नई दिल्ली/ अदिति सिंह : भारतीय संस्कृति (Indian Culture) और अध्यात्म के केंद्र स्वरूप स्वामिनारायण अक्षरधाम मंदिर (Swaminarayan Akshardham Temple) में दिल्ली संत महामंडल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सेवा के 25 वर्ष पूरे होने पर ऐतिहासिक रजत जयंती समारोह मनाया गया। इस आयोजन में 327 संतों, महात्माओं और महामंडलेश्वरों ने भाग लेकर सच्ची साधुता, राष्ट्रीय एकता, परस्पर प्रेम, अध्यात्म और धर्म परंपरा पर गहन चर्चा की। कार्यक्रम में मुख्य रूप से श्रीमहंत नारायण गिरी जी (अंतर्राष्ट्रिय प्रवक्ता, श्री पाँच दशनाम जून अखाड़ा (वाराणसी), अध्यक्ष दिल्ली संत महामंडल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र), महामंडलेश्वर नवल किशोर दास जी, जैनाचार्य लोकेश मुनि जी, महामंडलेश्वर चिदानंद सरस्वती जी, महामंडलेश्वर स्वामी परगनानंद गिरी जी महाराज, रामकिशन महत्यागी जी, देवकीनन्दन ठाकुरजी महाराज, सुधांशु जी महाराज आदि भी उपस्थित थे ।
—सनातन धर्म के सभी मतों में एकता, और राष्ट्र में शांति के लिए वैदिक प्रार्थना
—स्वामिनारायण अक्षरधाम मंदिर के द्विदशाब्दी के उपलक्ष्य में संत सम्मेलन का आयोजन
—327 संतों, महंतों, महात्माओं और महामंडलेश्वरों ने सच्चे संतत्व, राष्ट्रीय एकता, परस्पर प्रेम पर किया मंथन
—प्रमुखस्वामी महाराज के प्रेरणा सूत्र “जो परस्पर प्रीति कराए वही धर्म” को सम्मेलन में दोहराया गया
—सनातन धर्म के सभी मतों में एकता, सहृदयता, और राष्ट्र में शांति के लिए वैदिक प्रार्थना
गौरतलब है कि यह वर्ष स्वामिनारायण अक्षरधाम मंदिर के द्विदशाब्दी वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है, इस वर्ष के विभिन्न आयोजनों के तहत दिल्ली संत महामंडल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र संस्था के साथ इस भव्य संत सम्मेलन का आयोजन किया गया था। BAPS संस्था के वर्त्तमान अध्यक्ष और विश्ववन्दनीय गुरु परम पूज्य महंत स्वामी महाराज के आशीर्वाद भी इस कार्यक्रम को प्राप्त हुए।
स्वामिनारायण अक्षरधाम मंदिर, भगवान का दिव्य धाम, भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का अनूठा संगम है। यह स्थल प्रार्थना हिंदू सनातन धर्म के प्राचीन सिद्धांतों की सार्वभौमिकता को अनुभव करने का अवसर प्रदान करता है। इस विराट मंदिर के निर्माता प्रमुखस्वामी महाराज की यह प्रार्थना कि इस स्वामिनारायण अक्षरधाम में सबको जीवन गढ़न की प्रेरणा मिले और सबका जीवन दिव्य बने, इस मंदिर के प्रत्येक पहलू में प्रतिबिंबित होती है। इस प्रेरणा को साकार करने और प्रमुखस्वामी महाराज के सूत्र जो परस्पर प्रीति कराए वही धर्म और दूसरे के सुख में हमारा सुख है” को ही इस संत सम्मेलन विभिन्न प्रवचनों और व्याख्यानों में दोहराया गया ।
सुबह दस बजे संतों का आगमन अक्षरधाम परिसर में हुआ। आगमन के समय सभी संतों, महात्माओं, और महामंडलेश्वरों का स्वागत और पूजन पारंपरिक वैदिक विधि से हुआ।
राष्ट्र में शांति और एकता का वातावरण के लिए प्रार्थना
सभा स्थल पर कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और वैदिक मंत्रोच्चार से हुआ। इस समूह स्वस्तिवाचन ने सभा को पवित्रता और आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। स्वामिनारायण अक्षरधाम के प्रभारी संत, पूज्य धर्मवत्सलदास स्वामी, पूज्य भद्रेशदास स्वामी, पूज्य मुनित्वत्सलदास स्वामी, के साथ मंच पर उपस्थित अतिथि संतों ने ज्ञानवर्धक विचार प्रस्तुत किए। सम्मेलन में अध्यात्म, साधुता, प्रेमभाव, भारतीय संस्कृति, राष्ट्रप्रेम, और सद्गुणों के महत्व पर विशेष चर्चा हुई। सभा में उपस्थित संतों और महात्माओं ने यह संदेश दिया कि सनातन धर्म के सभी मतों में एकता, सहृदयता और सहिष्णुता ही भारत की संस्कृति और धर्म का आधार है। सभी ने प्रार्थना की कि राष्ट्र में शांति और एकता का वातावरण बना रहे।
संतों ने नई एम्बुलेंस को हरी झंडी दिखाई
संत सम्मेलन के समापन के बाद अक्षरधाम परिसर में उपस्थित संतों ने ध्वज लहराकर सेवा स्वरूप एक नूतन एम्बुलेंस (रोगी वाहन) को सेवार्थ विमुक्त किया। यह रोगी वाहन 13 जनवरी 2025 से प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ के लिए सेवा में भेजी जाएगी। यह आयोजन, स्वामिनारायण अक्षरधाम मंदिर के उन प्रयासों का प्रतीक है जो राष्ट्रीय एकता, परस्पर प्रेम, और धर्म की सहिष्णुता को बढ़ावा देते हैं।