नई दिल्ली। ऑटोमोबाइल से लेकर खाद्य प्रसंस्करण, कपड़े, लॉजिस्टिक्स और हस्तशिल्प तक कई सेक्टरों में जीएसटी दरों को कम करने का फैसला हुआ है। इससे सप्लाई चेन मजबूत बनेगी और लोकल मैन्युफैक्चरिंग को नई ऊंचाई मिलेगी। खासकर महिलाओं, गांव के उद्यमियों और अनौपचारिक सेक्टर के मजदूरों के लिए नौकरियों के नए रास्ते खुलेंगे। सरकार ने खुद इसकी जानकारी दी है। ये बदलाव छोटे कारोबारियों को राहत देंगे और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
ऑटो सेक्टर में जीएसटी कट से मांग बढ़ेगी, एमएसएमई को फायदा
जीएसटी रेट कट से दोपहिया वाहनों, कारों, बसों और ट्रैक्टरों की कीमतें सस्ती होंगी। इससे ग्राहकों की डिमांड बढ़ेगी और टायर, बैटरी, कांच, प्लास्टिक व इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे पार्ट्स बनाने वाले छोटे-मझोले उद्योग (एमएसएमई) को बड़ा लाभ मिलेगा। सस्ती साइकिलें गिग वर्कर्स, किसानों और गांव के व्यापारियों के लिए वरदान साबित होंगी। वहीं, किफायती कारें छोटे शहरों में डीलरशिप और एमएसएमई को बिजनेस बढ़ाने का मौका देंगी।
ट्रैक्टरों (1800 सीसी से कम) पर जीएसटी को 5 फीसदी कर दिया गया है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा ट्रैक्टर प्रोड्यूसर है, ये कटौती हमारी ये पोजिशन और मजबूत करेगी। सहायक एमएसएमई को भी सपोर्ट मिलेगा। कमर्शियल व्हीकल्स जैसे ट्रक और डिलीवरी वैन पर जीएसटी 28 से घटकर 18 फीसदी हो गया। इससे माल ढुलाई की लागत कम होगी, महंगाई का बोझ घटेगा और छोटे ट्रक मालिकों को राहत मिलेगी। बसों (10 से ज्यादा सीट वाली) पर भी यही कटौती हुई है, जिससे स्कूलों, बेड़ा चलाने वालों की खर्चे घटेंगे और मजदूरों के लिए किराया सस्ता पड़ेगा। कुल मिलाकर, ऑटोमोबाइल जीएसटी कट से पूरा सेक्टर चमकेगा।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को मिलेगी राहत, किसानों को फायदा
खाने-पीने की चीजों पर जीएसटी रेट्स को 12 या 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी या जीरो कर दिया गया है। इससे फूड प्रोसेसिंग, छोटे प्रोसेसर्स, लोकल ब्रांड्स, डेयरी कोऑपरेटिव्स, पैकेजिंग और कोल्ड स्टोरेज वाले एमएसएमई खुश होंगे। चॉकलेट, केक और मिठाइयों पर कम जीएसटी से छोटे मिठाई वालों की सेल्स बढ़ेगी। दूध-पनीर पर जीएसटी शून्य, मक्खन-घी पर 12 से 5 फीसदी। ये बदलाव डेयरी सेक्टर को बूस्ट देंगे। किसान, स्वयं सहायता समूह और महिलाओं के उद्यमों को फायदा होगा, साथ ही पोषण सुरक्षा मजबूत बनेगी। दूध के पैकेट्स पर भी जीएसटी 12 से 5 फीसदी हो गया। फूड प्रोसेसिंग जीएसटी कट से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई जान मिलेगी।
परिधान और चमड़ा उद्योग में सस्ते दाम, महिलाओं को रोजगार
मानव निर्मित रेशों (सिंथेटिक फाइबर) पर जीएसटी 12 से घटकर 5 फीसदी हो गया। इससे इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर ठीक होगा और कपड़ा बनाने वाले एमएसएमई व एक्सपोर्टर्स की कंपटीटिवनेस बढ़ेगी। 2500 रुपये तक के रेडीमेड गारमेंट्स पर 5 फीसदी जीएसटी लगेगा, जिससे टियर-2 और टियर-3 शहरों में डिमांड चढ़ेगी। लेबर-इंटेंसिव गारमेंट यूनिट्स, खासकर महिलाओं को फायदा। चमड़े के प्रोडक्ट्स (2500 रुपये प्रति जोड़ी से कम) पर भी 12 से 5 फीसदी जीएसटी। फुटवियर एमएसएमई को इससे बूस्ट मिलेगा। परिधान जीएसटी रेट कट से छोटे शहरों का बाजार चमकेगा।
लॉजिस्टिक्स और हस्तशिल्प सेक्टर को सपोर्ट, नौकरियां बढ़ेंगी
सीमेंट पर जीएसटी कट 28 से 18 फीसदी। इससे घर बनाने की लागत घटेगी, पीएम आवास योजना को मदद मिलेगी। माइनिंग, मैन्युफैक्चरिंग और लॉजिस्टिक्स में जॉब्स बढ़ेंगी। कृषि-बेस्ड वुड प्रोडक्ट्स जैसे चावल की भूसी बोर्ड, बांस फ्लोरिंग पर 12 से 5 फीसदी जीएसटी। एमएसएमई वुड यूनिट्स को फायदा। लॉजिस्टिक्स जीएसटी रेट कम होने से माल ढुलाई सस्ती होगी।
समग्र प्रभाव: छोटे उद्यमों को नई उड़ान
इन जीएसटी दर कटौती ने जरूरी सामान, रॉ मटेरियल और सर्विसेज को सस्ता बना दिया। छोटे-मझोले उद्योग और स्टार्टअप्स अब बिजनेस बढ़ा सकेंगे, इनोवेशन में पैसा लगा सकेंगे और घरेलू-ग्लोबल मार्केट में मुकाबला कर सकेंगे। सरकार का कहना है कि ये सुधार मैन्युफैक्चर्ड गुड्स, प्रोसेस्ड फूड, कपड़ों और इको-फ्रेंडली प्रोडक्ट्स को सस्ता बनाकर महिलाओं के उद्योगों को सपोर्ट करते हैं। शहरी-ग्रामीण, अर्ध-शहरी और अनौपचारिक सेक्टर के मजदूरों का आर्थिक इनक्लूजन बढ़ेगा। कुल मिलाकर, जीएसटी सुधार 2023 से अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
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