—गुरुद्वारा रकाबगंज से निकला नगर कीर्तन, रास्ते भर फूलों की हुई बारिश
—कोरोना काल में पहली बार बडे स्तर पर मनाया जा रहा है प्रकाश पर्व
—कमेटी अध्यक्ष सिरसा, कालका सहित सहित हजारों संगत हुई नतमसतक
नई दिल्ली/ टीम डिजिटल : दसम पातशह श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के प्रकाश पर्व को समर्पित रविवार को विशाल नगर सजाया गया। नगर कीर्तन गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब से शुरू होकर शंकर रोड, पटेल नगर, राजा गार्डन, तिलक नगर होता हुआ फतेह नगर जेल रोड पर समाप्त हुआ। इस मौके पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के समुह पदाधिकारियों एवं सदस्यों सहित बड़ी गिनती में संगतों ने नगर कीर्तन में भाग लिया एवं गुरु ग्रन्थ साहिब के आगे नतमस्तक होकर गुरु साहिब का आर्शीवाद प्राप्त किया।
नगर कीर्तन में पहली बार ऐसा हुआ कि गुरु साहिब की सवारी वाली गाड़ी के अलावा कोई गाड़ी शामिल नहीं हुई। सारी संगत पैदल ही सतनाम वाहेगुरु का जाप करते हुए समुचे नगर कीर्तन में शामिल हुई। इस मौके पर महिलाओं के जत्थों के अलावा शब्दी जत्थों ने गुरु की इलाही बाणी के कीर्तन किये। जबकि संगत के समुचे रास्ते में गुरु सवारी पर फूलों की बारिश की। नगर कीर्तन की अगुवाई पांच प्यारों ने की।
बता दें कि कोरोना महामारी के बाद पहली बार दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी ने समूह सिंह सभाओं के सहयोग से संगत की मांग पर नगर कीर्तन सजाया था।
इस मौके पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी ने अखण्ड कीर्तनी जत्थे द्वारा आई मांग पर गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब में बने लंगर हाल का नाम भाई रणधीर सिंह लंगर हाल रखा। इस नाम से लंगर हाल का नामकरण कमेटी अध्यक्ष मनजिन्दर सिंह सिरसा, महासचि हरमीत सिंह कालका एवं अन्य पदाधिकारियों की मौजूदगी में किया गया। इस मौके पर सिरसा ने कहा कि अंग्रेज हकूमत ने जब गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब की दीवार को गिराना चाहा तो भाई रणधीर सिंह ने जबर जुल्म का डटकर विरोध किया था। भाई साहिब के योगदान को हमारी आने वाली पीढियां याद रखेंगी।
मुख्य समागम 20 जनवरी को रकाबगंज साहिब में मनाया जायेगा
साहिब श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी का प्रकाशपर्व 20 जनवरी का मुख्य समागम गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब के लख्खीशाह बंजारा हाल में मनाया जायेगा। इसके लिए 19 जनवरी की रात सभी ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिब में भी कीर्तन समागम किये जायेंगे और 20 तारीख को सुबह अमृत वेले से लख्खीशाह बंजारा हाल में दीवान सजाये जायेंगे जो देर रात तक चलेंगे। इसमें पंथ प्रसिद्व कीर्तनी जत्थे गुरबाणी के मनोहर कीर्तन द्वारा संगतों को निहाल करेंगे, कथा वाचक पहुंचकर गुरबाणी की विस्तारपूर्वक व्याख्या करेंगे। इसके अलावा किसान आंदोलन के चलते सिन्घु बार्डर पर भी संगतों के साथ गुरुपर्व मनाया जायेगा।