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Thursday, August 28, 2025

Health Tips: सेहत का खजाना है हरसिंगार का पौधा, साइटिका में हरसिंगार का प्रयोग कैसे करें? जानिए पूरी जानकारी

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Harsingar Health Benefits: भारत में हजारों वर्षों से आयुर्वेद जैसी पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली जड़ी-बूटियों और पेड़ पौधों की ताकत को मानती आ रही है। इनमें से कई पौधे हमारे घर के आसपास ही उपलब्ध होते हैं, लेकिन उनके बारे में हम सही जानकारी नहीं रखते। आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे पौधे हरसिंगार (Nerium indicum) की, जो न सिर्फ देखने में सुंदर है, बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। आइए जानते हैं कि हरसिंगार क्या है, इसमें किस तरह के औषधीय गुण पाए जाते हैं और इसे अपने स्वास्थ्य में कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं।

हरसिंगार क्या है? 

हरसिंगार, जिसे अंग्रेजी में नाइट जैस्मीन (Night Jasmine) कहा जाता है, इसका वैज्ञानिक नाम निक्टेन्थिस आर्बर-ट्रिस्टिस है। यह झाड़ियों और पेड़ों का पौधा है, जिसमें छोटे-छोटे सफेद फूल होते हैं। इन फूलों के बीच नारंगी या पीला रंग का भी एक हल्का सा रंग होता है, जो बरसात के मौसम में खूब दिखाई देते हैं। यह पौधा दक्षिण एशियाई देशों में आमतौर पर पाया जाता है।

यह पौधा सुंदर दिखने के साथ-साथ पौष्टिक गुणों से भी भरपूर है। इसके पत्ते और फूल पारंपरिक भारतीय चिकित्सा यानी आयुर्वेद में बहुत महत्व रखते हैं। इतना ही नहीं, वैज्ञानिक भी इसकी उपयोगिता को मानते हैं और कहते हैं कि इसमें अनेक औषधीय तत्व पाए जाते हैं जिनका उपयोग कई बीमारियों को ठीक करने में किया जा सकता है।

हरसिंगार के आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक फायदे

आयुर्वेदाचार्यों का मानना है कि हरसिंगार के पौधे में मौजूद तत्व जैसे इरिडॉइड ग्लाइकोसाइड्स, फ्लेवोनॉइड और अल्कलॉइड्स हमारी सेहत के लिए बहुत लाभकारी हैं। इन तत्वों के कारण ही यह पौधा सूजन कम करने, दर्द में राहत दिलाने और रक्त संचार को बेहतर बनाने में मदद करता है।

वैज्ञानिक अनुसंधान भी इस बात को मानते हैं कि हरसिंगार का उपयोग विभिन्न बीमारियों के इलाज में किया जा सकता है। खास कर के यह साइटिका रोग के लिए बहुत उपयोगी माना गया है। साइटिका एक ऐसी स्थिति है जिसमें कमर से लेकर दोनों पैरों की एड़ी तक नसों में बहुत तेज दर्द होने लगता है। इस दर्द से इंसान का चलना-फिरना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में हरसिंगार का सेवन बहुत फायदेमंद हो सकता है।

साइटिका में हरसिंगार का प्रयोग कैसे करें?

अमेरिकी नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की रिपोर्ट के अनुसार, हरसिंगार के पौधे की पत्तियों में मौजूद तत्व नसों की सूजन को कम करने, दर्द को नियंत्रित करने और शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को सही तरीके से संचालित करने में मदद करते हैं। इन कारणों से यह सिकायत पूरी तरह से राहत देने में सहायक हो सकता है।

आयुर्वेदाचार्यों का सुझाव है कि यदि आप साइटिका के दर्द से नाराज हैं तो ताजा हरसिंगार की पत्तियों को निर्गुण्डी के पौधे की पत्तियों के साथ मिलाकर उबालें। इसके लिए आप लगभग 50 ग्राम हरसिंगार और 50 ग्राम निर्गुण्डी के ताजे पौधे लें। इन्हें एक लीटर पानी में डालें और गैस पर उबालें। जब पानी आधा रह जाए, यानी करीब 750 मिलीलीटर बचे, तो इसे छान लें। फिर इसमें एक ग्राम केसर मिलाएँ। इस प्राकृतिक काढ़े को किसी बोतल में भरकर रख दें। हर सुबह और शाम लगभग 150 मिलीलीटर इसका सेवन करें।

साथ ही, आयुर्वेदिक दवाइयों जैसे योगराज गुग्गल और वात विध्वंसक वटी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। ये गोलियां भी सुबह और शाम खाने से दर्द और सूजन में जल्दी राहत मिलती है। इससे न सिर्फ दर्द कम होता है बल्कि सूजन भी ठीक हो जाती है।

हरसिंगार का सेवन करने के टिप्स

काढ़ा बनाकर पीना: ताजा फूल और पत्तियों से तैयार काढ़ा हर दिन सुबह और शाम पी सकते हैं। यह आसानी से घर पर बनाया जा सकता है।

दवा के रूप में: आयुर्वेदिक गोलियां जैसे वात विध्वंसक वटी और गुग्गल का सेवन भी फायदेमंद है।

सावधानियां: हरसिंगार का प्रयोग करने से पहले सलाह लेना जरूरी है, खास कर के गर्भवती महिलाओं, बच्चों या किसी गंभीर रोग से पीड़ित लोगों को।

अंत में कहा जा सकता है कि हरसिंगार एक ऐसा पौधा है जिसे आप अपने बगीचे में लगा सकते हैं ताकि आप इसके फायदों का लाभ उठा सकें। यह पौधा ना सिर्फ घर को सुंदर बनाता है बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी वरदान साबित हो सकता है। यदि आप साइटिका जैसी बीमारियों से परेशान हैं तो प्राकृतिक औषधि के रूप में हरसिंगार जरूर आजमाएँ। इसकी मदद से आप अपने दर्द और सूजन से घर बैठे आराम पा सकते हैं।

प्राचीन आयुर्वेद में सदियों से चली आ रही इस पद्धति को अपनाकर आप अपने स्वास्थ्य का ख्याल रख सकते हैं, बिना रासायनिक औद्योगिक दवाओं के। बस ध्यान रखें कि किसी भी नई दवा या प्राकृतिक उपाय को शुरू करने से पहले विशेषज्ञ से परामर्श जरूर करें।

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