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Thursday, August 28, 2025

बीजद प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य चुनाव आयुक्त से की मुलाकात, मतदान प्रक्रिया को लेकर लगाए संगीन आरोप

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आजादी के बाद से भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में चुनावों का बहुत महत्व है। लेकिन 2024 के आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव को लेकर कुछ राजनीतिक दलों द्वारा शिकायतें और ऐतराज भी तेज हो गए हैं। इन्हीं में से एक प्रमुख पार्टी है ‘बीजू जनता दल’ (बीजद)। मंगलवार को बीजद का एक प्रतिनिधिमंडल, पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष देबी प्रसाद मिश्रा के नेतृत्व में, नई दिल्ली में मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार से मिला। इस मुलाकात का मकसद था, चुनावी प्रक्रिया में आ रही जटिलताओं और विसंगतियों को लेकर अपनी चिंता व्यक्त करना।

चुनावी चुनाव में मतदाता विसंगतियों और चुनावी लापरवाही का आरोप

बीजद नेताओं ने चुनाव आयोग के समक्ष अपनी शिकायत में कहा कि 2024 में हुए विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान, कुछ मतगणना और वोटिंग में बड़ा असमंजस देखा गया है। पार्टी का विश्लेषण है कि कई जगह मतदान के आंकड़ों में अस्पष्टता और असामान्य भिन्नताएँ नजर आईं। खासतौर पर मतदाता मतों की गिनती में विसंगतियाँ देखी गईं, साथ ही शाम के करीब 5 बजे के बाद मतदान प्रतिशत अचानक से बढ़ने जैसे मामले भी सामने आए। इन सभी मुद्दों ने पार्टी को चिंता में डाल दिया है और इसकी शिकायत पार्टी पहले भी चुनाव आयोग के सामने कर चुकी है। पार्टी ने दिसंबर 2023 में एक औपचारिक ज्ञापन भी सौंपा था, जिसमें इन खामियों को उजागर किया गया था।

मतदान फॉर्म 17सी का न मिलना और चुनाव की पारदर्शिता

बीजद प्रतिनिधिमंडल ने इस मुलाकात में एक और अहम मुद्दा उठाया कि किस तरह फॉर्म 17सी नहीं मिल पाने के कारण कई बार गलतफहमियां हुई हैं। लोकतंत्र का मूल बल मतदान की पारदर्शिता से ही आता है। चुनाव आयोग को इस बात का एहसास था कि फॉर्म 17सी देना जरूरी है और उसकी अनुपलब्धता से मतदाता रिकॉर्ड में खामियाँ आ सकती हैं। पार्टी ने इस मसले को लेकर भी अपनी चिंता जताई है।

लोकतंत्र की मजबूती के लिए सवाल उठाना जरूरी है

बीजद नेताओं ने साफ कहा कि ये सारे सवाल लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत बनाने के लिए जरूरी हैं। जामनगर जैसी जगह पर, जहां चुनाव प्रक्रिया को लेकर कई सवाल उठ चुके हैं, वहाँ भी इन मुद्दों को लेकर पार्टी ने अपनी नाराजगी जाहिर की है। खासकर, जाजपुर संसदीय क्षेत्र में चुनाव की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने को लेकर पार्टी बहुत सजग है।

मतदाता सूची में सुधार की मांग

प्रतिनिधिमंडल ने मतदान प्रक्रिया से संबंधित सुझाव भी दिए। उन्होंने कहा कि मतदाता सूचियों में सुधार होना चाहिए ताकि कोई भी पात्र मतदाता, जैसे प्रवासी हैं या अस्थायी कर्मचारी, वोट से वंचित न रहे। देबी प्रसाद मिश्रा ने कहा कि, भारत में काम करने वाले प्रवासी भारतीयों को उनके गाँव का मतदाता दर्ज कराना उनका हक है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो उससे सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर विवाद पैदा हो सकते हैं।

प्रवासी मतदाताओं को वन टाइम मौका

मिश्रा साहब ने यह भी सुझाव दिया कि चुनाव आयोग को प्रवासी और अस्थायी कर्मचारियों को अपने नाम दर्ज करने के लिए अधिक समय और अवसर देना चाहिए। इससे उनका मत का अधिकार सुरक्षित रहेगा। चुनाव आयोग ने इस सुझाव को सराहा और आश्वासन दिया कि नामांकन के लिए ज्यादा समय दिया जाएगा।

चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर चिंता

बीजद नेताओं ने यह भी कहा कि चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता सिर्फ बूथ एजेंटों और मतगणना के कर्मियों पर निर्भर नहीं रहनी चाहिए। बल्कि, इलेक्ट्रॉनिक और तकनीकी कदम उठाए जाने चाहिए ताकि सभी कार्रवाई सही और पारदर्शी तरीके से हो सके।

एसआईआर का मुद्दा: रियल वोटर से पर्दा हटाओ

डॉ. अमर पटनायक ने चुनाव आयोग से कहा कि यदि बिहार जैसी प्रक्रिया अपनाई गई तो पार्टी विरोध में खड़ी होगी। बीजद का कहना है कि एसआईआर (विशेष पुनरीक्षण) का उद्देश्य है, मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना, लेकिन इसे सही से लागू किया जाना चाहिए ताकि कोई भी व्यक्ति गलत फर्जी मतदाता न बन सके।

गहन मतदाता पुनरीक्षण का तर्क

बीजद ने यह भी जोर दिया कि मतदाता सूची से किसी भी पात्र मतदाता को वंचित नहीं किया जाना चाहिए। उचित तरीके से पुनरीक्षण हो तो केवल दोषी या पात्र न होने वाले मतदाताओं को ही हटाया जाना चाहिए।

आंदोलन की चेतावनी

अगर चुनाव आयोग इन मुद्दों को हल नहीं करता है, तो बीजद अपने आंदोलन शुरू कर सकता है। पार्टी ने संकेत दे दिए हैं कि वह अपनी लड़ाई को तेज कर सकती है, ताकि चुनाव की प्रक्रिया और मतदान का हक पूरी तरह से सुरक्षित रहे।

यह मुलाकात और इन मांगों का मकसद है, भारत के चुनावी लोकतंत्र को पारदर्शी, मजबूत और निष्पक्ष बनाना। फिर भी, देखना होगा कि चुनाव आयोग इन सबसे जुड़ी चिंताओं का समाधान करता है कि नहीं। राजनीतिक दलों का कहना है कि अगर वे भविष्य में भी इन खामियों को दूर नहीं करेंगे, तो आंदोलन के तौर पर विरोध भी कर सकते हैं।

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