नई दिल्ली /अदिति सिंह : कर्नाटक में ड्रेस कोड अनिवार्य किए जाने के बाद कम से कम 13 मुस्लिम शिक्षण संस्थानों ने राज्य सरकार से दक्षिण कन्नड़ जिलों में प्री-यूनिवर्सिटी कालेज खोलने की अनुमति मांगी है, ताकि मुस्लिम छात्राएं कक्षा में हिजाब पहन सकें। दक्षिण कन्नड़ जिले से ही हिजाब विवाद शुरू हुआ था। कर्नाटक के तटवर्ती जिले की ज्यादातर मुस्लिम छात्राएं हाई कोर्ट के उस आदेश को मानते हुए कालेज आ रही हैं, जिसमें कहा गया था कि धार्मिक मान्यताओं वाले किसी भी पोशाक को पहनने की इजाजत नहीं होगी और मुस्लिम छात्राओं को बिना हिजाब कक्षाओं में उपस्थित होना होगा। लेकिन, मुस्लिम छात्राओं का एक वर्ग कक्षा के दौरान हिजाब पहनने की जिद पर अड़ा हुआ है।
—13 मुस्लिम शिक्षण संस्थानों ने प्री-यूनिवर्सिटी कालेज खोलने की अनुमति मांगी
हिजाब पहनने की अनुमति नहीं मिलने पर ऐसी छात्राओं ने कालेज आना बंद कर दिया है।शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार, दक्षिण कन्नड़ जिले में प्री-यूनिवर्सिटी कालेज खोलने के लिए 13 मुस्लिम शिक्षण संस्थानों ने कम से कम 14 आवेदन दिए हैं। अबतक सिर्फ एक मुस्लिम संस्थान को प्री-यूनिवर्सिटी कालेज खोलने की इजाजत मिल पाई है। मुस्लिम समुदाय छात्राओं के लिए अलग से कक्षाओं के संचालन की मांग करता रहा है। पिछले हफ्ते कैंपस फ्रंट आफ इंडिया (सीएफआइ) के बैनर तले मुस्लिम छात्राओं ने मंगलुरु शहर में प्रदर्शन किया था। मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
हिजाब विवाद इस साल जनवरी में तब भड़क उठा जब उडुपी के गवर्नमेंट पीयू कालेज ने कथित तौर पर हिजाब पहनने वाली छह लड़कियों को प्रवेश करने से रोक दिया। इसके बाद प्रवेश नहीं दिए जाने को लेकर छात्राएं कालेज के बाहर धरने पर बैठ गई। इसके बाद उडुपी के कई कालेजों के लड़के भगवा स्कार्फ पहनकर क्लास अटेंड करने लगे। यह विरोध राज्य के अन्य हिस्सों में भी फैल गया और कर्नाटक में कई स्थानों पर विरोध और आंदोलन हुए। नतीजतन, कर्नाटक सरकार ने कहा कि सभी छात्रों को ड्रेस का पालन करना चाहिए और हिजाब और भगवा स्कार्फ दोनों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए, जब तक कि एक विशेषज्ञ समिति ने इस मुद्दे पर फैसला नहीं किया।