रावधानों से अवगत करवाने के लिए एक और विशेष कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है दूसरी और पुलिस कर्मियों को भी विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि कानूनी प्रावधानों को प्रभावी बनाया जा सके।
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भागीदारी जन सहयोग समिति के महासचिव विजय गौड़ ने अभियान को देशव्यापी स्तर पर ले जाने की घोषणा की। साथ ही बताया कि भारत, यूएसए , इंडोनेशिया एवं बांग्लादेश से वेबिनार में 10000 लोगो ने भाग लेने के लिया रजिस्ट्रेशन कराया। इसमें छात्र, प्रोफेसर, अध्यापक, समाजसेवी, शिक्षक-प्रशिक्षणार्थी, अधिवक्ता,एवं विभिन्न राज्यों के बाल अधिकार संरक्षण आयोग सहित 16000 से अधिक लोग कार्यक्रम से जुड़े। इसमें डीएवी, दिल्ली नगर निगम, नई दिल्ली नगर पालिका एवं केन्दीय विद्यालयों के अध्यापको ने प्रमुखता से भाग लिया।
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इस अवसर पर संस्थानों के प्रमुख प्रोफेसर के के अग्रवाल, एपीएसएलएसए की सदस्य सचिव जवाप्लू चाय, प्रोफेसर आदित्य मालिक उपकुलपति के आर मंगलम यूनिवर्सिटी, प्रोफेसर ओपी शर्मा उपकुलपति अरुणाचल यूनिवर्सिटी ऑफ़ स्टडीज , सुश्री जसबीर ऋषि उपकुलपति डीएवी यूनिवर्सिटी, प्रोफेसर ज्योति गौड़ डीन स्वामी विवेकानंद सुभारती यूनिवर्सिटी ने भी बाल यौन शोषण को सामाजिक कलंक बताते हुए समिति के अभियान में सहयोग देने का विश्वास दिलाया।