नई दिल्ली /खुशबू पाण्डेय । जिस भारतीय समाज में बेटियों को बेटों के मुकाबले पढ़ाने में कम तवज्जो दी जाती रही है, वहीं अब बेटियां पढ़ाई में बेटों के आगे निकल गई है। स्कूली शिक्षा में होने वाले बदलावों के साथ बच्चों के सीखने की क्षमता को जांचने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कराए सर्वेक्षण में बेटियों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर न सिर्फ सभी को चौंकाया है बल्कि ज्यादातर स्तरों पर बेटों को पीछे भी छोड़ दिया है। साइंस, अंग्रेजी व मार्डन इंडियन लैंग्वेज जैसे विषयों में तो उन्होंने बेटों को काफी लंबे अंतर से पछाड़ा है। बेटियों ने स्कूली शिक्षा में अपना परचम तब लहराया है, जब सरकार बेटी पढ़ाओ की एक बड़ी मुहिम छेड़े हुए है। नेशनल अचीवमेंच सर्वे (एनएएस) 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक शिक्षा स्कूली के बदलावों का पता लगाने के लिए जेंडर आधार पर भी स्कूली बच्चों के प्रदर्शन को जांचा गया।
—राष्ट्रीय सर्वेक्षण में बेटियों ने प्रतिभा का प्रदर्शन कर सभी को चौंकाया
—साइंस, अंग्रेजी व मार्डन इंडियन लैंग्वेज में बेटों को लंबे अंतर से पछाड़ा
इस दौरान पाया गया कि जिन स्तरों पर इन बदलावों को जांचने के लिए परीक्षा कराई गई थी, उनमें से एक या दो विषयों को छोड़ दे, तो सभी स्तरों पर व सभी सभी विषयों में बेटियों के अंकों का राष्ट्रीय औसत बेटों से ज्यादा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक तीसरी कक्षा में भाषा की परीक्षा में बेटियों के अंकों का राष्ट्रीय औसत कुल पांच सौ अंकों में से 323 था जबकि बेटों का 318 ही था।
इसी तरह तीसरी कक्षा में गणित की परीक्षा में बेटियों के अंकों का राष्ट्रीय औसत 301 था, वहीं बेटों का 300 अंक ही था। वहीं दसवीं कक्षा के प्रदर्शन को देखें, तो मार्डन इंडियन लैंग्वेज विषय में बेटियों के अंकों का राष्ट्रीय औसत 255 था जबकि बेटों का 247 था। दसवीं के अंग्रेजी विषय की परीक्षा में बेटियों का राष्ट्रीय औसत अंक 294 था, जबकि बेटों को 288 अंक ही मिले थे।
रिपोर्ट के मुताबिक बेटियों का यह प्रदर्शन तीसरी व दसवीं कक्षाओं के स्तर पर ही नहीं है, बल्कि यह पांचवी और आठवीं के स्तर पर भी है। यहां भी बेटियां सभी विषयों में बेटों से ज्यादा अंक हासिल किया है।
गौरतलब है कि स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता और बदलावों को फोकस करते हुए यह शिक्षा मंत्रालय की ओर से यह सर्वे 12 नवंबर 2021 को कराया गया था। जो 22 भाषाओं में आयोजित किया गया था। मंत्रालय की ओर से स्कूली शिक्षा में सुधार को जांचने के लिए यह सर्वे इससे पहले 2017 में हुआ था।
स्कूली शिक्षा में बड़ा बदलाव ग्रामीण क्षेत्रों में भी देखने को मिला है। एनएएस-2021 के मुताबिक स्कूली शिक्षा के बदलावों का आकलन ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के आधार पर भी किया था। जिसमें पाया गया है कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच पढ़ाई का अंतर पहले के मुकाबले कम हुआ है।
ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को प्रदर्शन भी शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के कमोवेश ही रहा है। यह भी उनके मुकाबले वह सिर्फ दो-तीन अंक ही पीछे रहे है। सिर्फ अंग्रेजी विषय को छोड़ दें तो ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ने वाले बच्चों का प्रदर्शन शहरी बच्चों के लगभग बराबर ही रही है। इससे पहले यह अंतर दस से ज्यादा अंकों का रहता था।