–सीबीआई ने चार आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया
–यूपी पुलिस और सरकार के दावे को सीबीआई ने किया खारिज
—चारों आरोपियों पर बलात्कार, हत्या और सामूहिक बलात्कार के केस दर्ज
नयी दिल्ली/ टीम डिजिटल : उत्तर प्रदेश में हाथरस जिले के एक गांव में 19 वर्षीय एक दलित युवती से कथित सामूहिक बलात्कार एवं उसकी हत्या के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो(सीबीआई) ने शुक्रवार को चार आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि करीब चार महीनों की अपनी जांच के बाद केंद्रीय एजेंसी ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में यह कहा है कि आरोपियों संदीप, लवकुश, रवि और रामू ने युवती से उस वक्त कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया था, जब वह चारा एकत्र करने के लिए खेतों में गई थी। सीबीआई ने हाथरस की अदालत में सौंपे गए जांच के निष्कर्ष में गांव के चारों आरोपियों पर बलात्कार, हत्या और सामूहिक बलात्कार से संबद्ध भारतीय दंड संहिता की धाराएं लगाई हैं। साथ ही, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (प्रताडऩा रोकथाम) अधिनियम के तहत भी उन्हें आरोपित किया है। उपरोक्त आरोपों में अधिकतम सजा के तौर पर मृत्युदंड का प्रावधान है। जांच एजेंसी ने आरोपपत्र में अपने निष्कर्ष के लिए युवती के मृत्यु पूर्व बयान को आधार बनाया है , जिसमें पीडि़ता ने आरोपियों का नाम लिया था, जैसा कि समझा जाता है। इसके अलावा जांच एजेंसी ने एकत्र किए गए वैज्ञानिक एवं फोरेंसिक साक्ष्यों तथा गवाहों और पीडि़ता के परिवार के सदस्यों के दर्ज किए गए बयान को भी अपने निष्कर्ष के लिए आधार बनाया।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के शीर्ष पुलिस अधिकारियों ने दावा किया था कि फोरेंसिक जांच में बलात्कार का कोई साक्ष्य नहीं पाया गया। उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने कहा था, फोरेंसिक साइंस लैबोरेट्री की रिपोर्ट आ गई है। इसमें स्पष्ट रूप से सकहा गया है कि नमूनों में ‘सीमेन नहीं हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि कोई बलात्कार या सामूहिक बलात्कार नहीं हुआ। एडीजी ने यह भी दावा किया था कि महिला ने पुलिस को दिए अपने बयान में बलात्कार होने की बात का जिक्र नहीं किया था, बल्कि सिर्फ मार-पीट किए जाने की बात कही थी। इस घटना को लेकर व्यापक स्तर पर रोष छाने और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।
इलाहाबाद उच्च न्याायलय ने अधिकारियों के खिलाफ की थी तीखी टिप्पणी
इलाहाबाद उच्च न्याायलय ने पीडि़ता के शव की राज्य पुलिस द्वारा रातों रात अंत्येष्टि कर दिए जाने का स्वत: संज्ञान लिया था और वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कुछ तीखी टिप्पणी की थी। अदालत ने उन्हें पीडि़ता के चरित्र पर कीचड़ उछालने के खिलाफ आगाह किया था और अधिकारियों, राजनीतिक दलों तथा मीडिया से संयम बरतने को कहा था। अदालत ने एडीजी प्रशांत कुमार और हाथरस जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार को फटकार भी लगाई थी, जिन्होंने यह कहा था कि फोरेंसिक रिपोर्ट के मुताबिक युवती से बलात्कार नहीं हुआ था।
CBI 11 अक्टूबर को अपने हाथ में ली थी और घटना की जांच
सीबीआई ने मामले की जांच 11 अक्टूबर को अपने हाथ में ली थी और घटना की जांच के लिए एक टीम गठित की और जांच कार्य अपनी गाजियाबाद (उप्र) इकाई को सौंपा था। बता दें कि हाथरस में इस दलित युवती से अगड़ी जाति के चार व्यक्तियों ने 14 सितंबर को कथित तौर पर बलात्कार किया था। इलाज के दौरान 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में पीडि़ता की मौत हो गई थी। इसके बाद उसकी 30 सितंबर की रात उसके घर के पास रात में अंत्येष्टि कर दी गई थी। युवती के परिवार ने आरोप लगाया था कि स्थानीय पुलिस ने आनन-फानन में अंत्येष्टि करने के लिए उन पर दबाव डाला था। हालांकि, स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने कहा, अंत्येष्टि परिवार की इच्छा के अनुसार की गई।