गाजियाबाद/भूपेंद्र तालान। मौसम परिवर्तन होने ठंडक बढऩे से दिल्ली-एनसीआर की हवा एक बार फिर जहरीली होती जा रही है। अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में ही प्रदूषण का स्तर खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के आंकड़े के अनुसार 242 एक्यूआई दर्ज होने के साथ गाजियाबाद देश के 6वें सबसे प्रदूषित शहर में शामिल हो गया है,जबकि ग्रेटर नोएडा 280 एक्यूआई के साथ सूची में सबसे ऊपर रहा। वायु प्रदूषण के इस बढ़ते स्तर ने नागरिकों की चिंता बढ़ा दी है, वहीं प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस रोकथाम योजना या दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। पिछले कई वर्षों की तरह इस बार भी सरकारी तैयारियां केवल बैठकों और कागजी योजनाओं तक सीमित दिखाई दे रही हैं।
—रहें सावधान, प्रदूषण के मामले में देश में 6वें स्थान पर पहुंचा गाजियाबाद
—वायु प्रदूषण के इस बढ़ते स्तर ने नागरिकों की चिंता बढ़ा दी है
—शहर के कई हिस्सों से आंखों में जलन, सांस लेने में कठिनाई
— खांसी और गले में खराश जैसी शिकायतें, मार्निंग वाक वाले भी बरतें सावधानी
राजनगर एक्सटेंशन, साहिबाबाद, लोनी, भोपुरा-दिल्ली बॉर्डर, वसुंधरा और सिद्धार्थ विहार जैसे क्षेत्र पूर्व में प्रदूषण हॉटस्पॉट के रूप में चिन्हित किए जा चुके हैं,जहां धूल उड़ाती सड़कें, खुले में निर्माण कार्य और वाहनों का धुआं प्रदूषण के प्रमुख कारण बने हुए हैं। पिछले वर्षों में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इन इलाकों में पानी का नियमित छिड़काव, धूल नियंत्रण उपायों और निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए थे। लेकिन इस वर्ष अब तक न तो किसी क्षेत्र को हॉटस्पॉट घोषित किया गया है और न ही मॉनिटरिंग शुरू की गई है। इस लापरवाही को लेकर नागरिकों और पर्यावरण विशेषज्ञों में रोष देखा जा रहा है। वायु गुणवत्ता के खराब श्रेणी में पहुंचते ही इसका असर लोगों के स्वास्थ्य पर दिखाई देने लगा है। विशेष रूप से स्कूल जाने वाले बच्चे, बुजुर्ग और अस्थमा या सांस की बीमारियों से पीडि़त लोग सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। शहर के कई हिस्सों से आंखों में जलन, सांस लेने में कठिनाई, खांसी और गले में खराश जैसी शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण का यह स्तर लंबे समय तक बना रहा तो लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता पर भी असर पड़ेगा।
नवंबर-दिसंबर में हालात गंभीर श्रेणी तक पहुंच सकते हैं। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी अंकित सिंह ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए विभिन्न स्तरों पर कार्रवाई जारी है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाकर विस्तृत रोकथाम कार्ययोजना तैयार की जाएगी। इसके तहत स्थानीय निकायों को सड़क सफाई, कूड़ा प्रबंधन, वाहनों से निकलने वाले धुएं की जांच और निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के निर्देश दिए जाएंगे। फिलहाल गाजियाबाद की हवा खराब श्रेणी में दर्ज की जा रही है और यदि तात्कालिक कदम नहीं उठाए गए, तो अगले कुछ ह तों में स्थिति गंभीर स्तर तक पहुंच सकती है।
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