चंडीगढ़ /मीरा शर्मा । हरियाणा के उच्चतर शिक्षा विभाग ने अशोका यूनिर्विसटी पर नियमानुसार राज्य से पर्याप्त संख्या में विद्याॢथयों को दाखिला या शुल्क में रियायत नहीं देकर वित्तीय धोखाधड़ी करने का आरोप लगाते हुए एक कारण बताओ नोटिस जारी किया है। हालांकि, संस्थान ने आरोपों से इनकार किया है। राज्य सरकार ने दावा किया है कि सोनीपत स्थित विश्वविद्यालय ने हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2006 का उल्लंघन किया है। सरकार ने नोटिस में आरोप लगाया है कि आंकड़ों में गड़बड़ी की गई है जो इसे कुप्रशासन एवं गलत सूचना देने का एक खुला मामला बनाता है। साथ ही, वित्तीय अनियमितता भी हुई है।
—छात्रों को दाखिला या शुल्क में नहीं दी रियायत, सरकार की सख्ती
—सरकार ने यूनिर्विसटी पर लगाया वित्तीय धोखाधड़ी का आरोप, नोटिस जारी
—यूनिर्विसटी ने हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम का उल्लंघन किया
विश्वविद्यालय ने नोटिस को गलत धारणा से प्रेरित एवं हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2006 के प्रावधानों के विरूद्ध बताया। उसने यह भी कहा कि दुष्प्रचार एवं धन की हेराफेरी का आरोप भी पूरी तरह अवांछनीय है। सरकार ने कहा कि हरियाणा से विद्याॢथयों का सभी पाठ्यक्रमों में दाखिला कम संख्या में हुआ है, जिससे इस अधिनियम के प्रावधानों का उद्देश्य पूरा नहीं होता है। सरकार ने कहा, उदाहरणस्वरूप, स्नातक बीए/बीएससी में आरक्षित सीट की संख्या 200 प्रर्दिशत की गयी है जिनमें 100 सीट ही हरियाणा के विद्याॢथयों से भरी गई हैं। विश्वविद्यालय ने बाकी सीट हरियाणा के विद्याॢथयों को आवंटित नहीं की एवं बाकी विद्याॢथयों के साथ नाइंसाफी की। हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2006 के प्रावधानों के तहत विश्वविद्यालय में प्रवेश में न्यूनतम 25 फीसदी सीट राज्य के विद्याॢथयों से भरी जाएंगी और उनमें से 10 फीसदी सीट अनुसूचित जाति के विद्याॢथयों के लिए आरक्षित होंगी। नोटिस में कहा गया है , हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2006 के अनुसार 25 फीसदी सीट में पांचवें हिस्से को शुल्क में पूरी छूट दी जाएगी, 2/5 हिस्से को आधी छूट, और बाकी 2/5 हिस्से को 25 फीसदी छूट दी जाएगी। इसमें कहा गया है कि उपरोक्त प्रावधान एवं विश्वविद्यालय द्वारा प्रदत्त सूचना के अनुसार यह निष्कर्ष निकाला गया कि हरियाणा के विद्याॢथयों के लिए निर्धारित नियमों का विश्वविद्यालय ने पालन नहीं किया। 2019-22 के दौरान हरियाणा कोटा से केवल 39 विद्याॢथयों को शुल्क में रियायत दी गयी और 23 विद्यार्थी उससे वंचित रह गये। उ’चतर शिक्षा विभाग ने कहा कि इन तथ्यों एवं परिस्थितियों के मद्देनजर, यह पाया गया कि सोनीपत स्थित विश्वविद्यालय की ओर से गंभीर चूक हुई और यह हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन है। विभाग के अवर मुख्य सचिव आनंद मोहन द्वारा जारी किये गये नोटिस में कहा गया है इस अधिनियम की धारा 44 के तहत मुझे प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सोनीपत स्थित अशोका यूनिर्विसटी के कुलपति को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है। साथ ही, उनसे यह स्पष्टीकरण मांगा जाता है कि इस उल्लंघन को लेकर विश्वविद्यालय पर हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत निर्धारित जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाए । वित्तीय हेराफेरी को लेकर विश्वविद्यालय के विरूद्ध प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की जाए। नोटिस से संबंधित पत्र के बारे में पूछे जाने पर विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने कहा, यह नोटिस पूरी तरह गलत धारणा पर आधारित है एवं हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत है। आरोप पूरी तरह से अवांछनीय है।