— राष्ट्रपति ने भीमराव आंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केन्द्र, लखनऊ का शिलान्यास किया
लखनऊ /टीम डिजिटल : राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कहा कि बाबा साहब डाॅ0 भीमराव आंबेडकर के जीवन मूल्यों और आदर्शाें के अनुरूप समाज एवं राष्ट्र का निर्माण करने में ही हमारी वास्तविक सफलता है। इस दिशा में हमने प्रगति की है, किन्तु हमें अभी और आगे जाना है। उन्हांने विश्वास जताया कि बाबा साहब के आदर्शाें पर आगे चलते हुए हम समता, समरसता, सामाजिक न्याय पर आधारित सशक्त और समृद्ध भारत के निर्माण में सफल होंगे।
राष्ट्रपति जी आज यहां लोक भवन सभागार में आयोजित एक समारोह में भारत रत्न डाॅ0 भीमराव आंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केन्द्र, लखनऊ के शिलान्यास के उपरान्त अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्हांेने कहा कि बाबा साहब के स्मारक के रूप में सांस्कृतिक केन्द्र का निर्माण करने की उत्तर प्रदेश सरकार की पहल सराहनीय है। उन्होंने आकांक्षा व्यक्त की कि प्रस्तावित शोध केन्द्र बाबा साहब की गरिमा के अनुरूप उच्च स्तरीय शोध कार्य करे और शोध जगत में अपनी विशेष पहचान बनाए। उन्हांेने भरोसा जताया कि यह सांस्कृतिक केन्द्र सभी देशवासियों, विशेष कर युवा पीढ़ी को बाबा साहब के आदर्शाें एवं उद्देश्यों से परिचित कराने में अपनी प्रभावी भूमिका निभाएगा।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में राष्ट्रपति ने भारत रत्न डाॅ0 भीमराव आंबेडकर के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। राज्यपाल श्रीमती आनन्दीबेन पटेल जी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने भी डाॅ0 आंबेडकर के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। राज्यपाल जी ने भारत की प्रथम महिला श्रीमती सविता कोविन्द को शाॅल भेंटकर तथा मुख्यमंत्री जी ने राष्ट्रपति जी को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर स्वागत किया। इस अवसर पर भारत रत्न डाॅ0 भीमराव आंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केन्द्र पर आधारित एक फिल्म भी प्रदर्शित की गयी। कार्यक्रम के प्रारम्भ में स्वस्ति वाचन के साथ शंख वादन किया गया। बौद्ध भिक्षुओं द्वारा संगायन व परिपाठ किया गया।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि इस अवसर पर स्वस्ति वाचन व बौद्ध भिक्षुओं के संगायन तथा परिपाठ से एक आध्यात्मिक वातावरण सृजित हो गया। बौद्ध भिक्षुओं के गायन में जिस ‘भवतु सब्ब मंगलम’ शब्द का उल्लेख हुआ है, बाबा साहब इसे बार-बार दोहराते थे। ‘भवतु सब्ब मंगलम’ का अर्थ है ‘सबकी भलाई’। बाबा साहब तर्क दिया करते थे कि लोकतंत्र में सरकारों का दायित्व है कि सबकी भलाई के लिए कार्य करें। वर्तमान सरकार भवतु सब्ब मंगलम के मूलभाव को साकार कर रही है।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि लखनऊ शहर से भी बाबा साहब डाॅ0 आंबेडकर का खास सम्बन्ध रहा है, जिसके कारण लखनऊ को बाबा साहब की ‘स्नेह भूमि’ भी कहा जाता है। बाबा साहब के लिए गुरु समान, बोधानन्द जी और उन्हें दीक्षा प्रदान करने वाले भदंत प्रज्ञानन्द जी, दोनों का निवास लखनऊ में ही था। दिसम्बर, 2017 में अपनी लखनऊ यात्रा के दौरान उन्होंने (राष्ट्रपति जी) भदंत प्रज्ञानन्द जी की पुण्यस्थली पर जाकर, उनकी स्मृतियों को सादर नमन किया था। बाबा साहब की स्मृतियों से जुड़े सभी स्थल भारतवासियों के लिए विशेष महत्व रखते हैं।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि बाबा साहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के बहुआयामी व्यक्तित्व और राष्ट्र-निर्माण में उनके बहुमूल्य योगदान से उनकी असाधारण क्षमता व योग्यता का परिचय मिलता है। वे एक शिक्षाविद, अर्थशास्त्री, विधिवेत्ता, राजनीतिज्ञ, पत्रकार, समाजशास्त्री व समाज सुधारक तो थे ही, उन्होंने संस्कृति, धर्म और अध्यात्म के क्षेत्रों में भी अपना अमूल्य योगदान दिया है। भारतीय संविधान के शिल्पकार होने के अलावा, हमारे बैंकिंग, इरिगेशन, इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम, लेबर मैनेजमेंट सिस्टम, रेवेन्यू शेयरिंग सिस्टम, शिक्षा व्यवस्था आदि सभी क्षेत्रों में डॉ0 आंबेडकर के योगदान की छाप है।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि बाबा साहब के ‘विजन’ में चार सबसे महत्वपूर्ण बातें, नैतिकता, समता, आत्मसम्मान और भारतीयता रहीं। इन चारों आदर्शों तथा जीवन मूल्यों की झलक बाबा साहब के चिंतन एवं कार्यों में दिखाई देती है। बाबा साहब की सांस्कृतिक सोच मूलतः समता और समरसता पर आधारित थी। अद्भुत प्रतिभा, मानव मात्र के प्रति करुणा और अहिंसा पर आधारित उनकी जीवन यात्रा व उपलब्धियों को विश्व समुदाय ने मान्यता दी है। सन 2016 में 100 से भी अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने संयुक्त राष्ट्र संघ में आयोजित बाबा साहब डाॅ0 आंबेडकर की 125वीं जयंती समारोह में भागीदारी करते हुए मानवता के समग्र विकास में उनके बहुमूल्य योगदान को सराहा था।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि बाबा साहब आधुनिक भारत के निर्माण में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका के पक्षधर थे। वे महिलाओं को समान अधिकार दिलाने के लिए सदैव सक्रिय रहे। बाबा साहब द्वारा रचित हमारे संविधान में आरम्भ से ही मताधिकार समेत प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं को समान अधिकार प्रदान किए गए हैं। विश्व के अन्य प्रमुख लोकतांत्रिक देशों में यह समानता महिलाओं को लम्बे समय के बाद ही मिल पाई थी। भारत के संविधान में महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर ही, समानता का मूल अधिकार दिया गया है। बाबा साहब चाहते थे कि समानता के इस मूल अधिकार को संपत्ति के उत्तराधिकार तथा विवाह एवं जीवन के अन्य पक्षों से जुड़े मुद्दों पर भी एक अलग विधेयक द्वारा स्पष्ट कानूनी आधार दे दिया जाए। आज महिलाओं के संपत्ति पर उत्तराधिकार जैसे अनेक विषयों पर उनके द्वारा सुझाए गए मार्ग पर ही हमारी विधि-व्यवस्था आगे बढ़ रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि बाबा साहब की दूरदर्शी सोच अपने समय से बहुत आगे थी।
बाबा साहब का जीवन संघर्ष और उपलब्धियों की गाथा है : आनंदीबेन
प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि राष्ट्रपति जी द्वारा भारत रत्न डाॅ0 भीमराव आंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केन्द्र का शिलान्यास हम सभी के लिए गर्व का विषय है।
राज्यपाल ने कहा कि बाबा साहब का जीवन संघर्ष और उपलब्धियों की गाथा है। संविधान की रूपरेखा तैयार करने के लिए डाॅ0 आंबेडकर को संविधान के शिल्पी के रूप में याद किया जाता है। बाबा साहब द्वारा गढ़े गये संविधान से मिले कवच से देश के सभी लोग खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। डाॅ0 आंबेडकर जीवन पर्यन्त दलित व पिछड़े वर्गांे के लिए संघर्ष करते रहे। उन्होंने जाति विद्वेष व अंधविश्वास के विरुद्ध तथा महिलाओं के लिए संघर्ष किया। बाबा साहब चाहते थे कि शिक्षा शोषित और वंचित लोगों के जीवन में प्रकाश लाये। उन्होंने कहा कि शिक्षा परिवर्तन लाने का माध्यम है। जीविका कमाने के साथ ही, यह राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिए भी सहायक होती है।