27 C
New Delhi
Tuesday, August 26, 2025

निरंकारी संत-समागम : रुहानीयत व इंसानीयत का सुहाना सफ़र

Join whatsapp channel Join Now
Join Telegram Group Join Now

नई दिल्ली/ खुशबू पाण्डेय : इस वर्ष का 75वां पलैटीनम जुबली वार्षिक निरंकारी संत समागम 16 से 20 नवम्बर, 2022 तक निरंकारी अध्यात्मिक स्थल, समालखा(हरियाणा) में आयोजित किया जाएगा। हर वर्ष इस अन्तराष्ट्रीय निरंकारी संत समागम में सारे भारत सहित विदेशों से भी लाखों की गिनती में श्रद्धालु हिस्सा लेने के लिए पहुंचते है। इस बार भी पूरे विश्व भर में से लाखों की गिनती में श्रद्धालु पहुंच रहे है। निरंकारी सेवादारों द्वारा समागम की तैयारियां पूरे जोरों से चल रही है।
सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज की छत्रछाया में होने वाले इस संत समागम का विषय होगा रुहानीयत व इंसानीयत संग संग। इस विषय को आधार बना कर विभिन्न वक्ता इस संत समागम में अपने अपने विचार, गीत, कविताएं, रचनाएं आदि प्रस्तुत करेंगे। रुहानीयत के बिना इंसानीयत व इंसानीयत के बिना रुहानीयत की कल्पना भी नहीं की जा सकती। असल में रुहानीयत व इंसानीयत का साथ साथ होना ही युगों-युगों से संत महात्माओं के पावन संदेश का सार रहा है। मानवी शरीर में जन्म लेने वाला हर कोई इंसान है लेकिन असल में इंसान वही है, जिसमें इंसानीयत के गुण हैं। रुह के स्वामी सतगुरु से रुह की आवाज सुनना व उसको जीवन में ढालना रुहानीयत कहलाता है। इंसानीयत वाले अच्छे गुण प्राप्त करने के लिए हमें अध्यात्मिकता के साथ जुडऩा पड़ता है, जिसमें निरंकार सतगुरु तथा सेवा, सिमरन व सत्संग जैसे बेशकीमती गुणों को अपनाना होता है। आज समय के सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज इंसान को ब्रह्मज्ञान की दात देकर प्रभु परमात्मा की जानकारी करवा रहे है।

संत निरंकारी मिशन के इतिहास में वार्षिक संत समागमों की भूमिका 

वर्ष 1929 से पेशावर में जब निरंकारी मिशन के संस्थापक बाबा बूटा सिंह जी ने ब्रह्मज्ञान की रोशनी को फैलाने का संकल्प लिया तब निरंकारी मिशन शुरु हुआ। इसके बाद बाबा अवतार सिंह जी, बाबा गुरबचन सिंह, बाबा हरदेव सिंह जी, माता सविंदर हरदेव जी तथा अब वर्तमान सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज मिशन को बुलंदियों तक पहुंचा रहे है।
मिशन के इतिहास में संत समागमों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह समागम ही होते है जहां सतगुरु की शिक्षाओं को अपना कर भगतजन आदर्श जीवन की मिसाल पेश करते है। संसार में यदि शांति स्थापित करनी है तो शुरुआत हमें अपने आप से ही करनी होगी। संत निरंकारी मिशन गुरुओं पीरों पैंगम्बरों के द्वारा युगों-युगों से दी जा रही शिक्षाओं को तो महत्ता दे ही रहा है साथ-साथ अध्यात्मिकता की बारीकियों, ब्रह्मज्ञान की बहुमूल्य शिक्षा, जीवन जीने का तरीका भी सिखा रही है। समागमों की यह श्रंखला 1948 में शुरु हुई जब पहला समागम दिल्ली के इदगाह के नजदीक आयोजित किया गया। वैसे तो यह बाबा अवतार सिंह जी के बेटे सज्जन सिंह जी के जीवन से प्रेरणा लेने के लिए श्रद्धाजलि सत्संग समारोह था परंतु देश भर से संत जन बड़ी गिनती में एकत्रित हुए, इसको देखते हुए हर वर्ष ऐसा आयोजन करने का फैसला किया गया। इसी तरह इस प्रेरणा दिवस से ही वार्षिक संत समागमों की श्रंखला की शुरुआत हुई।1948 से 1962 तक संत समागमों का नेतृत्व शहनशाह बाबा अवतार सिंह जी ने किया जो दिल्ली के पंचकुइयां रोड, इदगाह, अम्बेदकर भवन, रेडियो कलोनी, निरंकारी कलोनी तथा राम लीला मैदान में आयोजित किए जाते रहे। 1963 से 1979 तक समागम रामलीला मैदान, इंडिया गेट तथा लाल किले के पीछे शांतिवन व राजघाट के सामने वाले मैदान में होते रहे, जिनका नेतृत्व बाबा गुरबचन सिंह जी ने किया। सिलवर जुबली 25वां निरंकारी संत समागम 1972 में आयोजित किया गया। 33वां संत समागम बाबा हरदेव सिंह जी के नेतृत्व में पहला समागम था। वर्ष 1980 से 1986 तक लाल किले के पीछे वाले मैदानों में ही समागम आयोजित होते रहे। वर्ष 1987 से बुराड़ी रोड़ स्थित मैदान में समागम होने शुरु हुए। 1987 का समागम ट्रांसपोर्ट अथार्टी वाले मैदान में हुआ, उसके बाद में समागम मैदान निरंकारी सरोवर के सामने ग्राऊंडों में आयोजित किए गए। 1997 में 50वें गोल्डन जुबली निरंकारी संत समागम का आयोजन किया गया। वर्ष 2015 तक बाबा हरदेव सिंह जी ने इन समागमों द्वारा विश्व को शांति व सदभावना का संदेश दिया।
वर्ष 2016 में आयोजित 69वां निरंकारी संत समागम माता सविंदर हरदेव जी की छत्रछाया में होने वाला पहला समागम था तथा 70वां समागम उनकी दैवी रहनुमाई में होने वाला दूसरा समागम था।
वर्ष 2018 में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज की रहनुमाई में 71वां तथा 2019 में 72वां वार्षिक संत समागम निरंकारी अध्यात्मिक स्थल (हरियाणा) में सम्पन्न हुआ। 73वें व 74वें वार्षिक संत समागमों का आयोजन कोविड-19 के कारण वरचुअल तौर पर किया गया।

संत निरंकारी मिशन द्वारा समाज कल्याण सेवाओं में योगदान

संत निरंकारी मिशन समाज सेवा के क्षेत्र में भी भरपूर सहयोग रहा रहा है, जिसकी समाज का हर वर्ष सराहना करता है। संत निरंकारी मिशन द्वारा समय-समय पर ऐतिहासिक स्थानों, रेलवे स्टेशनों, पार्कों, अस्पतालों, डिस्पैंसरीयों, समुंन्द्र व नदीयों के तटों आदि की सफाई की जाती है तथा संसार भर में रक्तदान कैम्पों, मैडीकल कैम्पों आदि का आयोजन किया जाता है जो कि पूरा वर्ष चलता रहा है। इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार की कुदरती आपदा जैसे भूचाल पीडि़तों, बाढ़, सुनामी, कोविड-19 आदि के पीडि़तों की सहायता के लिए भी निरंकारी मिशन द्वारा भरपूर योगदान डाला जाता है। निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी ने संदेश दिया था कि “रक्त नालियों में नहीं, नाडिय़ों में बहना चाहिए”। निरंकारी मिशन द्वारा रक्तदान करने का वल्र्ड रिकार्ड इतिहास में दर्ज है। संसार भर में निरंकारी श्रद्धालु पूरा वर्ष बढ़-चढ़ कर रक्तदान करते ही रहते है। देश भर में निरंकारी मिशन द्वारा जरूरतमंदो की सहायता के लिए कई अस्पताल, डिस्पैंसरीयां, स्कूल, कालेज, ट्रेनिंग सैंटर आदि भी चलाए जा रहे है तथा जरूरतमंद, गरीब व होशियार विद्यार्थियों को स्कालरशिप, वजीफे आदि भी दिए जाते है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related Articles

Delhi epaper

Prayagraj epaper

Kurukshetra epaper

Latest Articles