—आईटीबीपी को 10 शव मिले, तपोवन में टनल से 16 लोगों का रेस्क्यू
—प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह ने लिया जायजा, दिए आदेश
देहरादून/ टीम डिजिटल : उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से तबाही मच गई है। ग्लेशियर टूटने के चलते अलकनंदा और धौली गंगा उफान पर हैं। पानी के तेज बहाव में कई घरों के बहने की आशंका है। हादसे के बाद से ही आस-पास के इलाके खाली कराए जा रहे हैं। इसके चलते अलकनंदा और धौली गंगा उफान पर हैं। पानी के तेज बहाव में कई घरों के बहने की आशंका है। आस-पास के इलाके खाली कराए जा रहे हैं। मौसम विभाग ने जानकारी दी है कि उत्तराखंड के प्रभावित इलाकों में सात-आठ फरवरी को प्रतिकूल मौसम की कोई आशंका नहीं है। वहीं तपोवन में एक टनल से आईटीबीपी ने 16 लोगों को सुरक्षित बचाया है। लोगों से सुरक्षित इलाकों में पहुंचने की अपील की जा रही है। इस आपदा में कम से कम 150 लोगों के मारे जाने की आशंका जताई जा रही है। लोगों से संयम बरतते हुए सुरक्षित इलाकों में पहुंचने की अपील की जा रही है। वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत घटनास्थल जा जायजा लेने पहुंचे। लोगों की मदद के लिए मौके पर रेसक्यू टीम भी पहुंच चुकी हैं।
Am constantly monitoring the unfortunate situation in Uttarakhand. India stands with Uttarakhand and the nation prays for everyone’s safety there. Have been continuously speaking to senior authorities and getting updates on NDRF deployment, rescue work and relief operations.
— Narendra Modi (@narendramodi) February 7, 2021
ताजा खबरों के अनुसार, अब तक 9-10 के शव मिल चुके हैं जबकि तलाशी अभियान अभी जारी है। वहीं ऊर्जा संयंत्र में काम करने वाले 100 से 150 लोगों के लापता होने की खबर भी है। उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि तपोवन-रैणी क्षेत्र में स्थित ऊर्जा परियोजना में काम करने वाले करीब 100-150 कर्मी के लापता हैं। उन्होंने बताया कि राज्य का डिज़ास्टर रिलीफ फोर्स के कर्मचारी प्रभावित इलाकों तक पहुंच चुके हैं। उन्होंने बताया कि यहां अबतक दो लोगों का शव मिल चुका हैं, जबकि कई घायलों को निकाला जा रहा है। मिल रही जानकारी के अनुसार, तपोवन-रैणी स्थित ऊर्जा संयंत्र पूरी तरह से बह गया है। हालांकि राज्य के पुलिस प्रमुख ने कहा, अब स्थिति नियंत्रण में है। श्रीनगर में एक बांध है जिसने पानी के तेज प्रवाह को नियंत्रित कर लिया है। कुमार ने बताया कि बचाव दल जोशीमठ से करीब 20 मिनट की दूरी पर स्थित घटनास्थल पर तत्काल पहुंच गई है लेकिन पूरी तस्वीर शाम तक ही साफ हो पाएगी।
I am back in Dehradun after reviewing situation on the ground. I am now meeting disaster management team comprising of state officials and that from Army and ITBP. I will be meeting press shortly and update everyone on the situation. #Uttarakhand pic.twitter.com/1LFzldfczo
— Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) February 7, 2021
इससे पहले राज्य के डिज़ास्टर रिलीफ फोर्स की डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल ने कहा,ऊर्जा परियोजना के प्रतिनिधियों ने मुझे बताया है कि परियोजना स्थल पर मौजूद रहे 150 कामगारों से उनका संपर्क नहीं हो पा रहा है। वहीं भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के प्रवक्ता का कहना है कि तपोवन ऊर्जा परियोजना स्थल प्रभारी के मुताबिक 150 से अधिक श्रमिकों की मौत की आशंका है। इस आपदा में पहाड़ों से तेज गति से आ रही नदी के बहाव की राह में आने वाले घर बह गए हैं। बहाव से नीचे की ओर मौजूद इंसानी बस्तियों को नुकसान पहुंचने की आशंका है। कई गांवों को खाली करवा लिया गया है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
इन इलाकों में जारी किया गया हाई अलर्ट
ग्लेशियर टूटने की घटना के बाद से ही पौड़ी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, हरिद्वार और देहरादून के इलाकों के प्रभावित होने की आशंका है। यही कारण है कि हादसा प्रभावित चमोली और इसके आस-पास के इलाकों के साथ-साथ इन जगहों पर भी हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क से निकलने वाली ऋषिगंगा के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में टूटे ग्लेशियर से आई बाढ़ के कारण धौलगंगा घाटी और अलकनन्दा घाटी में नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया, जिससे ऋषिगंगा और धौली गंगा के संगम पर बसे रैणी गांव के समीप स्थित एक निजी कम्पनी की ऋषिगंगा बिजली परियोजना को भारी नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा, धौली गंगा के किनारे बाढ़ के वेग के कारण जबस्त भूकटाव भी हो रहा है।
जलविद्युत परियोजना के बैराज स्थल बाढ़ की चपेट में आकर बह गए
चमोली के जिला प्रशासन की ओर से अलकनन्दा नदी के किनारे रह रहे लोगों के लिए अलर्ट जारी किया गया है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सुबह अचानक जोर की आवाज के साथ धौली गंगा का जलस्तर बढ़ता दिखा। पानी तूफान के आकार में आगे बढ़ रहा था और वह अपने रास्ते में आने वाली सभी चीजों को अपने साथ बहाकर ले गया। चमोली के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी ने बताया कि मौके पर प्रशासन का दल पहुंच गया है और नुकसान का जायजा लिया जा रहा है। रैनी से लेकर श्रीनगर तक अलकनन्दा के किनारे रह रहे लोगों के लिए चेतावनी जारी कर दी गई है। रैनी में सीमा को जोड़ने वाला मुख्य मोटर मार्ग भी इस बाढ़ की चपेट में आकर बह गया है। दूसरी ओर रैणी से जोशीमठ के बीच धौली गंगा पर नेशनल थर्मल पॉवर कारपोरेशन की तपोवन विष्णुगाड़ जलविद्युत परियोजना के बैराज स्थल के आसपास के इलाके में भी कुछ आवासीय भवन बाढ़ की चपेट में आकर बह गए हैं।
संयम बरतने की अपील के साथ पुलिस ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर
आपदा के मद्देनजर राज्य की पुलिस ने लोगों से परेशान न होने की अपील की है। पुलिस ने ट्विटर पर लोगों से अपील करते हुए कहा, अपील है कि बेचैन ना हों। हमारी टीम मदद में लगी हुई हैं। राहत और बचाव का काम तेज़ी से किया जा रहा है। अपना और अपनों का ध्यान रखें, खुद को तुरंत सुरक्षित स्थान पर ले जाएं। हमारी राहत बचाव टीम की मदद करें। इसके साथ ही पुलिस ने हादसे में फंसे लोगों की मदद के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। पुलिस ओर से एक ट्वीट में कह गया, अगर आप प्रभावित क्षेत्र में फंसे हैं, आपको किसी तरह की मदद की जरूरत है तो कृपया आपदा परिचालन केंद्र के नम्बर 1070 या 9557444486 या डायल 112 पर संपर्क करें। कृपया घटना के बारे में पुराने वीडियो से अफवाह न फैलाएं।”
ITBP और NDRF की टीमें उत्तराखंड पहुंची
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीमें उत्तराखंड के बाढ़ प्रभावित इलाकों के लिए रवाना की गई हैं।आईटीबीपी के एक अधिकारी ने बताया कि बल की 200 कर्मियों वाली दो टीमें जोशीमठ से बाढ़ प्रभावित इलाकों की ओर रवाना हो गई हैं। चीन के साथ लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा की रक्षा के लिए आईटीबीपी की इकाइयां जोशीमठ में मौजूद रहती हैं। वहीं एनडीआरएफ के महानिदेशक एस एन प्रधान ने कहा कि जैसे ही आपदा की खबर मिलते ही, दो टीमें देहरादून से जोशीमठ के लिए रवाना हो गईं। उन्होंने कहा, हम दिल्ली के निकट हिंडन वायुसेना अड्डे से तीन-चार और टीमों को हवाई मार्ग से वहां भेजने पर करने पर काम कर रहे हैं।
CM रावत भी मैदान में उतरे, ले रहे हैं पल-पल का जायजा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रावत ने ट्वीट किया, राहत की खबर ये है कि नंदप्रयाग से आगे अलकनंदा नदी का बहाव सामान्य हो गया है। नदी का जलस्तर सामान्य से अब एक मीटर ऊपर है लेकिन बहाव कम होता जा रहा है। राज्य के मुख्य सचिव, आपदा सचिव, पुलिस अधिकारी और मेरी पूरी टीम आपदा कंट्रोल रूम से स्थिति पर लगातार नज़र रख रही है।नदियों में आई बाढ़ के बाद गढ़वाल क्षेत्र में अलर्ट जारी कर दिया गया है और चमोली जिले के निचले इलाकों में खतरा देखते हुए स्टेट डिज़ास्टर रिस्पॉन्स फोर्स और जिला प्रशासन को सतर्क कर दिया गया है।
PM नरेन्द्र मोदी ने बाढ़ से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा की
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी बाढ़ से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा की और राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बात कर हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। मोदी ने ट्वीट कर कहा, उत्तराखंड में दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की लगातार निगरानी कर रहा हूं। भारत उत्तराखंड के साथ खड़ा है और देश सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना कर रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों से लगातार बात कर रहा हूं और NDRF की तैनाती, बचाव और राहत कार्यों से संबंधित जानकारियां लगातार ले रहा हूं।
गृह मंत्री अमित शाह पल पल ले रहें हैं अपडेट
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से इस मसले पर बात की। शाह ने कहा, पीड़ित लोगों को राहत पहुंचाने और उनके बचाव के लिए एनडीआरएफ बलों को तैनात किया गया है, अतिरिक्त बचावकर्ताओं को विमान के जरिए दिल्ली से उत्तराखंड ले जाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार उत्तराखंड में हालात पर लगातार नजर रख रही है। शाह ने ट्वीट किया, उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा की सूचना के संबंध में मैंने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, आईटीबीपी के महानिदेशक और एनडीआरएफ के महानिदेशक से बात की है।
UP के CM ने अधिकारियों को किया अलर्ट
साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को उत्तर प्रदेश के संबंधित विभागों और अधिकारियों को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया। योगी ने गंगा नदी के किनारे पड़ने वाले सभी जिलों के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को भी पूरी सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। इस बीच, उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (सूचना) नवनीत सहगल ने ट्वीट कर उत्तर प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को आपदा अलर्ट जारी किया है। उन्होंने कहा, उत्तराखंड में नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने की रिपोर्ट मिली है और गंगा नदी के किनारे पड़ने वाले सभी जिलों में जल स्तर संबंधी सतर्कता की 24 घंटे निगरानी किए जाने की आवश्यकता है।