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Friday, March 29, 2024

BJP का 2024 में पश्चिमी UP की चौधराहट के लिए भूपेंद्र सिंह पर दांव

नई दिल्ली/ खुशबू पाण्डेय : अपने फैसलों से हमेशा चौकाने वाली भारतीय जनता पार्टी ने एकबार फिर से भूपेंद्र चौधरी को उत्तर प्रदेश भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर सबको चौका दिया है। भाजपा ने भूपेंद्र सिंह चौधरी पर बड़ा दांव खेला है। एक तीर से कई निशाने साधे हैं। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के बहुप्रतीक्षित भारतीय जनता पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष का नाम घोषित कर दिया गया। इस फैसले से भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में और ज्यादा मजबूत हो जाएगी। साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी चौधराहट कायम रख सकेगी।

-वेस्ट UP में रालोद के बढ़ते दखल, टिकैत के कद पर लग सकता है विराम
-यूपी के साथ हरियाणा, राजस्थान की सियासत में पड़ेगा प्रभाव
-अमित शाह के करीबी योगी सरकार के मंत्री भूपेंद्र सिंह बने यूपी के अध्यक्ष

विधान परिषद सदस्य और योगी सरकार में पंचायती राज मंत्री होने के साथ ही पूर्व में भूपेंद्र चौधरी पचिमी क्षेत्र अध्यक्ष की भूमिका भी निभा चुके है। मूलरूप से मुरादाबाद के रहने वाले भूपेंद्र चौधरी के सहारे भाजपा ने जाट लैंड कहे जाने वाला वेस्ट यूपी में रालोद और भाकियू नेता राकेश टिकैत को घेरने की रणनीति बनाई है। सूत्रों के मुताबिक भूपेंद्र सिंह भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह के बेहद करीबी माने जाते हैं।
भाजपा ने उत्तर प्रदेश में ना सिर्फ अपने राज्य बल्कि हरियाणा और राजस्थान के चुनावी समीकरणों को भी बखूबी साधा है। भारतीय जनता पार्टी अब पिछड़ों और जाटों की राजनीति से न सिर्फ 2024 का लोकसभा चुनाव साध रही है, बल्कि आने वाले दिनों में कई राज्यों के चुनावी समीकरण भी उत्तर प्रदेश के नए प्रदेश अध्यक्ष की चयन प्रक्रिया से सधने वाले हैं।
भूपेंद्र सिंह के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद अब जाटों के बड़े आंदोलन के असर को बहुत हद तक निष्क्रिय किया जा सकेगा। पश्चिम यूपी की कमान सीधे तौर पर खुद भाजपा के पूर्व अध्यक्ष एवं गृहमंत्री अमित शाह बारीकी से देख रहे हैं। विधानसभा चुनाव के समय उन्होंने जाट नेताओं एवं समाज से जुड़ी हस्तियों के बीच बैठे भी थे। यही कारण है कि लोकसभा और विधानसभा के चुनावों के चुनावी अभियान का श्रीगणेश भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ही शुरू किए गए। यूपी का पूरब तो भाजपा का गढ़ ही माना जाता है। लेकिन पश्चिम में दिक्कते थी। बीते कुछ समय से जाटों का आंदोलन पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ही आगे बढ़ रहा था। ऐसे में जाट नेता खासतौर से जमीनी जाट नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का फैसला भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ा दांव माना जा रहा है।
इस दांव से सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि राजस्थान और हरियाणा की राजनीति पर भी बड़े निशाने साधे हैं। राजस्थान में अगले साल चुनाव हैं। उसके ठीक बाद हरियाणा में चुनाव होने हैं। सूत्रों के मुताबिक भाजपा ने जिस तरीके से उपराष्ट्रपति पद पर एक बड़े जाट कद्दावर नेता को अपना प्रत्याशी बनाया था। उसी से अंदाजा लगाया जाने लगा था कि भारतीय जनता पार्टी आने वाले दिनों में जाटलैंड से निशाने लगाकर चुनावी राज्यों को साधने की तैयारी करेगी। नए प्रदेश अध्यक्ष से यह संदेश और स्पष्ट हो गया है।

BJP का 2024 में पश्चिमी UP की चौधराहट के लिए भूपेंद्र सिंह पर दांव

सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश की राजनीति में जातिगत समीकरणों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका चुनावों में होती है। इस लिहाज से चर्चा हो रही है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट नेता को बनाकर उत्तर प्रदेश के दूसरे जातिगत समीकरणों को कैसे साधा जाए। उत्तर प्रदेश की सरकार में मंत्रियों से लेकर संगठन में बड़े जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों में जातिगत समीकरणों के लिहाज से उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने मजबूत ताना-बाना बुन रखा है। भारतीय जनता पार्टी ने बीते लंबे समय से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी नई राजनीतिक फसल को आगे बढ़ाने का बड़ा काम किया है। खासतौर से जो कभी बसपा, सपा और कांग्रेस की जमीन हुआ करती थी वहां पर भारतीय जनता पार्टी ने जमीनी स्तर पर अपने नेता तैयार किए हैं।
नए प्रदेश अध्यक्ष के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी ने ना सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटलैंड बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के बड़े पिछड़े समुदाय को भी इस माध्यम से जोड़ा है। भारतीय जनता पार्टी में नए संगठन मंत्री पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आते हैं और नए प्रदेश अध्यक्ष भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में होने वाले चुनावों के दौरान यह राजनैतिक जोड़ी भी संगठन को एक बड़ी मदद दिलाने की दिशा में काम करेगी।

 

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