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Thursday, October 16, 2025

BJP: आपातकाल के बहाने कांग्रेस पार्टी पर चौतरफा घेरेबंदी

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-केंद्र सरकार और समूची भाजपा मिलकर बोला कांग्रेस पर अटैक
-प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा ने बोला हमला
-लोकतंत्र की रक्षा के लिए लोगों ने संघर्ष किया, यातनाएं झेली : पीएम
-सत्ता के लालच में एक परिवार ने देश पर आपातकाल थोपा था : अमित शाह
-अधिनायकवादी मानसिकता पर सफलतापूर्वक जीत प्राप्त की : नड्डा

खुशबू पाण्डेय)
नई दिल्ली /टीम डिजिटल : चाइना के मसले पर घिरी केंद्र सरकार एवं सत्ताधारी दल भाजपा ने आज आपातकाल की बरसी के बहाने कांग्रेस पार्टी पर जबरदस्त घेरेबंदी की है। कई दिनों से कांग्रेसियों के आरोपों को झेल रही सरकार को आज अच्छा मौका मिला, यही कारण है कि केंद्र सरकार से लेकर समूची भाजपा ने कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं इंदिरा गांधी से लेकर सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपातकाल के बहाने विपक्षी दल पर करारा अटैक कर डाला।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज से ठीक 45 वर्ष पहले देश पर आपातकाल थोपा गया था। उस समय भारत के लोकतंत्र की रक्षा के लिए जिन लोगों ने संघर्ष किया, यातनाएं झेलीं, उनका त्याग और बलिदान देश कभी नहीं भूल पाएगा। पीएम मोदी ने उन सभी को याद करते हुए नमन किया।

केंद्रीय गृह मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने गुरुवार को देश पर आपातकाल थोपे जाने की 45वीं बरसी पर कांग्रेस पार्टी जम कर हमला बोला और कहा कि देश में तो लोकतंत्र है, लेकिन कांग्रेस पार्टी में लोकतंत्र नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में लोकतंत्र का गला घोंटते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगा दिया था। देश में आपातकाल 21 मार्च 1977 तक, यानी 21 महीनों तक लगा रहा। इस दौरान कांग्रेसी सरकार ने सभी नागरिक अधिकारों को खत्म कर दिया था और सरकार के इस अलोकतांत्रिक रवैये का विरोध करने वाले तमाम नेताओं को जबरन और अकारण जेल में बंद कर दिया गया था। आपातकाल को स्वतंत्र भारत के इतिहास पर सबसे काला धब्बा माना जाता है।

अमित शाह ने एक-के-बाद-एक करके कई सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए कांग्रेस पार्टी पर करारा प्रहार किया और कहा कि कांग्रेस अभी तक आपातकाल वाली मानसिकता को ही जी रही है। उन्होंने कहा कि 45 वर्ष पूर्व आज के ही दिन सत्ता के लालच में एक परिवार ने देश पर आपातकाल थोपा था। रातों-रात पूरे देश को जेल में तब्दील कर दिया गया। प्रेस, अदालतें, अभिव्यक्ति की आजादी सब कुछ खत्म कर दिया गया। गरीबों और दलितों पर अत्यधिक अत्याचार किए गए।

उन्होंने कहा कि लाखों लोगों के अथक प्रयासों एवं संघर्षों के कारण देश से आपातकाल का अंत हुआ और एक बार पुन: देश में लोकतंत्र की स्थापना हुई, लेकिन कांग्रेस का रवैया नहीं बदला, कांग्रेस में अब तक लोकतंत्र बहाल नहीं हो पाया है। भाजपा के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस पार्टी में हमेशा ही एक परिवार के हित, पार्टी और देश हित से भी ऊपर रखे गए। दुर्भाग्य से कांग्रेस में आज भी यही हो रहा है। आज भी कांग्रेस आपातकाल वाली सोच से बाहर नहीं आ पाई है, कांग्रेस में अभी तक इमरजेंसी वाली ही सोच है।

कांग्रेस में घुटन महसूस कर रहे हैं नेता

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस की हालिया कार्यसमिति की बैठक और एक प्रवक्ता को अलोकतांत्रिक तरीके से पार्टी से बाहर दिखाए जाने के मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस वर्किंग कमिटी की हाल ही में आयोजित बैठक में कुछ वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे उठाये लेकिन उन पर चिल्ला कर उनकी आवाज को जबरन दबा दिया गया। पार्टी के एक प्रवक्ता को सच बोलने के कारण उनके पद से बर्खास्त कर दिया गया। दुखद सच्चाई यह है कि कांग्रेस में नेता घुटन महसूस कर रहे हैं।

अमित शाह ने कांग्रेस से पूछे सवाल

भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आगे कहा कि भारत के विपक्षी दलों में से एक के रूप में कांग्रेस पार्टी को खुद से कुछ सवाल पूछने की जरूरत है। पहला – आपातकाल जैसी विचारधारा और सोच कांग्रेस पार्टी में अभी भी क्यों है? दूसरा – ऐसे पार्टी नेता जो उस एक वंश से नहीं आते हैं, उन्हें बोलने की इजाजत क्यों नहीं है? और, तीसरा-कांग्रेस में नेता पार्टी से क्यों निराश हो रहे हैं? अन्यथा लोगों के साथ उनका संबंध और कम होता जाएगा। वैसे भी, कांग्रेस पार्टी की जनता से दूरी लगातार बढ़ती ही जा रही है।

अधिनायकवादी मानसिकता पर सफलतापूर्वक जीत प्राप्त की : नडडा

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जगत प्रकाश नडडा ने भी आपातकाल की बरसी पर कांगेस पार्टी पर जमकर हमला बोला। साथ ही कहा कि ये हमारे सत्याग्रहियों का तप ही था, जिससे भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों ने एक अधिनायकवादी मानसिकता पर सफलतापूर्वक जीत प्राप्त की। नड्डा ने उन सभी महानुभावों को नमन किया, जिन्होंने भीषण यातनाएं सहने के बाद भी आपातकाल का जमकर विरोध किया। उन्होंने कहा कि आज के ही दिन निहित राजनीति स्वार्थों की पूर्ति के लिए तत्कालीन सरकार ने आपातकालीन की घोषणा कर सरकार के खिलाफ बोलने वालों को जेल में डाल दिया गया था। देशवासियों के मूलभूत अधिकार छीनकर अखबारों के दफ्तरों में ताले लगा दिए गए थे।

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