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Monday, July 7, 2025

निरंकारी समागम: सद्गुरू माता सुदीक्षा महाराज ने दिया मानवता को संदेश

जीवन में स्थिरता लाने के लिए परमात्मा के साथ नाता जोड़ें 
–तीन दिवसीय वार्षिक निरंकारी संत समागम खत्म, पहली बार बर्चुअल समागम

नई दिल्ली / खुशबू पाण्डेय : संत निरंकारी मिशन की प्रमुख सद्गुरू माता सुदीक्षा महाराज ने मानवता को प्रेरित करते हुए कहा कि जीवन में स्थिरता, सहजता और सरलता लाने के लिए परमात्मा के साथ नाता जोड़े। जीवन के हर पहलू में स्थिरता की आवश्यकता है। परमात्मा स्थिर, शाश्वत एवं एक रस है। जब हम अपना मन इसके साथ जोड़ देते हैं तो मन में भी ठहराव आ जाता है। जिससे हमारी विवेकपूर्ण निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाती है और जीवन के हर उतार-चढ़ाव का सामना हम उचित तरीके से कर पाते हैं। सद्गुरू माता सुदीक्षा महाराज यहां तीन दिवसीय वार्षिक निरंकारी संत समागम के दौरान दुनियाभर के सैकड़ों भक्तों को मानवता का संदेश दिया। इतिहास में पहली बार निरंकारी संत समागम वचुर्अल हुआ।

निरंकारी समागम: सद्गुरू माता सुदीक्षा महाराज ने दिया मानवता को संदेश

मिशन की प्रमुख सदगुरू माता ने कहा कि अस्थिरता और मौसम में परिवर्तन के बावजूद वह वृक्ष अपने स्थान पर खड़ा रहता है, क्योंकि वह अपनी जड़ों के साथ मजबूती से जुड़ा हुआ है। इसी प्रकार हमारी जडं, हमारा आधार, हमारी नींव इस परमात्मा के साथ जुड़ी रहें और हम इसके साथ इकमिक हो जाएं तब किसी भी परिस्थिति के आने से हम विचलित नहीं होते। इसके पूर्व समागम के पहले दिन सदगुरु माता ने ‘मानवता के नाम संदेश प्रेषित कर समागम का विधिवत् उद्घाटन किया। इसमें मानव को भौतिकता से ऊपर उठकर मानवीय मूल्यों को अपनाने का आवाह्न किया।
‘स्थिरता का भाव समझाते हुए माता जी ने कहा कि संसार परिवर्तनशील है। इसमें तो उथल-पुथल होती ही रहती है। परिस्थितियाँ कभी अनुकूल तो कभी प्रतिकूल होती हैं। कई बार हमारी अपनी सोच हमें कहीं एक दिशा में ले जाती है तो कहीं दूसरी ओर। इससे कभी हम बहुत खुश तो कभी इतने निराश हो जाते हैं कि एकदम तनाव ग्रस्त हो जाते हैं।

निरंकारी समागम: सद्गुरू माता सुदीक्षा महाराज ने दिया मानवता को संदेश

जीवन के उतार चढ़ाव में संतुलन बनाकर चलने से हमें स्थिरता प्राप्त हो सकती है और यह केवल तभी संभव है यदि हम आध्यात्मिक जागृति प्राप्त कर चुके संतो का संग करते हैं। सदगुरु माता ने कहा कि जब हमारा मन परमात्मा की पहचान कर इसका आधार लेता है, तब हम परमात्मा के ही अंश बन जाते है और जीवन में स्थिरता आ जाती है। यदि हम यह सोचें कि बाहर का वातावरण हमारे अनुकूल हो जाने से जीवन में स्थिरता आयेगीय तो यह सम्भव नहीं। स्थिरता तो अंतर्मन की अवस्था पर निर्भर है। अंतर्मन को परमात्मा से जोड़कर स्थिरता प्राप्त की जा सकती है। फिर किसी भी प्रकार की परिस्थिति हमारे मन का संतुलन नहीं बिगाड़ सकती क्योंकि हम अंदर से मजबूत हैं, हमारी जड़ें मजबूत हैं। ऐसे में बाहरी वातावरण हमारे मन को विचलित नहीं कर सकता।

निकाली सेवादल रैली, किया कवि दरबार

समागम के दूसरा दिन एक रंगारंग सेवादल रैली से हुआ, जिसमें देश-विदेश के सेवादल भाई-बहनों द्वारा प्रार्थना, शारीरिक व्यायाम, खेल-कूद तथा विभिन्न भाषाओं के माध्यम द्वारा मिशन की मूल शिक्षाओं को दर्शाया गया। इसके अलावा समागम के समापन दिवस पर 7 दिसम्बर की संध्या को एक बहुभाषी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें विश्व भर के 21 कवियों ने ‘स्थिर से नाता जोड़ के मन का, जीवन को हम सहज बनाएं। इस शीर्षक पर विभिन्न बहुभाषी कविताओं का सभी ने आंनद लिया। इसमें हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी, मराठी, उर्दू एवं मुल्तानी इत्यादि भाषाओं का समावेश देखने को मिला। अपनी रचनाओं के माध्यम से मानव जीवन में स्थिरता के महत्त्व को समझाते हुए उसके हर एक पहलू को उजागर करने का कवियों द्वारा प्रयास किया गया।

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