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Saturday, November 15, 2025

सहारा ग्रुप पर ED का बड़ा खुलासा: जनता के पैसे से खरीदी संपत्तियां गुप्त रूप से बेची

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कोलकाता। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को एक बड़ा दावा किया है। एजेंसी के मुताबिक, सहारा ग्रुप की कई संपत्तियां, जो जनता से लिए गए डिपॉजिट के पैसे से खरीदी गई थीं, गुप्त तरीके से कैश ट्रांजेक्शन के जरिए बेची। ईडी ने इस मामले में कोलकाता की एक स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। यह खुलासा मनी लॉन्ड्रिंग केस से जुड़ा है, जिसमें सहारा ग्रुप पर पोंजी स्कीम चलाने का आरोप है।

ईडी की चार्जशीट: दो बड़े आरोपी नामित

ईडी ने 6 सितंबर को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) की स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट फाइल की। इसमें अनिल वी अब्राहम और जितेंद्र प्रसाद वर्मा को मुख्य आरोपी बनाया गया है। दोनों को ईडी ने गिरफ्तार किया था और फिलहाल वे जेल में हैं। अब्राहम सहारा ग्रुप के कोर मैनेजमेंट टीम के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर थे, जबकि वर्मा ग्रुप के लंबे समय से जुड़े प्रॉपर्टी ब्रोकर हैं।

एजेंसी ने कहा, “ईडी, कोलकाता ने 6 सितंबर 2025 को पीएमएलए की धारा 44 के तहत चार्जशीट दाखिल की। जितेंद्र प्रसाद वर्मा और अनिल विलापरंपिल अब्राहम की गिरफ्तारी के 60 दिनों के अंदर यह कार्रवाई हुई। दोनों के अलावा अन्य लोग और संस्थाएं भी आरोपी हैं।” जांच में पता चला कि ये दोनों संपत्तियों को बेचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। वे दूसरों के साथ मिलकर ट्रांजेक्शन को आसान बनाने, कोऑर्डिनेट करने और संपत्ति ट्रांसफर करने में सक्रिय थे।

सहारा ग्रुप का पोंजी स्कीम: जनता की ठगी का मामला

यह मनी लॉन्ड्रिंग केस पुलिस की 500 एफआईआर पर आधारित है। इनमें सहारा ग्रुप की कंपनियां, खासकर हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (एचआईसीसीएसएल) शामिल हैं। पुलिस शिकायतों में आरोप है कि डिपॉजिटर्स के साथ बड़ी स्तर पर धोखाधड़ी हुई। फोर्स्ड रीडिपॉजिट और मैच्योरिटी पेमेंट न देने से लोग ठगे गए। ईडी का कहना है कि सहारा ग्रुप पोंजी स्कीम चला रहा था, जिसमें नए निवेशकों के पैसे से पुराने को चुकाया जाता था।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश: डिपॉजिटर्स को 5,000 करोड़ की राहत

इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने 12 सितंबर को अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने सहारा ग्रुप की कोऑपरेटिव सोसाइटियों के डिपॉजिटर्स को 5,000 करोड़ रुपये लौटाने का आदेश दिया। यह रकम सेबी के पास जमा 24,000 करोड़ से निकाली जाएगी। कोर्ट ने 2023 में आवंटित 5,000 करोड़ के वितरण की डेडलाइन को 31 दिसंबर 2025 से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2026 कर दिया।

बेंच ने कहा कि यह फैसला 29 मार्च 2023 के आदेश के अनुरूप है, जिसमें केंद्र सरकार की इसी तरह की अर्जी मंजूर हुई थी। 5,000 करोड़ को सेबी-सहारा रिफंड अकाउंट से सेंट्रल रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव सोसाइटीज को ट्रांसफर किया जाएगा। वहां स्क्रूटनी के बाद असली डिपॉजिटर्स को यह पैसा मिलेगा। पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज आर सुबाष रेड्डी की निगरानी में एक हफ्ते के अंदर यह ट्रांसफर पूरा होगा।

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