-लेखक तभी बन सकते हैं जब आप इसके लिए प्रोग्राम्ड हों– मनोज ‘मुंतशिर’
नई दिल्ली/ टीम डिजिटल : वाणी प्रकाशन ग्रुप द्वारा प्रकाशित प्रसिद्ध कवि, शायर, गीतकार और पटकथा लेखक मनोज ‘मुंतशिर’ का बहुचर्चित और बेस्टसेलर ग़ज़ल व कविता संग्रह ‘मेरी फ़ितरत है मस्ताना’ के चौथे संस्करण का लोकार्पण किया गया। इन पुस्तक ने लोकप्रिय हिन्दी साहित्य की धारा में अपना एक ख़ास मुक़ाम बना लिया है। पुस्तक का चौथा संस्करण पाठकों के लिए अब उपलब्ध है।
इस किताब का पहला संस्करण वर्ष जनवरी 2019 में प्रकाशित हुआ था। दूसरा संस्करण तीन महीने में ही अप्रैल-2019 पाठकों के समक्ष था। पाठकों के प्रेम के कारण ही जनवरी 2020 में इस पुस्तक का तीसरा संस्करण वाणी प्रकाशन ग्रुप से प्रकाशित हुआ था और अब जनवरी 2021 में इस पुस्तक का चौथा संस्करण भी पाठकों के लिए उपलब्ध है।
कार्यक्रम का शुभारम्भ वाणी प्रकाशन ग्रुप की कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल ने किया। साथ ही कहा कि लगभग 60 का होने जा रहा वाणी प्रकाशन ग्रुप आज एक विश्वसनीय ब्रांड है और यह हमारा विजन है कि जब कोई बच्चा अपनी पहली किताब हाथ में ले और जब हमारे समाज के अभिभावक, हमारे वरिष्ठ-जन जो पुस्तकें पसन्द करें, उस पूरी यात्रा में वाणी प्रकाशन ग्रुप किताबों के साथ आप सभी के साथ रहे।
युवा पीढ़ी में मनोज के लिए सम्मोहन और दीवानगी है : माहेश्वरी
समारोह में वाणी प्रकाशन ग्रुप के चेयरमैन व प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी ने कहा कि युवा पीढ़ी में मनोज के लिए सम्मोहन और दीवानगी है। चाहे भारतीय सिनेमा हो, दूरदर्शन की भाषा हो या फिर पुस्तक ‘मेरी फ़ितरत है मस्ताना’ में उनकी मस्ती, दर्द और दर्शन, मुहब्बत और संघर्ष, प्रेम और देश प्रेम हो, हिन्दी पाठकों को, दर्शकों को सम्मोहित करता है। उन्होंने कहा कि भारतीय सिनेमा में कई हिन्दी लेखक पैर जमाने गये, उन्हें कुछ सफलता भी मिली लेकिन वे मायानगरी से वापस लौट आये। मनोज ‘मुंतशिर’ के हिन्दी प्रेम और भाषायी सौन्दर्य में मुहब्बत के तराने हों या देश प्रेम के गीत या सूफ़ियाना शब्द जो मायानगरी के बीहड़ पथ पर सबल पैर साबित हुए और उनके प्रति आज 25 करोड़ युवाओं की दीवानगी हद पार कर गई है। उन्होंने यह भी कहा “एक प्रकाशन होने के नाते मैं नया इतिहास बनते देख रहा हूँ।”
प्रतीक्षा पाण्डेय ने पूछा -मनोज शुक्ला से मनोज ‘मुंतशिर’ कैसे बने
‘मेरी फ़ितरत है मस्ताना’ के चौथे संस्करण के लोकार्पण समारोह में सूत्रधार की विशेष भूमिका में युवा पत्रकार प्रतीक्षा पाण्डेय उपस्थित रहीं। प्रतीक्षा पाण्डेय लेखक और एंकर भी हैं। वे इंडिया टुडे ग्रुप के ‘लल्लनटॉप’ पर प्रसारित होने वाले बहुचर्चित शो ‘ऑड नारी’ की एंकर हैं। प्रतीक्षा पाण्डेय ने मनोज ‘मुंतशिर’ से उनके लेखकीय सफ़र के बारे में जानने के लिए उनसे पूछा कि वे मनोज शुक्ला से मनोज ‘मुंतशिर’ किस तरह बने? जहाँ एक छोटे शहर का युवा एक बाइक का सपना तो देखता है लेकिन वहीं उन्होंने किस तरह यह सोचा कि उन्हें एक गीतकार बनना है? जिसके उत्तर में मनोज ने कहा एक बार ख़ुद को समझा लो तो दुनिया को समझाना मुश्किल नहीं। उन्होंने बताया कि पोएट्री एक चुनाव नहीं बल्कि एक ईश्वरीय वरदान है और उनके पास इसके सिवाय कोई रास्ता नहीं था। इसके बिना वे शून्य थे। पिता की इच्छा से वे स्नातक हुए और उसके बाद महज कुछ रुपये लेकर वे अपने सपने पूरे करने के लिए मुम्बई रवाना हो गये।
औरत मर्द के बराबर नहीं, वह ऊँची थी और रहेगी: मनोज
अपनी संस्कृति और नारी जाति का सम्मान करने वाले मनोज ‘मुंतशिर’ ने कहा मैं पूरी नारी जाति का सम्मान अपनी माँ के हवाले से करता हूँ। औरत आदमी की कमीज के बटन से लेकर उसके आत्मसम्मान को सम्भालती है, औरत मर्द के बराबर नहीं, वह ऊँची थी और रहेगी। अपनी प्राचीन भारतीय संस्कृति का स्मरण करते हुए उन्होंने बताया कि हमारे यहाँ ऋग्वेद में ऋषिकन्याओं की ऋचाएँ हैं और यह वैदिक काल की बात है। वहीं अपने जीवन और प्रेम पर बात करते हुए उन्होंने कहा मेरे सीने में एक दिल है जो धड़कता है। वो किसके लिए धड़कता है यह मेरा प्राइवेट मैटर है। हिन्दी भाषा और हिन्दी पाठकों के प्रति सम्मान दर्शाते हुए मनोज ‘मुंतशिर’ ने कहा कि मेरा ‘वेलिडेशन’ मेरे पाठक हैं। एक फ़िल्म फेयर ट्रॉफी छोड़ कर मुझे 135 करोड़ ट्रॉफियाँ लोगों के प्यार के रूप में मिलीं। कार्यक्रम में उन्होंने यह भी बताया कि उनकी आने वाली दो फिल्मों में इसी किताब में प्रकाशित कुछ नज़्मों का प्रयोग किया जायेगा।