गंगटोक 20 अगस्त। सिक्किम विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग के एक व्हाट्सएप ग्रुप में एक छात्र की तरफ से की गई टिप्पणी ने धमाकेदार तरह से सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर हंगामा खड़ा कर दिया है। इस विवादास्पद टिप्पणी ने न केवल प्रशासनिक स्तर पर चिंता जताई है, बल्कि पूरे नेपाली समुदाय में भी गहरी नाराजगी पैदा कर दी है। यह घटना सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई है और हर तरफ इस पर चर्चा हो रही है।
क्या है यह विवाद?
14 अगस्त को, सिक्किम विश्वविद्यालय के छात्र राज शेखर सरकार ने अपने व्हाट्सएप ग्रुप में नेपाली भाषी समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक और अपमानजनक टिप्पणी की। उन्होंने अपने विचारों में नेपाली भाषा को विदेशी भाषा कहा और कहा कि इसके इस्तेमाल करने वाले लोग नेपाल चले जाएं। इस बात को लेकर छात्रों और शिक्षकों में जबरदस्त नाराजगी फैल गई।
तो यही नहीं, इस छात्र ने 15 अगस्त के स्वतंत्रता दिवस के आयोजन पर भी सवाल उठाए। उसने कहा कि स्वतंत्रता दिवस का जश्न तो मनाया ही जाना चाहिए, लेकिन कक्षाओं को भी सामान्य तरीके से चलता रहना चाहिए। इन सभी टिप्पणियों को लेकर छात्र, शिक्षक और अभिभावक काफी आक्रोशित हो गए। उन्हें लगा कि ऐसी बातें कही जा रही हैं, जो न सिर्फ अमान्य हैं बल्कि पूरे समाज की एकता को नुकसान पहुंचाने वाली भी हैं।
पुलिस की कार्रवाई और प्रशासन का कदम
घटना के तुरंत बाद ही विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने रानीपुल पुलिस स्टेशन में एक सामान्य डायरी (G.D.) दर्ज कराई। पुलिस ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए आरोपी छात्र को हिरासत में ले लिया है। उसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 196(1), 353(1)(सी), और 353(2) के तहत गिरफ्तार किया गया। इन धाराओं के तहत विदेशी भाषा को लेकर झूठी बात करने, समुदाय के बीच द्वेष फैलाने और अपराध भड़काने के आरोप लगाए गए हैं।
यह पूरा मामला अब पुलिस की नजर में है और अब प्रशासन इस बात की जांच कर रहा है कि छात्र के इन कदमों के पीछे क्या कारण थे। क्या उनकी मंशा कोई सामाजिक विभाजन फैलाने की थी या फिर यह कोई सामाजिक टिप्पणी थी। खैर, पुलिस की कार्रवाई ने साफ कर दिया है कि इस तरह की टिप्पणियों को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सिक्किम विश्वविद्यालय छात्र संघ की प्रतिक्रिया
घटना के बाद, सिक्किम विश्वविद्यालय छात्र संघ (एसयूएसए) ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। संघ के अध्यक्ष अनूप रेग्मी ने कहा कि ऐसी टिप्पणियां न सिर्फ नेपाली समुदाय पर हमला हैं, बल्कि विश्वविद्यालय परिसर के शांतिपूर्ण माहौल के लिए भी खतरा हैं। उन्होंने कहा, “छात्र को विश्वविद्यालय से तुरंत मुक्त कर देना चाहिए, क्योंकि उसकी इस हरकत से पूरे समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं।”
अपने बयान में रेग्मी ने यह भी कहा कि माफीनामा जारी करना एक गलत कदम था और यह दबाव में लीक किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि यदि छात्र को अपनी गलती का एहसास था, तो तुरंत माफी मांगनी चाहिए थी।
संबंधित विशेषज्ञ और पूर्व अधिकारी भी हैं नाराज
किर्ण शर्मा, जो पूर्व कार्यकारी अधिकारी हैं और इस पूरे मामले को समझते हैं, उन्होंने कहा कि यह टिप्पणी बहुत ही आपत्तिजनक है। शर्मा ने कहा कि नेपाली भारत का संविधान के तहत एक अनुसूचित भाषा है। साथ ही, नेपाली का इस्तेमाल देश की मुद्रा में भी देखा जाता है। इस तरह की टिप्पणी से समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को इस मुद्दे पर तुरंत स्पष्ट कदम उठाने चाहिए क्योंकि ऐसी घटनाएं समाज में मतभेद और द्वेष को जन्म देती हैं। शर्मा ने कहा, “आश्चर्य की बात है कि सोशल मीडिया पर इस तरह की बातें कही गईं हैं, और अब प्रशासन को बैठकर इससे निपटना पड़ रहा है। हमें इसकी कड़ी निंदा करनी चाहिए।”
सुनिश्चित करना जरूरी है कि ऐसी घटनाएं न दोहराएं
इस घटना ने यह भी दिखाया है कि हमें अपने विश्वविद्यालयों में बहुलता और सद्भाव को बनाए रखने की जरूरत है। सबको अपने देश और राज्य के संविधान को समझना चाहिए और सभी समुदायों के प्रति सम्मान दिखाना चाहिए। शिक्षकों और छात्रों दोनों को ही यह बताना जरूरी है कि विविधता ही भारत की ताकत है। हमें अपने समाज में हर समुदाय का सम्मान करना चाहिए, ताकि ऐसी घटनाएं फिर से न हों।
अब सवाल यह उठता है कि सरकार और विश्वविद्यालय इस तरह की घटनाओं से कैसे निपटेंगे? इन लोगों को सख्त चेतावनी दी जा रही है कि इस तरह की हरकतें समाज और शिक्षा व्यवस्था पर बुरा असर डालती हैं। विश्वविद्यालय को अब इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए विशेष कदम उठाने होंगे और सभी छात्रों को शिक्षित करना होगा कि विविधता में ही शक्ति है।
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